contributory क्या है जाने हिंदी में


हेलो दोस्तों। 

आज के पोस्ट में हम अंशदायी (contributory) के बारे में जानेंगे। 


अंशदायी (contributory)

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(26) के अनुसार, अंशदायी से आशय प्रत्येक ऐसे व्यक्ति से है जो कंपनी के समापन की दशा में कंपनी की सम्पति में अंशदान करने के लिए दायी है तथा पूर्णदत अंशों के धारकों को भी इसमें सम्मिलित किया जाता है। 



कंपनी के समापन की दशा में निम्नालिखित व्यक्ति अंशदायी के रूप के उत्तरदायी होंगे :

1. वर्तमान एवं भूतपूर्व सदस्य - अंशो द्वारा सीमित कंपनी की दशा में वर्तमान सदस्य अपने अंशो पर अदत्त मूल्य देने के लिए अंशदायी के रूप में दायी है या गारंटी द्वारा सीमित कंपनी की दशा में वह राशु देने के लिए दायी है जो उसने कंपनी के समापन की दशा के देने की गारंटी दी हुई है। कंपनी के भूतपूर्व सदस्यों का कोई दायित्व नही होता। 



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2. मृत सदस्य का वैधानिक उत्तराधिकारी - यदि किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उसके उत्तराधिकारी अंशधारियो के रूप के दायी होते है। मृत व्यक्ति के वैधानिक उत्तराधिकारी का दायित्व केवल उस सम्पति के मूल्य तक विस्तृत है जो कि वैधानिक उत्तराधिकारी को प्राप्त होती है। 



3. दिवालिया सदस्य का राजकीय प्रापक या अधिन्यासी - यदि कोई सदस्य दिवालिया घोषित कर दिया जाता है तो उसका अधिनयासी या सरकारी रिसीवर उसका स्थान ग्रहण करता है। वह समापन के सभी उद्देश्यों के लिए अंशदाता का प्रतिनिधित्व करता है और अंशदाता के रूप में दायी होता है।


4. अवयस्क - एक अवयस्क को कंपनी की सम्पतियों में अंशदान करने के लिए अंशदाता घोषित नही किया जा सकता।


5. समामेलित संस्था का समापक - यदि कोई समामेलित संस्था किसी कंपनी का सदस्य है और उसका समापन प्रारम्भ हो गया हौ तो उसके समापक को ही अंशदाता माना जाता है। 


6. असीमित दायित्व वाले संचालक तथा प्रबन्धक - यदि किसी कंपनी के संचालक या प्रबन्धक का दायित्व असीमित है तो उनका दायित्व भी ठीक उसी प्रकार होता है जैसे असीमित दायित्व वाले किसी अन्य सदस्य का होता है। किंतु इनसे किसी भी प्रकार का अंशदान प्राप्त करने से पहले राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम न्यायाधिकरण की अनुमति प्राप्त करना जरूरी है। असीमित दायित्व वाले भूतपूर्व संचालकों तथा प्रबन्धको को भी कंपनी के अंशदान के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। यदि उन्हें कंपनी छोड़े एक वर्ष नही हुआ हो। पद छोड़ने के एक वर्ष या अधिक की अवधि के बाद इन्हें उत्तरदायी नही ठहराया जा सकता। 



अंशदायी के दायित्व की प्रकृति (Nature of Contributory's Liability)

समापन के आरम्भ होने पर अंशधारी अंशदायी बन जाते है एवं उनका दायित्व पूर्ण एवं निरपेक्ष होता है। यह दायित्व उसके अंश लेने के अनुबंध से उतपन्न नही होता बल्कि सदस्यों के रजिस्टर में उसका नाम लिखे होने के कारण उतपन्न होता है। 

अप्रदत्त मांगो के प्रति भी उसका दायित्व पूर्ण एवं निरपेक्ष होता है भले ही यह मर्यादा कानून के अधीन वसूल करने के योग्य न रही हो। अंशो का भुगतान करना अंशदाता का एक प्रकार का नया ऋण होता है जिसे समापक मांग करके मंगवा सकता है। 

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