Process of SWOT analysis in hindi


हेलो दोस्तों।

आज हम सवोट विश्लेषण की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे।


सवोट विश्लेषण की प्रक्रिया (Process of SWOT Analysis)


सवोट विश्लेषण निम्न चरणों द्वारा किया जा सकता है :

1. शक्तियों का विश्लेषण करना - पहले चरण में व्यावसायिक इकाई की शक्तियों को पहचाना जाता है। ये शक्तियां व्यावसायिक संगठन के अतिरिक्त वातावरण का भाग होती है। ये शक्तियां इस प्रकार हो सकती है - सुदृढ वित्तीय साधन, प्रगतिशील व दूरदर्शी प्रबन्धक, अच्छा कार्य वातावरण, अच्छी संस्थागत व ब्रांड छवि, सुदृढ प्रबन्ध, अच्छे प्रबन्ध श्रमिक सम्बन्धी आदि। इन शक्तियों के द्वारा उपभोक्ता संतुष्टि, अधिकतम लाभोपार्जन व व्यवसाय का विस्तार किया जा सकता है। शक्तियों का विश्लेषण करते समय निम्न प्रश्नों के उत्तरों को पहचाना जाता है:

(i) आपके क्या लाभ है ?


(ii) आप क्या कार्य अच्छी तरह कर सकते है ?


(iii) आपके पास कौन से विशेष साधन है ₹?


(iv) अन्य व्यक्ति आप मे क्या शक्तियां देखते है ?




सवोट विश्लेषण की प्रक्रिया




2. कमजोरियों का विश्लेषण करना - दूसरे चरण में व्यावसायिक इकाई की कमजोरियों को पहचाना जाता है। ये कमजोरियां व्यावसायिक इकाई के आंतरिक वातावरण का हिस्सा होती है। ये कमजोरियां इस प्रकार हो सकती है : परिस्थितियां, ब्रांड की कम प्रसिद्धि, बुरी संस्थागत व ब्रांड छवि, बुते श्रमिक प्रबन्ध सम्बन्ध आदि। व्यवसाय की सफलता के लिए यह जरूरी है कि व्यवसाय की कमजोरियों को अति शीघ्र पहचाना जाए, ताकि इन कमजोरियों का समय रहते समाधान ढूंढा जा सके। यदि इनका समाधान ढूंढने में ज्यादा देर होती है तो इससे व्यावसायिक इकाई को बहुत हानि होती है। कमजोरियों का विश्लेषण करने के लिए निम्न प्रश्नों के उत्तरों को ढूंढा जाता है :

(i) संगठन क्या नही कर सकता ?


(ii) संगठन में क्या गलत तरीके से किया जाता है ?


(iii) आप मे कैसे सुधार हो सकता है ?


(iv) आप किन कार्यों को बुरे ढंग से करते है ?


(v) आपको किन बातों से बचना चाहिए ?


(vi) क्या आपके प्रतियोगी आपसे उत्तम कार्य कर रहे हैं ?




3. अवसरों का विश्लेषण करना - अगले चरण में व्यावसायिक इकाई के लिए उपलब्ध अवसरों को पहचाना जाता है। अवसरों का तातपर्य किसी संगठन के लिए उपलब्ध अनुकूल परिस्थितियों से है। ये अक्सर व्यावसायिक इकाई के बाहरी वातावरण का हिस्सा होते है। व्यवसाय के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, कानूनी, तकनीकी, प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण में सकारात्मक बदलाव आने से अवसर उतपन्न होते है। यदि प्रबन्धक उचित समय पर इन अवसरों को पहचान लेते है व इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए उचित नीतियां बना लेते है, तो इससे व्यवसाय प्रगति की और अग्रसर होता है। अच्छे अवसर निम्न दशाओ में उतपन्न होते है :

(i) सरकारी नीतियों में सकारात्मक बदलाव।


(ii) राजनीतिक वातावरण में सकारात्मक बदलाव।


(iii) आर्थिक वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन


(iv) तकनीकी वातावरण में बदलाव व नई तकनीक को तेजी से अपनाना आदि।




4. चुनौतियों का विश्लेषण करना - अगले चरण में व्यावसायिक इकाई की चुनोतियों को पहचाना जाता है। चुनौतियों का तातपर्य किसी संगठन की प्रतिकूल स्थितियों से है। ये चुनौतिया संगठन के बाहरी वातावरण में पाई जाती है। व्यवसाय के राजनीतिक, कानूनी, प्रतिस्पर्धात्मक, सामाजिक सांस्कृतिक वातावरण में प्रतिकूल परिवर्तन आने से इसे चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि प्रबन्धक इज चुनौतियों का सामना करने के लिए उचित नीतियां नही बनाते या इन चुनौतियों को पहचान नही पाए तो इससे व्यावसायिक इकाई को बहुत नुकसान होता है। कुशल व दूरदर्शी प्रबन्धक उचित समय पर रणनीतियां बना कर इन चुनौतियों के प्रभाव को यथासम्भव कम कर पाते है। यदि इन चुनौतियों की दशा में उचित समय पर उचित रणनीति नही बनाई जाती, तो इससे कई बार व्यवसाय को बंद करने की स्थिति भी आ जाती है। निम्न तत्वों के कारण चुनौतियां उतपन्न होती है :

(i) सुदृढ प्रतियोगी इकाई का बाजार में प्रवेश।


(ii) सरकारी नीति में प्रतिकूल परिवर्तन


(iii) तकनीकी वातावरण में प्रतिकूल परिवर्तन जिससे विद्यमान टेक्नोलॉजी व्यर्थ हो जाए।


(iv) सामाजिक व सांस्कृतिक वातावरण में प्रतिकूल परिवर्तन आदि।


(v) आर्थिक वातावरण में प्रतिकूल परिवर्तन।




सवोट विश्लेषण के उपयोग (Uses of SWOT Analysis)


सवोट विश्लेषण के मुख्य उपयोग निम्नलिखित है :

1. यह व्यवसाय की रणनीति निर्धारित करने में सहायक होता है।


2. निर्णय लेने की प्रक्रिया में इसे प्रयोग किया जाता है।


3. व्यवसाय के बाहरी तथा आंतरिक तत्वों का विश्लेषण, व्यवसाय के भविष्य के बारे में एक सम्पूर्ण तस्वीर बनाने में मदद करता है।


4. यह प्रतिस्पर्धा का सफलतापूर्वक सामना करने में व्यवसाय की मदद करता है।


5. सवोट विश्लेषण व्यवसाय की दुर्बलताओं को न्यूनतम करने एवम शक्तियों को अधिकतम करने में सहायक होता है।


6. यह व्यवसाय को मिले अवसरों का लाभ उठाने तथा चुनौतियों से बचने में सहायक होता है। 

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