अंशधारियों के मताधिकार और अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन के बारे में जानकारी


हेलो फ्रेंड्स। कैसे हो आप सब ?

आज हम अंशधारियों के मताधिकार और इनके अधिकारों के परिवर्तन के बारे में जानेंगे, चलो शुरू करते हैं। -


अंशधारियों के मताधिकार (Voting Rights of Shareholders)

कपनी अधिनियम 2013 के अनुसार एक सार्वजनिक कंपनी दो प्रकार के अंश निर्गमित कर सकती है। पूर्वधिकार एवं समता अंश। कंपनी अधिनियम के अंतर्गत दोनो प्रकार के अंशधारियों के मताधिकारों के सम्बंध में व्यवस्था इस प्रकार है :



अंशधारियों के मताधिकार और अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन के बारे में जानकारी
अंशधारियों के मताधिकार और अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन के बारे में जानकारी




1. पूर्वधिकार अंशधारियों के मताधिकार - सामान्यतः पूर्वधिकार अंशधारियो को कोई मताधिकार नही होता परन्तु दो दशाओ में पूर्वधिकार अंशधारियो को मत देने का अधिकार है :-


(i) अपने हितों से सम्बंधित विषयो पर - पूर्वधिकार को ऐसे सभी विषयों पर मत देने का अधिकार होता है जो इनके हितों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते है। अंश पूंजी का शोधन, पूंजी में कमी करना या कंपनी का समापन आदि प्रस्ताव ऐसे अंशधारियो के हितों को प्रभावित करने वाले माने जाते है


(ii) लाभांश का भुगतान न होना - यदि संचयी पूर्वधिकार अंशधारियो को कंपनी की सभा के होने के कम से कम 2 वर्ष से लाभांश न मिला हो तथा असंचयी पूर्वधिकार अंशो पर सभा आरम्भ होने के तुरंत पहले समाप्त होने वाले कम से कम दो आर्थिक वर्षों में या सभा आरम्भ होने से पहले समाप्त होने वाले छह वर्षों में कुल मिलाकर 3 वर्षों तक का लाभांश न मिला हो, तो उन्हें कंपनी की किसी भी सभा मे प्रत्येक प्रस्ताव पर मत देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। 


2. समता अंशधारियों के मताधिकार - प्रत्येक समता अंशधारी को कंपनी के सामने प्रस्तुत किये गए प्रत्येक प्रस्ताव पर मत देने का अधिकार होगा, तथा मतगणना के लिए उसका मताधिकार कंपनी की प्रदत सामान्य अंश पूंजी में उसके भाग के अनुपात में होगा। 



अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन (Variation of Shareholder's Rights)

कंपनी में बहुत प्रकारः के अंशधारी को लाभांश तथा मतदान सम्बन्धी अलग अलग अधिकार प्राप्त होते है। इन अधिकारों को वर्ग अधिकार कहा जाता है। इन अधिकारों में कोई कोई भी परिवर्तन धाराएं निर्धारित विधि के अनुसार ही किया जा सकता है। विभिन्न वर्गों के अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन करने के लिए बहुत प्रावधान है चलो समझते है :


(i) कंपनी के सीमानियम या अंतर्नियम में यह स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए कि कंपनी को अंशधारियों के अधिकारों में परिवर्तन करने का अधिकार प्राप्त है। इसी प्रकार जिस वर्ग के अंशधारियो के अधिकारों में परिवर्तन का आयोजन हो, उस वर्ग के अंशो को निर्गमित करते समय अंशधारियो के अधिकारों के परिवर्तन करने के विषय मे कोई प्रतिबन्ध नही लगाया जाना चाहिए। 


(ii) जहां कंपनी की पूंजी विभिन्न वर्गों के अंशो में विभाजित है, तो किसी भी वर्ग से सम्बंधित अंशो के अधिकारों में परिवर्तन, उस वर्ग के निर्गमित अंशो के कम से कम 3/4 अंशधारियो की लिखित सहमित से किया जा सकता है।


(iii) परिवर्तन से प्रभावित अंशधारियो की एक अलग सभा बुलाकर परिवर्तन की पुष्टि के लिए एक विशेष प्रस्ताव पास करके किया जा सकता है। 

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