कर निर्धारण और इसके प्रकार जाने


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम कर निर्धारण और कर निर्धारण के प्रकार के बारे में जानेंगे।


कर निर्धारण (Assessment)

कर निर्धारण से अभिप्राय करदाता की कुल आय की गणना करना एवं इस पर देय कर की गणना करने से है।



कर निर्धारण के प्रकार (Types of Assessment)

कर निर्धारण निम्न प्रकार के होते है :

1. स्वयं कर निर्धारण

2. नियमित कर निर्धारण

3. सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण

4. पुनः कर निर्धारण



Meaning and Types of Assessment in Hindi
कर निर्धारण और इसके प्रकार जाने





1. स्वयं कर निर्धारण

दाखिल की जाने वाली आयकर विवरणी के आधार पर देय कर में से, पूर्व चुकाए गए कर को घटाकर जो कर की देय राशि बचे वह राशि तथा यदि आयकर विवरणी दाखिल करने में विलंब हुआ हो या अग्रिम कर चुकाने में चूक या देर हुई हो तो इसके के जो ब्याज देय होगा वह भी विवरणी दाखिल करने के पहले चुकाना होगा और दोनों राशियों के चुकाने के सबूत आयकर विवरणी के साथ नत्थी करना होगा। कि करदाता को आयकर विवरणी दाखिल करने से पहले कर तथा ब्याज दोनो चुकाने होंगे।


इस प्रकार के कर निर्धारण को खुद कर निर्धारण इसलिए कहते है कि इसमें करदाता स्वयं अपनी कुल आय की गणना करता है, इस आय पर कर की गणना करता है तथा कर की राशि का भुगतान करता है।


यदि कोई करदाता उपर्युक्त प्रावधान के अनुसार कर या ब्याज या दोनों की कोई राशि नही चुकाता है तो वह करदाता चूक में माना जायेगा और उस पर चूक में करदाता पर लागू अधिनियम के सब प्रावधान लागू होंगे।





2. नियमित कर निर्धारण

(अ) संक्षिप्त कर निर्धारण या आयकर विवरणी के आधार पर कर निर्धारण - जब आयकर विवरणी दाखिल की जाती है और कर निर्धारण अधिकारी बिना करदाता को बुलाए तथा बिना पूछताछ के कर निर्धारण कर देता है। इसे संक्षिप्त कर निर्धारण या आयकर विवरणी के आधार पर कर निर्धारण कहते है।


(ब) सबूतों के आधार पर कर निर्धारण - यदि कर निर्धारण अधिकारी आयकर विवरणी की सत्यता या सम्पूर्णता का सत्यापन करना जरूरी समझता है ताकि वह निश्चय कर सके कि आय कम नही दिखाई गई है या हानि अधिक नही दिखाई गई है या कर कम नही चुकाया गया है, तो वह करदाता को नोटिस देगा कि वह विनिर्दिष्ट तारीख को उसके कार्यालय में उपस्थित हो या अपनी आयकर विवरणी के पक्ष में सबूत प्रस्तुत कर।


(स) सबूतों के बाद कर निर्धारण - नोटिस के उत्तर में करदाता द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों तथा कर निर्धारण अधिकारी द्वारा विशिष्ट बिंदुओं पर मांगे गए सबूतों को सुनकर तथा कर निर्धारण अधिकारी के पास अन्य सम्बन्धित सामग्री को विचार में रखकर कर निर्धारण अधिकारी उसकी कुल आय या हानि निर्धारित करेगा और इसके आधार पर करदाता द्वारा देय धन भी निर्धारित करेगा जिसका वह लिखित में आदेश देगा।



3. सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण

जब करदाता कर निर्धारण के लिए कर निर्धारण अधिकारी को सहयोग नही करता तो अधिकारी अपने पास एकत्रित सामग्री एवं तथ्यों के आधार पर अपने सर्वोत्तम विवेक से जो कर निर्धारण करता है उसे सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण कहते है। ऐसे कर निर्धारण को एकपक्षीय कर निर्धारण भी कहते है। यह निर्णय कर निर्धारण दो प्रकार का होता है

(अ) अनिवार्य सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण - कर निर्धारण अधिकारी निम्न में से किसी भी दशा में सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण कर सकता है :


(i) यदि करदाता अपनी आय का खुद की इच्छा से या नोटिस की प्राप्ति के बाद भी विवरणी दाखिल नही करता


(ii) यदि करदाता नोटिस के अनुसार लेखे या अन्य प्रपत्र या मांगी गई सूचनाएं प्रस्तुत नही करता है


(ii) यदि करदाता नोटिस मिलने पर सुनवाई के लिए कार्यालय में उपस्थित नही होता या आयकर विवरणी के पक्ष में सबूत प्रस्तुत नही करता तो कर निर्धारण अधिकारी सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण कर सकता है।


(ब) विवेकीय सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण - निम्न दशाओ में विवेकीय सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण किया जाता है :

(i) यदि कर निर्धारण अधिकारी करदाता के हिसाब किताब की शुद्धता तथा पूर्णता से संतुष्ट न हो


(ii) करदाता ने हिसाब की कोई पद्धति नियमितता से न अपनायी हो


(iii) सरकार द्वारा अधिसूचित मानकों के अनुसार आय की गणना नही की गई है

तो कर निर्धारण अधिकारी अपने विवेक से सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण कर सकता है। ऐसे कर निर्धारण के विरुद्ध करदाता को अपील करने का अधिकार है।




4. पुनः कर निर्धारण

कर निर्धारण से बची हुई राशि - यदि कर निर्धारण अधिकारी को यह विश्वास करने का कारण है कि किसी कर निर्धारण वर्ष के सम्बन्ध में कोई कर योग्य आय कर लगने से बच गयी या छूट गयी है तो वह ऐसी आय का कर निर्धारण या पुनः कर निर्धारण कर सकता है।


निम्न दशाओ में कर निर्धारण से बची हुई या छूटी हुई आय समझी जायगी :

(i) यदि करदाता ने आयकर विवरणी दाखिल नही की है यद्यपि उसकी कुल आय न्यूनतम कर योग्य सीमा से अधिक है


(ii) यदि करदाता ने आयकर विवरणी तो दाखिल कर दी है परन्तु उस पर कर निर्धारण नही हुआ है तथा यह पाया जाता हूं कि करदाता ने विवरणी में अपनी आय कम दिखाई है या अधिक हानि या कटौती आदि की मांग की है


(iii) यदि कर निर्धारण हो गया है परन्तु कर योग्य आय कम निर्धारित की गई है या बहुत कम दर से कर लगा है या कोई हानि, छूट, ह्रास की छूट या इस अधिनियम के अंतर्गत अन्य कोई छूट अधिक स्वीकार हो गयी है


(iv) भारत से बाहर स्थित किसी आस्ति से आय, जो कर योग्य है, कर निर्धारण से बच गयी है।


यदि किसी छूट हुई आय के सम्बन्ध में एक बार कोई कर निर्धारण पुनः खोल दिया जाता है तो इस धारा के अंतर्गत चल रही कार्यवाही के दौरान यदि कर निर्धारण अधिकारी को किसी अन्य छूटी हुई आय का पता चल जाता है तो ऐसी आय को भी वह कर निर्धारण में शामिल कर सकता है। 

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