Tax planning for individuals in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम व्यक्तियों के लिए कर नियोजन के बारे में जानेंगे।


व्यक्तियों के लिए कर नियोजन (Tax Planning for Individuals)

एक व्यक्ति निम्न बातों को ध्यान में रखकर अपने कर दायित्व में कमी कर सकता है।

1. कृषि आय - यह आय प्रत्येक करदाता के लिए धारा 10 (1) के अंतर्गत कर मुक्त है। यदि एक व्यक्ति किसी ऐसी फर्म में साझेदार है जिसकी कृषि आय है तो उसे इस आय में से जो ब्याज एवं पारिश्रमिक मिलता है वह भी उस व्यक्ति की कृषि आय माना जाता है, अतः उसे इस राशि पर कर छूट लेनी चाहिए।



Tax planning for individuals in Hindi
Tax planning for individuals in Hindi




2. हिन्दू अविभाजित परिवार चालू करना - यदि कोई व्यक्ति हिन्दू अविभाजित परिवार का सदस्य है तो उसे इसे चालू रखना चाहिए। उसे अपने पूर्वजों से जो भी सम्पत्ति प्राप्त हो, उस सम्पत्ति को हिन्दू अविभाजित परिवार की सम्पत्ति रखनी चाहिए। ऐसा करने पर इस सम्पत्ति से जो आय होगी वह परिवार की आय मानकर अलग से करयोग्य होगी। इस प्रकार एक करदाता बाद जाएगा और अपनी आय पर अलग से कर मुक्त सीमा तक कर छूट का लाभ मिलेगा। परिवार के सदस्य को परिवार से जो राशि मिलेगी वह कर मुक्त होगी।




3. उपहार

(i) माता पिता को अपने अवयस्क बच्चों की अपेक्षा वयस्क पुत्रों व पुत्रियों को उपहार देना चाहिए। ऐसी सम्पत्ति से जो आय होगी वह पुत्र/पुत्री की आय मानी जाएगी एवं माता पिता की आय में शामिल नही की जाएगी।


(ii) यदि परिवार में कोई अपंग बच्चा है, तो माता पिता या दादा दादी ऐसे बच्चे की उपहार में सम्पत्ति दे सकते है। इस सम्पत्ति से जो आय होगी, वह अपंग बच्चे की मानी जाएगी और माता पिता की आय में शामिल नही की जाएगी।


(iii) उपहार अपने अवयस्क बच्चे को देने की अपेक्षा अपने अवयस्क पोते पोती को देना चाहिए ऐसी दशा में इस सम्पत्ति से आय उपहार कर्ता की आय में शामिल नही होगी। परन्तु अवयस्क पोते पोती की आय उनके माता पिता की आय में शामिल की जाएगी इससे उनका कर दायित्व बढ़ सकता है।


(iv) यदि मामा, मामी, नाना, नानी, चाचा, चाची आदि उपहार अवयस्क बच्चे को देते है तो इस सम्पत्ति से आय उपहारकर्ता की आय में शामिल नही की जाएगी। अतः ऐसे व्यक्ति उपहार अपनी बहन या बेटी के अवयस्क बच्चों को देकर अपना कर भार कम कर सकते है। परन्तु इससे अवयस्क बच्चे के माता पिता का कर भार बढ़ सकता है।


4. अवयस्क बच्चे की आय - अवयस्क बच्चे की आय उसके पिता या माता की आय में शामिल की जाती है। इस आय के सम्बन्ध में निम्न बातें ध्यान में रखकर कर दायित्व कम किया जा सकता है :


(i) अवयस्क के धन को ऐसे कोष, अंश, यूनिट्स या बॉण्ड में विनियोग करना चाहिए जिसकी आय कर मुक्त है या आय अवयस्क के वयस्क हो जाने पर प्राप्त हो। इससे माता पिता का कर दायित्व कम हो जाएगा।


(ii) यदि अवयस्क की कोई आय उसके माता पिता की आय में शामिल की जाती है तो उन्हें धारा 10 (32) के अंतर्गत 1,500 ₹ तक की कटौती लेनी चाहिए।


5. जीवन साथी की आय - एक जीवन साथी की कुछ आय दूसरे जीवम साथी की आय में शामिल की जाती है। इस आय के सम्बन्ध में निम्न बातें ध्यान में रखकर कर दायित्व कम किया जा सकता है :


(i) यदि विवाह से पहले होने वाले जीवन साथी को कोई सम्पत्ति हस्तांतरित की जाती है, तो इस सम्पत्ति की आय सम्पत्ति हस्तांतरित करने वाले कि आय में शामिल नही की जाती। अतः रिश्ता होने के बाद परन्तु विवाह होने से पहले होने वाले जीवन साथी को ऐसी सम्पत्तियां हस्तान्तरण कर देनी चाहिए जिससे नियमित आय होती है। इस प्रकार भविष्य में हमेशा के लिए कर दायित्व कम किया जा सकता है।


(ii) यदि जीवन साथी को कोई सम्पत्ति अन्तरित की जाती है तो इस सम्पत्ति की आय स्मोत्ति अन्तरित करने वाले की आय में शामिल की जाती है। परन्तु सम्पत्ति से होने वाली आय को पुनः विनियोजित करने से जो आय होती है उसे सम्पत्ति अन्तरित करने वाले की आय में शामिल नही किया जाता। अतः इससे दीर्घकालीन अवधि में कर दायित्व में कमी आएगी।


(iii) यदि एक जीवन साथी का किसी व्यापारिक संस्था में सारवान हित है और दूसरे जीवन साथी को उस संस्था से वेतन, कमीशन, फीस या अन्य पारिश्रमिक मिलता है, तो ऐसी आय दूसरे जीवन साथी की आय में शामिल की जाती है। आय के इस मिलन को रोकने के लिए जीवन साथी को उस संस्था में अपना हित कम कर लेना चाहिए ताकि उस संस्था में सारवान हित न रहे।


6. पुत्र वधू की आय - कर दायित्व अपने पुत्र की पत्नी को कुछ सम्पत्ति बिना उचित प्रतिफल के हस्तांतरित करता है तो उस सम्पत्ति से आय सम्पत्ति हस्तान्तरण करने वाले की आय में शामिल की जाती है। इस आय के सम्बन्ध में निम्न बातें ध्यान में रखकर कर दायित्व कम किया जा सकता है :


(अ) सास या श्वसुर को पुत्र का रिश्ता होने के बाद परन्तु उसके विवाह से पहले होने वाली पुत्रवधू को सम्पत्ति हस्तान्तरित कर देनी चाहिए। इस सम्पत्ति से आय उनकी आय में शामिल नही की जाएगी।


(ब) पुत्रवधू को सास श्वसुर से प्राप्त राशि को उसी प्रकार विनियोग करना चाहिए।


(स) सास श्वसुर को सम्पत्ति पुत्र वधू को देने की ब्याज पुत्र के हिन्दू अविभाजित परिवार को देनी चाहिए। सास श्वसुर इस परिवार के सदस्य नही होंगे अतः हिन्दू अविभाजित परिवार की इस सम्पत्ति से आय सास श्वसुर की आय में शामिल नही होगी। इस प्रक्रिया से एक अतिरिक्त करदाता हो जायेगा जिसे या तो कर नही देना होगा या कम दर से देना होगा।


(द) यदि करदाता खुद के रहने के लिए एक से अधिक मकान काम मे ला रहा है तो उसे एक मकान पुत्र वधू को उनके रहने के लिए अन्तरित कर देना चाहिए। ऐसी दशा में उस मकान से मानी गयी आय करदाता की आय में शामिल नही होगी। 

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