ऋण पत्र निर्गमन की विधि

(Methods of Issuing Debentures) 

हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम बात करेंगे कि ऋण पत्र निर्गमन की विधि क्या होती है।

ऋण पत्रों का निर्गमन निजी या सार्वजनिक कंपनी द्वारा किसी भी समय किया जा सकता है। ऋण पत्र निर्गमित करने का अधिकार संचालक मंडल को होता है। इनका निर्गमन भी अंशो की भांति सम मूल्य, प्रीमियम या कटौती पर किया जा सकता है। इसके निर्गमन के लिये भी अंशो की भांति कंपनी द्वारा प्रविवरण निर्गमित किया जाता है। ऋण पत्रों के निर्गमन की विधि लगभग वही है जो अंशो के निर्गमन की है।



ऋण पत्र निर्गमन की विधि
ऋण पत्र निर्गमन की विधि




एक कंपनी को ऋण पत्र निर्गमित करते समय निम्न विधियां अपनानी चाहिए !

1. संचालक मंडल का प्रस्ताव - ऋण पत्रों को निर्गमित करने के लिए संचालक मंडल द्वारा अपनी सभा मे एक प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए। 


2. कंपनी की सभा मे साधारण प्रस्ताव - यदि ऋण पत्रों के अधीन प्रस्तावित ऋण तथा कंपनी द्वारा पहले लिया गया ऋण, कंपनी की प्रदत पूंजी तथा स्वतंत्र कोषों के योग से अधिक है तो एक सार्वजनिक कंपनी की दशा में सदस्यों की व्यापक सभा मे एक साधारण प्रस्ताव द्वारा ऋण पत्र के निर्गमन के लिए सहमति प्राप्त करनी चाहिए।


3. समिति की नियुक्ति - ऋण पत्रों का निर्गमन करने तथा उनकी व्यवस्था के लिए संचालक मंडल प्रस्ताव पास करके एक समिति की नियुक्ति कर सकता है। कंपनी के सॉलिसिटर के सहयोग से यह समिति ऋण पत्र बांड तथा प्रन्यास संलेख तैयार करती है।


4. जनता को प्रस्ताव - जो प्रविवरण ऋण पत्रों के निर्गमन से सम्बंधित होता है उसमें ऋण पत्रों को जरूरी विवरण दिया जाना चाहिए तथा उसके साथ आवेदन पत्र भी भेज देना चाहिए।


5. ऋण पत्रों का आबंटन - प्रविवरण के निर्गमन के बाद पांचवे दिन के प्रारम्भ से पहले ऋण पत्रों का कोई आबंटन नही किया जा सकता है या उसके बाद वाली तिथि के पहले नही किया जा सकता है जिसे प्रविवरण में इस कार्य के लिए निर्धारित किया गया हो। 


6. स्कंध विपणी में आवेदन - यदि प्रविवरण में यह उल्लेख किया गया है कि ऋण पत्रों में व्यवहार करने के लिए किसी मान्यता प्राप्त स्कंध विपणी में आवेदन किया गया है या किया जायेगा तो यदि आवेदन पत्र नही दिया गया है या स्कंध विपणी से अनुमति प्राप्त नही होती है तो किया गया कोई भी आबंटन व्यर्थ माना जायेगा। 


7. ऋण पत्रों के प्रमाण पत्र - ऋण पत्रों के प्रमाण पत्र आबंटन होने की तिथि से 2 माह के अंदर पूर्ण तथा सुपुर्दगी योग्य दशा में तैयार हो जाने चाहिए। 


8. ऋण पत्रधारियो के रजिस्टर में प्रविष्टि - आबंटन के बाद प्रत्येक ऋणपत्रधारी के सम्बंध में जरूरी विवरण ऋण पत्रधारियो के रजिस्टर में प्रविष्टि करना जरूरी है। 


9. प्रभार के विवरण रजिस्ट्रार को - यदि ऋण पत्र कंपनी की सम्पति पर कोई प्रभार उतपन्न करते है तो प्रभार के लिए संलेख का निष्पादन होने के बाद 30 दिनों के अंदर प्रभार का विवरण रजिस्ट्रार को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 


10. प्रविवरण या स्थानापन्न विवरण रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना - जिस दिन ऋणपत्रों से सम्बंधित प्रविवरण का निर्गमन किया जाता है उसी दिन इनकी एक प्रतिलिपि रजिस्ट्रार के पास भेजी जाती है और इसके बाद ऋण पत्र जनता को निर्गमित किये जाते है। यदि कोई कंपनी प्रविवरण निर्गमित नही करती तो एक प्रविवरण का स्थानापन्न विवरण पत्र ऋण पत्रों के प्रथम आबंटन के कम से कम 3 दिन पूर्व रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना जरूरी है। 

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