पार्षद अंतर्नियम की विषय सामग्री और परिवर्तन करने की प्रक्रिया



हेलो दोस्तों। 

आज के पोस्ट में हम जानेंगे कि पार्षद अंतर्नियम की विषय सामग्री और इसमें परिवर्तन करने की प्रक्रिया क्या है। 



पार्षद अंतर्नियम की विषय सामग्री

पार्षद अंतर्नियम कंपनी के आंतरिक नियम होते है। अतः इनमे प्रायः उन सभी बातों का उल्लेख होते है। जो कि कंपनी के आंतरिक प्रबन्ध तथा संचालन से सम्बंधित होती है। प्रायः प्रत्येक कंपनी अपनी सुविधानुसार अपने अन्तर्नियमो को तैयार करती है। अतः इसकी विषय सामग्री भिन्न भिन्न हो सकती है। साधारण तौर पर सारणी अ को अन्तर्नियमो का एक आदर्श स्वरूप माना जाता है। तथा उसके अनुरूप ही नियम और उपनियम बनाये जाते है। 




पार्षद अंतर्नियम की विषय सामग्री और परिवर्तन करने की प्रक्रिया - Contents and Alteration of Articles of Association
Contents and Alteration of Articles of Association





एक कंपनी के पार्षद अन्तर्नियमो में प्रायः निम्नलिखित बातों का उल्लेख होता है। 

1. सारणी अ में कौन कौन से नियम किस सीमा तक लागू होंगे ?

2. प्रारम्भिक अनुबंधों की पुष्टिकरण की विधि।

3. विभिन्न प्रकार के अंशो का विभाजन व अंशधारियो के अधिकार।

4. अंशो के निर्गमन तथा आबंटन की विधि। 

5. अंश प्रमाण पत्र तथा अंश अधिपत्र निर्गमन की विधि। 

6. न्यूनतम अभिदान राशि का निर्धारण।

7. अंशो पर याचना सम्बन्धी नियम।

8. अंश पूंजी के वृद्धि, कमी तथा पुनर्गठन की विधि।

9. अभिगोपन कमीशन का भुगतान।

10. अंशो व ऋणपत्रों ओर कमीशन व दलाली का भुगतान।

11. अंशो का एकीकरण तथा उपविभाजन।

12. कंपनी की समस्त सभाओं की विधि, सूचना, कार्यवाहक संख्या, स्थगन, प्रतिपुरुष मतदान, एवं सभापति सम्बन्धी नियम।




13. अंकेक्षको की नियुक्ति, अधिकार, कर्तव्य तथा उनका पारिश्रमिक।

14. प्रबन्धक, प्रबन्ध संचालक, संचालक, सचिव की नियुक्ति सम्बन्धी प्रावधान।

15. सार्वमुद्रा के प्रयोग सम्बन्धी नियम।

16. लेखा पुस्तको के लिखने व रखने की विधि। 

17. लाभों के पंजीकरण।

18. अंशो का हरण एवं पुनः निर्गमन की विधि।

19. प्रस्तावों से सम्बंधित नियम।

20. सदस्यों के मताधिकार।

21. ऋण लेने के अधिकार व उसकी सीमा।

22. संचालक मंडल के अधिकार।

23. लाभांश की घोषणा और उसके भुगतान सम्बन्धी नियम।

24. संचय एवं कोषों के निर्माण सम्बन्धी नियम।

25. कंपनी के समापन की विधि। 

परन्तु निम्नलिखित अधिकारों का प्रयोग कंपनी तब ही कर सकती है जब उनके सम्बन्ध में कंपनी के पार्षद अन्तर्नियमो में स्पष्ट व्यवस्था कर दी गयी हो

(i) अंशो या ऋणपत्रों पर अभिगोपन कमीशन का भुगतान।

(ii) अंशो पर भुगतान की गई राशि के अनुपात में ही लाभांश का भुगतान।

(iii) शोध्यपूर्वाधिकार अंशो का निर्गमन।

(iv) अंश अधिपत्र का निर्गमन।

(v) विदेशो में कंपनी की सार्वमुद्रा का प्रयोग।

(vi) अंश पूंजी में परिवर्तन।

(vii) अंश पूंजी के कमी करना।

कंपनी के सीमा तथा अन्तर्नियमो की बातों में यदि कोई टकराव है तो पार्षद सीमानियम के प्रावधान लागू किये जायँगे।



पार्षद अन्तर्नियमो में परिवर्तन करने की प्रक्रिया

1. सबसे पहले पार्षद अन्तर्नियमो में परिवर्तन के प्रस्ताव का अनुमोदन संचालक मंडल करेगा तथा व्यापक सभा के लिए समय तथा तिथि का निर्णय करेगा और कंपनी का सचिव सभा बुलाने के लिए अधिकृत होगा। 




2. विशेष प्रस्ताव व्यापक सभा मे निर्धारित तिथि ओर पारित किया जाना चाहिए। 


3. प्रस्ताव पारित करने के 30 दिन के अंदर कंपनीज जनरल तथा रूल्स एंड फॉर्म्स का फार्म न. 23 उचित रूप से भरकर अधिनियम की अनुसूची X में निर्धारित शुल्क के साथ तथा प्रस्ताव की प्रमाणित प्रतिलिपि के साथ कंपनी रजिस्ट्रार को जमा कराना होगा। 




4. यदि परिवर्तन का सम्बंध एक सार्वजनिक कंपनी की निजी कंपनी में बदलने से है तो कंपनी को फार्म न. 1-13 पर लिखित रूप से एक आवेदन पत्र परिवर्तन के लिए विशेष प्रस्ताव पारित करने के 3 महीने के अंदर क्षेत्रीय निदेशक को उसकी सहमति प्राप्त करने के लिए भेजना चाहिए।


5. सहमति के बाद, सहमति आदेश प्राप्त करने की तिथि से 15 दिन के अंदर परिवर्तित अन्तर्नियमो को छपी हुई प्रतियां कंपनी रजिस्ट्रार के पास भेज देनी चाहिए।


6. मानक सूचीबद्ध ठहराव के अंतर्गत कंपनी के अंश स्कंध  विनमय विपणी में सूचीबद्ध होने की दशा में कंपनी को अपने अंशधारियो को भेजी गई सभी सूचनाओं की प्रतियां विनिमय विपणी को भेजनी चाहिए तथा ऐसे संशोधनों की छः प्रतियां भी, जिनमे एक प्रमाणित प्रतिलिपि होनी चाहिए, विनिमय विपणी को भेजनी चाहिए। 


7. परिवर्तन अन्तर्नियमो की प्रत्येक प्रति में होना चाहिए। 

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