प्रवर्तकों के दायित्व और कर्तव्य हिंदी में समझें (Liabilities and Duties of Promoters in Hindi) 



हेलो दोस्तों।

आज हम बात करेंगे कि प्रवर्तकों के दायित्व और कर्तव्य क्या होते है। 


प्रवर्तकों के दायित्व (Liabilities of Promoters)

कम्पनी प्रवर्तन में प्रवर्तकों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है।जहां प्रवर्तकों को कुछ अधिकार दिए गए है वहां उन पर कुछ दायित्व भी डाले गए है। जो इस प्रकार है चलो समझते है :

1. विश्वासश्रित सम्बन्ध होने के नाते दायित्व - प्रवर्तक का सम्बंध कम्पनी के साथ बहुत ही विश्वास वाला होता है। इसके कारण उनके दो प्रमुख दायित्व है पहला - यदि कम्पनी के लिए किए गए व्यवहार में प्रवर्तक ने कोई गुप्त लाभ कमाया है तो ऐसा लाभ उसे कम्पनी को वापस करना होगा और दूसरा - यदि उसने कम्पनी को कोई निजी सम्पति बेचकर गुप्त लाभ प्राप्त किया है तो कम्पनी ऐसे अनुबंध को समाप्त कर सकती है। या उसकी पुष्टि कर सकती है या लाभ वसूल कर सकती है। 


2. प्रविवरण में मिथ्यावर्णन के लिए दायित्व - यदि किसी व्यक्ति के प्रविवरण की सत्यता के आधार पर अंश या ऋणपत्र खरीदे है तो प्रविवरण ख़रीदे है तो प्रविवरण में असत्य कथन होने पर प्रवर्तक ऐसे व्यक्ति के प्रति दायी होगा। पीड़ित पक्षकार हानि की पूर्ति के लिए हर्जाने के लिए प्रवर्तक पर वाद प्रस्तुत कर सकता है। प्रविवरण में असत्य कथन के कुछ परिणाम हो सकते है जैसे कि अंशो या ऋणपत्रों के आबंटन को रद्द किया जा सकता है, प्रवर्तक पर हर्जाने तथा क्षतिपूर्ति के लिए वाद प्रस्तुत किया जा सकता है और प्रवर्तक पर आपराधिक कार्यवाही हो सकती है। 




प्रवर्तकों के दायित्व और कर्तव्य  हिंदी में - Liabilities and Duties of Promoters in Hindi
प्रवर्तकों के दायित्व और कर्तव्य  हिंदी में - Liabilities and Duties of Promoters in Hindi



प्रविवरण में झूठा या धोखापूर्ण वर्णन होने पर धारा 34 प्रवर्तक को आपराधिक तौर पर दायी ठहराती है। परन्तु प्रवर्तक इस दायित्व से बच सकता है यदि वह साबित कर देता है कि उसके पास कथन के सत्य होने के पर्याप्त आधार विनियोजको को आकर्षित करने के लिए कथन महत्वहीन था। 




3. कपट, सत्ता दुरपयोग या कर्तव्य भंग के लिए दायित्व - यदि न्यायालय को यह लगता है कि प्रवर्तक किसी ऐसे अपराध का दोषी है जो धारा 339 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है। तो न्यायालय प्रवर्तक को 5 वर्ष की अवधि के लिए प्रबन्ध में भाग लेने से मना कर सकता है।


4. दिवालिया होने पर दायित्व - यदि प्रवर्तक दिवालिया हो जाता है तो भी उसकी सम्पति ऋणों के लिए दायी होगी। 


5. प्रवर्तक की मृत्यु हो जाने पर दायित्व - प्रवर्तक की मृत्यु हो जाने पर कम्पनी प्रवर्तक की समाप्ति से हर्जाना या हानि वसूल कर सकती है। 


6. कम्पनी के समापन पर दायित्व - कम्पनी के समापन पर कोई व्यक्ति जिससे कम्पनी के प्रवर्तन में भाग लिया है और सम्पति या शक्तियों का दुरुपयोग किया है तथा प्रन्यास भंग करने के लिए उत्तरदायी है तो न्यायालय उसकी जाँच करने तथा दुरुपयोग एवं हानि की क्षतिपूर्ति वसूल करने का आदेश दे सकता है। 



प्रवर्तकों के कर्तव्य (Duties of Promoters)

1. निजी व्यवस्था का स्पष्टीकरण - यदि प्रवर्तकों में कोई निजी व्यवस्था लाभ कमाने के लिए की है तो इसका स्पष्टीकरण कंपनी को देना होगा। 


2. गुप्त लाभ प्रकट करना - प्रत्येक प्रवर्तक का यह है कि वह प्रस्तावित कम्पनी से कोई गुप्त लाभ न कामये। यदि वह कमाता है तो उसे उसका हिसाब कम्पनी को देना होगा। 


3. सभी सही तथ्यों को प्रकट करना - प्रवर्तक बिना सभी तथ्यों को प्रकट किए अपनी सम्पति कम्पनी को बेचकर लाभ नही उठा सकता। 


4. उन लाभों को प्रकट करना जो उसने प्रन्यासी के रूप में कमाए है - प्रवर्तक का कम्पनी के साथ विशेष सम्बन्ध होता है अत उसे उन सभी लाभों के स्पष्टीकरण कंपनी को देना चाहिए जो उसने अर्जित किये है। 


5. भावी अंशधारियो के प्रति कर्तव्य - प्रवर्तक का कंपनी के भावी अंशधारियो के प्रति सद्भावना प्रयोग करने का कर्तव्य है। 

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