समामेलन प्रमाण पत्र क्या है और समामेलन के प्रभाव जाने



हेलो दोस्तों। 

आज के पोस्ट में मैं आपको ये बताऊंगा की समामेलन पत्र होता क्या है और समामेलन के प्रभाव क्या होते है ?


समामेलन प्रमाण  पत्र (Certificate of Incorporation)

कम्पनी रजिस्ट्रार द्वारा किया गया समामेलन का प्रमाण पत्र इस बात का प्रमाण होता है कि पंजीयन के सम्बंध में सभी कार्यवाहिया जो कि विधान द्वारा निर्धारित की गई है, तथा कंपनी रजिस्ट्रेशन के लिए अधिकृत है तथा उसकी रजिस्ट्री अधिनियम के अंतर्गत हो चुकी है। इस धारा के अंतर्गत निश्चयात्मक प्रमाण महत्वपूर्ण है। इसका आशय है कि रजिस्ट्रार द्वारा जब ऐसा प्रमाण पत्र निर्गमित किया जाता है तो वह इस बात का प्रमाण होता है कि -




समामेलन प्रमाण पत्र क्या है और समामेलन के प्रभाव जाने पत्र - Certificate and Effects of Incorporation
Certificate and Effects of Incorporation 



(i) कंपनी ने जो सीमानियम व अंतर्नियम बनाये है वे सब कंपनी अधिनियम के अनुसार है तथा आवश्यक वैधानिक कार्यवाहियां पूरी कर दी गयी है। यदि बाद में किसी कपटपूर्ण व्यवहार का पता चलता है तो भी उसके समामेलन को चुनोती नही दी जा सकती है। मतलब की सीमानियम ओर सभी हस्ताक्षर जाली होने पर या सीमानियम पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्तियों द्वारा हस्ताक्षर करने के बदतथा रजिस्ट्री के पूर्व महत्वपूर्ण रूप से परिवर्तन करने पर भी समामेलन का प्रमाण पत्र समामेलन का एक निश्चयात्मक प्रमाण है।




पिल्स मामले में न्यायालय ने इस बात पर विचार करने वे इनकार कर दिया कि सीमानियम पर इस प्रकार जाली हस्ताक्षर करने से कोई अनियमितता हुई है। क्योंकि समामेलन का प्रमाण पत्र समामेलन का निश्चयात्मक प्रमाण है। इस वाद में एक ही व्यक्ति ने सीमानियम पर सभी के जाली हस्ताक्षर कर दिए तथा रजिस्ट्रार ने समामेलन का प्रमाण पत्र निर्गमित कर दिया। 


न्यायपूर्ति केयनर्स ने इस सम्बनदज मे यह व्यक्ति किया है कि जब एक बार समामेलन का प्रमाण पत्र दे दिया जाता है तो बाद में समामेलन से पहले की गई किसी भी कार्यवाही की अनियमितता के बारे में कोई जांच पड़ताल नही की जा सकती। 


जुबली कॉटन मिल्स ली० बनाम लीविस के मामले में ऐसा ही निर्णय दिया गया। इस मामले के तथ्य बहुत से है रजिस्ट्रार के पास 6 जनवरी को सभी जरूरी प्रलेख कंपनी के रजिस्ट्रेशन के लिए फ़ाइल कर दिए गए। रजिस्ट्रार ने इसके दो दिन बाद समामेलन प्रमाण पत्र निर्गमित किया परन्तु उस पर 8 जनवरी की बजाय 6 जनवरी लिख दिया। 6 जनवरी को लीविस को कुछ अंश आबंटित किये गए। इस संदर्भ में यह प्रश्न उठाया गया कि क्या प्रमाण पत्र के वास्तव में निर्गमित किये जाने से पहले यह आबंटन व्यर्थ है? यह निर्णय दिया गया कि समामेलन का प्रमाण पत्र उसमे निर्दिष्ट सभी तथ्यों के विषय मे अकाट्य प्रमाण है। अतः कानून की दृष्टि से कंपनी का निर्माण 6 जनवरी को हुआ तथा अंशो का आबंटन वेध है। 


(ii) समामेलन का प्रमाण पत्र इस बात का निश्चयात्मक प्रमाण पत्र है कि कंपनी का समामेलन प्रमाण पत्र पर दी गयी तिथि से हो गया है। 


(iii) सार्वजनिक कंपनी के सीमानियम पर 7 से कम व्यक्तियों के हस्ताक्षर होने पर, या जाली हस्ताक्षर होने पर या अवयस्कों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने पर भी समामेलन का प्रमाण पत्र निश्चयात्मक प्रमाण माना जायेगा। 


(iv) समामेलन का प्रमाण पत्र इस बात का भी निश्चयात्मक प्रमाण है कि सीमानियम पर हस्ट्सक्षर करने वालो ने अपने नाम के आगे लिखे अंश क्रय कर लिए है। 


(v) समामेलन का प्रमाण पत्र इस बात का एक निश्चयात्मक प्रमाण है कि कंपनी का समामेलन विधानानुसार ही हुआ है। यदि समामेलन के बाद किसी अनियमितता का पता चलता है तो ऐसी अनियमितता के लिए कोई आपत्ति निहि उठाई जा सकती। 


हेमण्ड बनाम पेरेन्टीज ब्रदर्स के वाद में यह स्पष्ट किया गया था कि ऐसी अनियमितता के आधार पर समामेलन रद्द नही किया जा सकता क्योंकि इससे कंपनी में हिट रखने वाले अंशधारियो, ऋणदाताओं, कर्मचारियों व अन्य व्यक्तियों का अहित होगा। अत प्रमाण पत्र एक सच्चा निश्चयात्मक प्रमाण है। 


यह बात ध्यान देने वाली है कि यदि कोई अवैधानिक उद्देश्यो वाली कंपनी समामेलित कर दी गयी है तो प्रमाण पत्र के निर्गमन में अवैधानिक उदेश्य वेध नही बन जाते। परन्तु समामेलन का प्रमाण पत्र कंपनी के अस्तित्व का निश्चयात्मक प्रमाण पत्र बना रहता है और कंपनी के विधिवत व्यक्तित्व के प्रमाण पत्र को रद्द करके समाप्त नही किया जा सकता। 

संक्षेप - संक्षेप के रूप में यह कहा जा सकता है कि यदि कुछ त्रुटियां पाई जाए तो भी समामेलन का प्रमाण पत्र निश्चयात्मकता का प्रमाण ही माना जाता है वह त्रुटियां इस प्रकार है-


(i) पार्षद सीमानियम में सदस्यों के हस्ताक्षर होने के बाद तथा रजिस्ट्रेशन से पहले परिवर्तन कर दिए गए है। 


(ii) सभी हस्ताक्षरकर्ता अवयस्क हो।


(ii) पार्षद सीमानियम पर किये हुए सभी हस्ताक्षर कपटपूर्ण हो। 


(iv) कंपनी का उद्देश्य अवैध हो। 


इन सबसे यह स्पष्ट होता है कि कम्पनी का समामेलन हो जाने के बाद यह निश्चयात्मक प्रमाण समझा जाता है कि कंपनी का समामेलन ठीक प्रकार से किया गया है, भले ही कोई अनियमितता रद्द की गई हो। समामेलन का प्रमाण पत्र जारी होने के बाद कंपनी के अस्तित्व को चुनोती नही दी जा सकती। इस प्रकार कंपनी का समामेलन प्रमाण पत्र के अस्तित्व का तो प्रमाण है परन्तु समामेलन से पूर्व अनियमितताओं को नियमित करने का प्रमाण नही है। 




समामेलन के प्रभाव (Effects of Incorporation)

1. कंपनी एक समामेलित संस्था बन जाती है। 

2. समामेलन के प्रमाण पत्र को न्यायालय में कंपनी के अस्तित्व के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। 

3. कंपनी एक कानूनी कृत्रिम व्यक्ति बन जाती है और उसका अस्तित्व सदस्यों से अलग माना जाने लगता है। जिसकी एक अलग मोहर होती है। 

4. कंपनी का अस्तित्व स्थायी हो जाता है। 

5. समामेलन होने के बाद कंपनी के सीमानियम और अंतर्नियम कंपनी और उसके सदस्यों पर बाध्य होंगे जैसे कि क्रमश कंपनी तथा प्रत्येक सदस्य ने उस पर हस्ताक्षर किए हो। 

6. कंपनी को चल, अचल, स्पर्शनीय तथा अस्पर्शनिय सम्पति खरीदने, रखने तथा बेचने की शक्ति प्राप्त हो जाती है तथा कंपनी अपने नाम से वाद प्रस्तुत कर सकती है तथा इस पर वाद प्रस्तुत किया जा सकता है। 

7. इसके प्राप्त करते ही एक निजी कंपनी अपना व्यापार प्रारम्भ कर सकती है। 

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