पार्षद सीमानियम की विषय सामग्री


हेलो दोस्तों। 

आज के पोस्ट में हम पार्षद सीमानियम की विषय सामग्री के बारे में जानेंगे। 



पार्षद सीमानियम की विषय सामग्री (Contents of Memorandum of Association)

कंपनी के पार्षद सीमानियम में बहुत से आधारभूत वाक्यो का होना जरूरी है जिन्हें कंपनी के पंजीकरण या समामेलन की शर्तें कहा जाता है। 


1. नाम वाक्य

2. स्थान वाक्य

3. उदेश्य वाक्य

4. दायित्व वाक्य

5. पूंजी वाक्य

6. संघ वाक्य


पार्षद सीमानियम की विषय सामग्री
पार्षद सीमानियम की विषय सामग्री



1. नाम वाक्य - इस वाक्य में वह नाम लिखा जाता है जिस नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई जाती है। कंपनी का नाम न केवल कंपनी की पहचान के लिए ही आवश्यक है बल्कि यह उसके व्यक्तिगत अस्तित्व का भी प्रतीक होती है। कंपनी को अपने नाम का चुनाव करने में पूरी स्वतन्त्रता है। अतः कंपनी अपनी इच्छानुसार कोई भी नाम रख सकती है।


2. स्थान अथवा पंजिकृत कार्यालय वाक्य - इस वाक्य में उस राज्य के नाम का उल्लेख किया जाता है जिस राज्य में कंपनी का रजिस्टर्ड कार्यालय स्थापित किया जायेगा। इस वाक्य के आधार पर ही कंपनी के न्याय क्षेत्र, अधिवास और उसकी राष्ट्रीयता का निर्धारण किया जाता है। स्थान वाक्य के द्वारा ही इस वाक्य का निर्णय किया जाता है कि कंपनी भारतीय है या विदेशी। कंपनी अपने सभी जरूरी प्रलेखों, बिलो, बिजको पत्र व्यवहार के पेंडो तथा सभी सूचनाओं एवं शासकीय प्रकाशनों पर अपना नाम, पंजिकृत कार्यालय का पता, कंपनी का निर्गमित पहचान नम्बर, टेलीफोन नम्बर, ईमेल तथा वेबसाइट का पता छपवायगी।


3. उदेश्य वाक्य - यह वाक्य सीमानियम का सबसे महत्वपूर्ण वाक्य है क्योंकि इस वाक्य में उन उद्देश्यो का वर्णन किया जाता है जिसकी पूर्ति के लिए कंपनी की स्थापना की जा रही है। यह वाक्य कंपनी की क्रियाओं को परिभाषित करता है तथा उनकी सीमाओं का निर्धारण करता है। वैधानिक दृष्टि से कंपनी अपने सीमानियम मे दिए गए व्यवसाय के अतिरिक्त कोई भी व्यवसाय नही कर सकती। इस वाक्य का प्रयोजन कंपनी के सदस्यों के हितों को संरक्षण प्रदान करना है जिन्हें इस बात की जानकारी मिलती है कि उनके विनियोजन का प्रयोग किस कार्य मे होना है। इस वाक्य में कंपनी के साथ व्यवहार करने वाले बाहरी व्यक्तियों को कंपनी के अधिकारों की सीमाओं की जानकारी मिलती है। 


4. दायित्व वाक्य - कंपनी अधिनियम के अनुसार अंशो द्वारा सीमित या गारंटी द्वारा सीमित कंपनियों के दायित्व में यह उल्लेख जरूर होना चाहिए कि सदस्यों का दायित्व सीमित है। एक कंपनी जिसे कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के अंतर्गत लिमिटेड शब्द का प्रयोग करने से छूट प्राप्त है, उसे भी अपने सीमानियम मे यह उल्लेख करना पड़ता है कि सदस्यों का दायित्व सीमित है। सीमित दायित्व से आशय अंशो द्वारा सीमित कंपनी में यह है कि इस कंपनी के अंशधारी अपने द्वारा क्रय किये गए अंशो के अंकित मूल्य तक ही देनदार है। 


5. पूंजी वाक्य - अंश पूंजी वाली कंपनी की दशा में उसके पार्षद सीमानियम में इस बात का उल्लेख होना चाहिए कि कंपनी की अधिकृत पूंजी कितनी होगी तथा अंशो का विभाजन किस प्रकार किया गया है तथा प्रत्येक अंश का मूल्य क्या है कंपनी की पूंजी दो श्रेणियों में विभाजित की जा सकती है समता अंश पूंजी और पूर्वाधिकार अंश पूंजी। कंपनी अपने जीवनकाल में अपनी अधिकृत या रजिस्टर्ड पूंजी से अधिक रकम के अंश उस समय तक निर्गमित नही कर सकती, जब तक कि इसमें विधिवत परिवर्तन न कर लिया जाए। 


6. संघ वाक्य - इस वाक्य को हस्ताक्षर वाक्य के नाम से भी जाना जाता है। यह पार्षद सीमानियम का अंतिम वाक्य है। इसमें व्यक्तियों का एक संघ होता है जो अंत में पार्षद सीमानियम पर हस्ताक्षर करता है। इस वाक्य में हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति कंपनी की स्थापना की इच्छा प्रकट करता है। हस्ताक्षर करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का नाम, पता, व्यवसाय तथा उनके द्वारा ली गयी अंशो की संख्या का उल्लेख होता है। उसके बाद प्रत्येक व्यक्ति के नाम के सामने गवाह के हस्ताक्षर होते है। 


एक सार्वजनिक कंपनी के सीमानियम पर कम से कम सात व्यक्तियों तथा एक निजी कंपनी के सीमानियम पर कम से कम दो व्यक्तियों के हस्ताक्षर होना जरूरी होता है। एक सीमानियम पर हस्ताक्षर करने वाला केवल इस आधार पर अपना नाम वापिस नही ले सकता कि उसने कंपनी के अभिकर्ता के मिथ्या वर्णन के आधार पर सीमानियम पर हस्ताक्षर करने स्वीकार किया था। परन्तु वह सीमानियम के वास्तव में पंजिकृत होने से पहले अपना नाम वापिस ले सकता है उसका कारण यह है कि तब तक कोई अनुबंध नही हुआ होता है। 

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