कर नियोजन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम कर नियोजन के बारे में जानेंगे।


कर नियोजन (Tax Planning)

कर नियोजन से अभिप्राय करारोपण के विधान का पूर्ण तथा गहन अध्ययन करके उसके द्वारा दी गयी छूटों, कटौतियों, रियायतों, आदि का पूर्ण लाभ उठाकर कर भार को न्यूनतम करना है। कर नियोजन एक सकारात्मक विधि है जिसमे विधान के आयोजनों का उल्लंघन किए बिना तथा विधान की भावनाओ तथा उद्देश्यों के अनुकूल छूटों, रियायतों तथा कटौतियों का पूर्ण लाभ उठाते हुए कर भार को कम किया जाता है।



Tax Planning ke bare me jane in Hindi
Tax Planning ke bare me jane in Hindi




इस प्रकार से ओर भार को कम करने का प्रत्येक करदाता को पूर्ण अधिकार है तथा इसे सरकार, समाज तथा न्यायालय बुरी नजर से नही देखता है।


वास्तव में ये छूटें, कटौतियां, रियायतें आदि विधानमंडल ने कुछ सामाजित एवं आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के विचार से दी है।



कर नियोजन के उद्देश्य (Objectives of Tax Planning)

कर नियोजन से कर दायित्व कम किया जाता है। प्रत्यक्ष कर अधिनियमो के अंतर्गत कुछ सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अनेक प्रकार की छूटें प्रदान की गई है। अतः इन छूटों का लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से कर नियोजन किया जाता है।


1. सकल आय में से कटौती लेना - सकल कुल आय में से धारा 80 C से 80 U के अंतर्गत कटौतियां स्वीकृत होती है।


2. कर दायित्व में कमी - कर नियोजन कर दायित्व को कम करने के विचार से किया जाता है। ताकि आय कमाने वाले के पास आवश्यकताओं के लिए सामाजिक दायित्व पूरे करने के लिए एवं भविष्य में व्यवसाय में और धन लगाने के लिए राशि बच सके। यह तभी सम्भव है जब वह विधान में प्रदत सभी छूटों एवं कटौतियों का लाभ उठाएं।


3. उत्पादक विनियोग - कर नियोजन से पैसा उसी व्यक्ति के पास रहता है जिसने उसे मेहनत से कमाया है। यदि यह पैसा सरकार के पास कर के रूप में चला जाता है तो इसके बर्बाद होने तथा आडम्बर पर खर्च होने की पूरी संभावना होती है।


4. लागत में कमी - प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर उत्पादन की लागत को बढ़ाते है। कर नियोजन कर दायित्व को कम करता है। अतः लागत में कमी आती है परिणामस्वरूप अधिक बिक्री, अधिक लाभ एवं सरकार को करों से अधिक आय प्राप्त होती है।


5. आर्थिक उन्नति - किसी भी राष्ट्र की आर्थिक उन्नति उसके नागरिकों की आर्थिक उन्नति पर निर्भर करती है। कर नियोजन से जो बचत होती है, वह आर्थिक उन्नति में सहयोग करती है, परंतु अपवंचन से जो बचत होती है वह काले धन को जन्म देती है तथा समाज मे अनेक विसंगतियां पैदा करती है। कर नियोजन से पिछड़े क्षेत्रों का आर्थिक विकास होता है, आधारभूत ढांचा तैयार होता है तथा आर्थिक उन्नति को उस दिशा में ले जाने में सहायता मिलती है, जहां इसकी अत्यधिक जरूरत होती है।



कर नियोजन की विशेषताएं (Characteristics of Tax Planning)

यह नियोजन का युग है। जिस प्रकार आर्थिक क्षेत्र में आर्थिक नियोजन, प्रबन्ध क्षेत्र में प्रबन्धकीय नियोजन किया जाता है उसी प्रकार करों के क्षेत्र में कर नियोजन किया जाता है। इसकी विशेषताएं इस प्रकार है :

1. उदेश्य - कर नियोजन करदाता तथा सरकार द्वारा किया जाता है। करदाता का उद्देश्य कर दायित्वकम करना है तथा सरकार का उद्देश्य अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त करना है। करदाता किसी कर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किए बिना अपना कर दायित्व कम करना चाहता है। ऐसा वह विभिन्न विकल्पों में से चुनाव करके अधिनियम में स्वीकृत छूटों, राहतों, कटौतियों आदि का समुचित उपयोग करके करता है।


2. नैतिकता - कर नियोजन नैतिक है क्योंकि इसमें प्रावधानों का उल्लंघन किए बिना तथा विधान की भावनाओं तथा उद्देश्यो के अनुकूल कर भार कम किया जाता है। इस प्रकार से कर भार कम करने के प्रयत्न को समाज, सरकार आदि बुरी नजर से नही दिखते हैं।


3. आधार - इसका आधार कर अधिनियमों में दी गयी छूटों, राहतों, कटौतियों, प्रोत्साहन की योजनाओं आदि का अधिकतम समुचित उपयोग है। इन प्रावधानों का नियोजित ढंग से उपयोग करके करदाता अपना कर भार कम करता है।


4. स्वरूप - कर नियोजन के कई स्वरूप होते है जैसे बचत, विनियोग, उद्योग प्रारम्भ करते समय उसका स्थान, संगठन का स्वरूप, मकान सम्पत्ति बनवाने तथा उसका उपयोग करने का नियोजन, पूंजी सम्पत्ति को हस्तान्तरण करने का नियोजन आदि।


5. अवधि - कर नियोजन तत्कालीन या दीर्घकालीन हो सकता है। कुछ ऐसी छूटों, राहते, व कटौतियां स्वीकृत होती है जो तत्कालीन होती है अर्थात उनका लाभ तुरन्त दृष्टिगोचर हो जाता है। तथा कुछ दीर्घकालीन होती है जिनका प्रभाव भविष्य के पड़ता है।




कर नियोजन का महत्व (Importance of Tax Planning)

कर नियोजन का महत्व केवल करदाता के लिए ही नही है, यह देश, समाज, उद्योग, व्यापार आदि सब की भलाई व उन्नति के लिए है।

1. करदाता के लिए - करदाता इसके द्वारा अपना कर भार कम करता है। वह इस उद्देश्य की पूर्ति भिन्न भिन्न प्रावधानों द्वारा प्रदान की गई छूटो, राहतों, कटौतियों आदि की शर्तें पूरी करके इनका लाभ उठाता है। इसके अतिरिक्त ऐसी योजनाओं में विनियोग करता है जिनकी आय कर मुक्त होती है।


2. देश के लिए - इसका अभिप्राय सरकार से है। सरकार कर नियोजन करके अपना राजस्व बढाने के साथ साथ देश हित के लिए अनेक विकास की योजनाएं बनाती है, उसके लिए पूंजी करदाताओं की बचत को विनियोग करवा कर प्राप्त करती है जिससे सरकारी राजस्व पर भार नही पड़ता है।


3. समाज के लिए - कर नियोजन से समाज भी अनेक प्रकार से लाभान्वित होता है। इससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। देश का संतुलित विकास होता है। सर्वसाधारण में अपने भविष्य के बारे में सोचने व नियोजन करने का स्वभाव उतपन्न होता है। अपने परिवार के लिए भविष्य का प्रावधान करने का अवसर मिलता है। जब परिवार का भविष्य सुधरेगा तो स्वतः ही समाज का भविष्य भी सुधरेगा।


4. उद्योग, व्यापार आदि के लिए - कर नियोजन के द्वारा उद्योगों तथा व्यापार, व्यवसाय आदि का संतुलित तथा जरूरत के अनुसार समुचित विकास सम्भव होता है। पिछड़े हुए क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों आदि में कर की छूटों, राहतों व कटौतियों को प्रोत्साहन देकर इन क्षेत्रों में ओद्योगिम विकास कराया जाता है। इससे क्षेत्रों का आर्थिक, सामाजिक व नैतिक विकास होता है और औद्योगिकरण को तीव्र गति मिलती है। 

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