वातावरण विश्लेषण की प्रक्रिया


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम वातावरण विश्लेषण की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे। 


वातावरण विश्लेषण की प्रक्रिया (Process of Environmental Analysis)

वातावरण विश्लेषण की प्रकिया से हमारा मतलब व्यवसाय को प्रभावित करने वाले विभिन्न वातावरणीय घटकों को पहचानना तथा इनसे सम्बन्धित वातावरणीय सूचनाओं को एकत्रित करना, इन सूचनाओं के आधार पर पूर्वानुमान लगाना तथा इसके बाद इन सूचनाओं व पूर्वानुमानों के आधार पर वातावरणीय घटकों में होने वाले परिवर्तन के प्रभाव का मूल्यांकन करना शामिल है।


वातावरण विश्लेषण की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की चर्चा इस प्रकार है :

1. जांचना - इससे हमारा अभिप्राय व्यवसाय को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों को समझने व इन वातावरणीय तत्वों के बारे में सूचनाओं के स्रोतों को पहचानने से है। इसके अंतर्गत आवश्यक सूचनाओं के प्रकाशित या अप्रकाशित स्त्रोतों का पता लगाया जाता है। सूचनाओं को एकत्रित करने के मुख्य स्रोत है समाचार पत्र, पत्रिकाएं और जनरल, सरकारी प्रकाशन, संस्थागत प्रकाशन और अंतराष्ट्रीय प्रकाशन। 


Process of Environmental Analysis
वातावरण विश्लेषण की प्रक्रिया




2. खोजना व ढूंढना - आंकड़ो के स्रोतों का पता लगाने के बाद, आवश्यक सूचनाओं को इन स्त्रोतों से ढूंढना पड़ता है। यद्यपि आवश्यक सूचनाएं विभिन्न स्रोतों से मिल सकती है, पर इन सूचनाओं को उचित समय पर उपलब्ध करवाना आसान कार्य नही है। आवश्यक सूचनाओं को समय पर उपलब्ध करवाने के लिए बहुत से संगठन क्लिपिंग सेवा उपलब्ध कराते है। ये संगठन समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और जनरलों से, विभिन्न प्रकाशनों से, विभिन्न सर्वेक्षणों से सूचनाएं एकत्रित करते है और जिन व्यावसायिक इकाइयों को इन सूचनाओं की आवश्यकता है उन्हें समय पर आवश्यक सूचनाएं प्रदान करते है। कुछ बड़ी व्यावसायिक इकाइयां जिन्हें अधिक सूचनाओं की आवश्यकता पड़ती है, वे अपने संगठन में एक अलग स्थायी विभाग बनाते है। इस विभाग का नाम प्रबन्ध सूचना विभाग होता है। 



3. पूर्वानुमान लगाना - मॉनिटरिंग व स्कैनिंग से यह पता लगाया जाता है कि क्या घटित हो चुका है और क्या चल रहा है। पर रणनीति निर्माण के लिए और नीति निर्णय लेने के लिए भावी उन्मुखता की जरूरत पड़ती है। अतः पूर्वानुमान वातावरण विश्लेषण की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है। पूर्वानुमान में, वातावरण के तत्वों में होने वाले भावी परिवर्तनों की दिशा और तीव्रता का अनुमान लगाया जाता है। इन पूर्वानुमानों से आर्थिक, सामाजिक, तकीनीकी, राजनीतिक वातावरण आदि में होने वाले भावी परिवर्तन का पता लगाया जाता है। यह जानकारी हमे अपनी योजनाएं और रणनीतियां बनाने में मदद करती है। 


4. मूल्यांकन - मॉनिटरिंग, स्कैनिंग और पूर्वानुमान लगाने से ही वातावरण विश्लेषण की प्रक्रिया समाप्त नही होती। इनसे हमे वातावरण और भावी व्यावसायिक वातावरण के बारे में सूचनाएँ उपलब्ध होती है। लेकिन मूल्यांकन में यह पता लगाया जाता है कि वातावरण के ये परिवर्तन हमारे व्यवसाय को कैसे प्रभावित करेंगे। मूल्यांकन से विभिन्न वातावरण तत्वों के व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभावों का पता चलता है जो बाद में उचित व्यावसायिक रणनीतियां बनाने में आधार बनते है। इसलिए मूल्यांकन भी व्यावसायिक विश्लेषण की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है।


संक्षेप में कहूँ तो,  मॉनिटरिंग के द्वारा सूचनाओं के स्रोतों का पता लगाया जाता है स्कैनिंग में विभिन्न स्रोतों से अपनी जरूरत की सूचनाओं को छांटा जाता है। पूर्वानुमान में वातावरण में होने वाली भावी परिवर्तनों का पता लगाया जाता है। मूल्यांकन से इन सभी परिवर्तनों के व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभावों का पता लगाया जाता है। 

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