कर का अग्रिम भुगतान के बारे में जाने


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम कर के अग्रिम भुगतान के बारे में जानेंगे।


कर का अग्रिम भुगतान (Advance Payment of Tax)

यह कर पेशगी के रूप में दिया जाता है, इसलिए इसे कर का अग्रिम भुगतान या चुकाओ जैसे कमाओ कहा जाता है। इसे चुकाओ जैसे कमाओ इसलिए कहा जाता है। यह कर चालू वर्ष की आय पर उसी वर्ष में दे दिया जाता है।



Advance Payment of Tax ke bare me jane in Hindi
कर का अग्रिम भुगतान के बारे में जाने





अग्रिम कर चुकाने के लिए आय (Income for Payment of Advance Tax)

अग्रिम कर किसी वित्तीय वर्ष में करदाता को अपनी उस कुल आय पर चुकाना होता है जिस पर इस वित्तीय वर्ष से ठीक बाद आने वाले कर निर्धारण वर्ष में कर लगेगा और इसे चालू आय कहते है।


परन्तु एक व्यक्ति जो भारत मे निवासी है, को निम्न शर्तें पूरी करने पर अग्रिम कर नही चुकाना होगा :

(i) उसकी व्यापार या पेशे शीर्षक में आय नही है

(ii) उसकी आयु गत वर्ष में कभी भी 60 वर्ष या अधिक है।



अग्रिम कर का दायित्व कब उतपन्न होता है (What does Liability to pay advance tax arise)

यदि किसी वित्तीय वर्ष में करदाता द्वारा देय कर की राशि 10,000 ₹ या उससे अधिक हो तो उस वित्तीय वर्ष में अग्रिम कर चुकाना होगा।

अग्रिम कर की गणना (Computation of Advance Tax)

देय अग्रिम कर की रकम की गणना निम्न प्रकार की जाती है :

1. करदाता द्वारा कर की गणना -

(अ) यदि करदाता की कृषि आय नही है - करदाता द्वारा देय अग्रिम कर की गणना निम्न प्रकार की जाएगी :


(i) करदाता की संभावित कुल आय ज्ञात की जायेगी।


(ii) इस आय पर चालू वित्त वर्ष के लिए अग्रिम कर के लिए निर्धारित दरों से कर की गणना की जाएगी।


(iii) (ii) में राशि पर अधिभार जोड़ा जाएगा।


(iv) (ii) और (iii) में निर्धारित अधिभार के योग पर 3 % की दर से शिक्षा उपकर जोड़ा जाएगा।


(v) (iv) में निर्धारित राशि मे से उद्गम स्थान पर काटे गए कर एवं वसूल किए गए कर की राशि घटाई जाएगी।


(vi) यदि (v) में शेष 10,000 ₹ अधिक है तो अग्रिम कर का भुगतान करना होगा।


(ब) यदि करदाता की कृषि आय है - यदि करदाता की कृषि आय ( 5,000 ₹ से अधिक) है तो कुल आय पर कर की गणना करते समय इसे ध्यान में रखा जाएगा।


2. कर निर्धारण अधिकारी द्वारा कर की गणना - यदि किसी करदाता पर नियमित कर निर्धारण पहले कभी हो चुका है और उसने अग्रिम कर नही चुकाया है तो कर निर्धारण अधिकारी उसे अग्रिम कर चुकाने के आदेश दे सकता है। ऐसा आदेश सम्बन्धित गत वर्ष में 1 मार्च से पहले ही दिया जा सकता है। कर निर्धारण अधिकारी निम्न में से जो आय अधिक होगी उस पर कर की गणना करके अग्रिम कर चुकाने के आदेश होगा :


(i) सबसे अंत मे हुए नियमित कर निर्धारण में निर्धारित कुल आय या


(ii) यदि बाद में किसी वर्ष का करदाता ने आय का विवरण दाखिल कर दिया है तो उसमें दिखाई गई कुल आय।



किस्तों का उल्लेख

यदि कर निर्धारण अधिकारी किसी करदाता को अग्रिम कर चुकाने के आदेश देता है तो इसमें कर चुकाने की किस्तों का उल्लेख करेगा। इन किस्तों में निम्न दशाओं में संशोधन किया जा सकता है :


(1) यदि कर निर्धारण अधिकारी द्वारा आदेश दिए जाने के बाद, परन्तु 1 मार्च से पहले करदाता उस गत वर्ष से बाद के गत वर्ष का अपनी आय का विवरण दाखिल कर देता है या उस गत वर्ष के बाद के गत वर्ष का कर निर्धारण हो जाता है जिस गत वर्ष की कुल आय के आधार पर कर निर्धारण अधिकारी ने आदेश दिया था, तो कर निर्धारण अधिकारी अपना संशोधित आदेश दे सकता है जिसमे अग्रिम कर की शेष किस्तों की राशि मे संशोधन कर दिया जाएगा।


(2) यदि वह व्यक्ति, जिसे कर निर्धारण अधिकारी ने अग्रिम कर चुकाने के आदेश दिया है, यह समझता है कि उसके अनुमान के अनुसार चालू आय पर देय अग्रिम कर की राशि आदेश में दी गयी राशि से कम होगी, तो वह इसकी सूचना कर निर्धारण अधिकारी को भेज सकता है और अपने अनुमान के अनुसार अग्रिम कर चुकाएगा।


(3) यदि वह व्यक्ति, जिसे कर निर्धारण अधिकारी ने अग्रिम कर चुकाने के आदेश दिया है, यह समझता है कि चालू आय पर देय अग्रिम कर की राशि आदेश में दी गयी राशि से अधिक होगी तो वह अधिक राशि चुकाएगा।



पूंजीगत लाभ एवं आकस्मिक आय कर अग्रिम कर का भुगतान

कभी कभी करदाता के लिए यह सम्भव नही होता कि वह पूंजीगत लाभ या आकस्मिक आय का सही सही अनुमान लगा सके। इन परिस्थितियों में यदि आय किसी देय क़िस्त की तिथि के बाद होती है तो ऐसी आय और देय कर शेष किस्तों में चुकाया जाएगा। यदि आय गत वर्ष में 15 मार्च के बाद होती है तो इसका भुगतान गत वर्ष में 31 मार्च तक किया जा सकता है। 

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