Deemed Incomes के बारे में जानकारी हिंदी में


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम deemed income (मानी गयी आय) के बारे में जानेंगे।


Deemed Incomes (मानी गयी आय)

कुछ राशियां आय नही होती परन्तु इन्हें करदाता की आय माना जाता है और उसकी कुल आय में शामिल किया जाता है।


वास्तव में ऐसी राशि या विनियोग करदाता की आय होते है, परन्तु कर चोरी के उद्देश्य से वह उन्हें दूसरों के नाम जमा करता है या कम मूल्य बताता है। अतः ऐसी राशियों को करदाता की आय मानने का उद्देश्य कर चोरी रोकना है।




deemed incomes के बारे में जानकारी हिंदी में
deemed incomes के बारे में जानकारी हिंदी में




1. नकद साख - यदि करदाता की गत वर्ष की पुस्तकों में कोई ऐसी रकम जमा हो रही है जिसकी प्रकृति तथा स्त्रोत के बारे में करदाता कोई उत्तर न दे या उसका उत्तर कर निर्धारण अधिकारी की सम्पति में संतोषजनक न हो तो ऐसी जमा की हुई रकम की करदाता की गत वर्ष की कुल आय में शामिल करके उस पर आय कर लगाया जा सकता है।


2. पुस्तको में बिना लिखे तथा बिना स्पष्ट किये गए विनियोग - सम्बन्धित गत वर्ष में यदि करदाता ने कोई ऐसे विनियोग किए है जिन्हें उसने अपने बही खाते में नही लिखा है तथा करदाता उन विनियोगो की प्रकृति तथा स्त्रोत का कोई स्पष्टीकरण नही करता है या इसका स्पष्टीकरण कर निर्धारण अधिकारी की सम्पति में संतोषजनक नही है तो ऐसे विनियोग का मूल्य करदाता की उस वर्ष की आय मान ली जाती है जिस वर्ष में ये विनियोग किए गए थे और उसे करदाता की कुल आय में शामिल करके उस पर आय कर लगाया जाता है।


3. पुस्तको में बिना लिखा तथा बिना स्पष्ट किया गया धन - यदि किसी वितीय वर्ष में करदाता के पास ऐसा धन, जेवर, सोना, चांदी या अन्य कोई मूल्यवान वस्तु पाई जाती है जिसे उसने अपने बहीखाते में नही लिखा है तथा करदाता उसकी प्रकृति तथा स्त्रोत का कोई स्पष्टीकरण नही करता है या स्पष्टीकरण कर निर्धारण अधिकारी की सम्पति में संतोषजनक नही है, तो ऐसे धन या जेवर का मूल्य करदाता की उस वर्ष की आय मान ली जायगी जिस वर्ष में यह उसके पास पाई जाती है तथा उसे करदाता की कुल आय में शामिल करके उस पर आय कर लगाया जाता है।




4. विनियोग, आदि की रकम जो बहीखाते में पूर्णतया नही दिखाई गई है - यदि किसी वित्तीय वर्ष में करदाता ने कोई विनियोग किए है या वह किसी सोना, चांदी, जेवर या अन्य किसी मूल्यवान वस्तु का स्वामी पाया जाता है और कर निर्धारण अधिकारी यह पाता है कि इन विनियोगो मे जो रकम लगी है या इस सोना, चांदी, जेवर या अन्य मूल्यवान वस्तु को प्राप्त करने में जो व्यय हुआ है वह करदाता द्वारा अपने बहीखाते में इस सम्बंध में दिखाई गई रकम से अधिक है तथा करदाता इस आधिक्य का स्पष्टीकरण नही दे सकता है तो वह अधिक रकम करदाता की उस वित्तीय वर्ष की आय मानी जा सकती है


5. न स्पष्ट किया गया व्यय - यदि किसी वित्तीय वर्ष में करदाता ने कोई व्यय किया हौ और इस व्यय के साधन के सम्बंध में या इसके किसी अंश के सम्बंध में वह कोई स्पष्टीकरण नही करता है तो व्यय की राशि या उसका कोई अंश जैसा उचित हो, उस वित्तिय वर्ष की करदाता की आय मानी जायेगी जिस वित्तीय वर्ष में व्यय किया गया है और यह करदाता की कुल आय ने शामिल करके उस पर आय कर लगाया जाता है।


6. हुण्डी पर लिए हुए ऋण या उनका भुगतान - हुण्डी पर लिए हुए ऋण तथा उनका भुगतान Account Payee cheque द्वारा होना चाहिए, अन्यथा यह राशि ऋण लेने वाले की या भुगतान करने वाले की उस गत वर्ष की आय मानी जायेगी जिस गत वर्ष में यह ऋण लिया गया है या भुगतान किया गया है। भुगतान की राशि मे ऋण का ब्याज भी शामिल होगा।


जब हुण्डी पर ऋण लेते समय ऐसा धन करदाता की आय में शामिल कर लिया जाता है, तो उसका भुगतान करते समय यह धन दोबारा उसकी आय में शामिल नही किया जायेगा। 

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