limitations of environmental analysis in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम वातावरण विश्लेषण की सीमाएं और दायित्व के बारे में समझेंगे।



वातावरण विश्लेषण की सीमाएं (Limitations of Environmental Analysis)


1. अप्रत्याशित घटनाएं - वातावरण विश्लेषण में भविष्य में होने वाले अवसरों व चुनोतियों के बारे में अनुमान लगाया जाता है। परन्तु भविष्य हमेशा अनिश्चित होता है। व्यवसाय को बहुत से तत्व प्रभावित करते है। इनमे कभी भी, किसी भी तत्व मव कोई भी अप्रत्याशित परिवर्तन आ सकता है। अप्रत्याशित परिवर्तनों के कारण वातावरण विश्लेषण द्वारा निकाले गए परिणाम सही नही देते।




limitations of environmental analysis in Hindi
limitations of environmental analysis




2. रणनीति बनाने में वातावरण विश्लेषण एक मात्र तत्व नही है - रणनीति का निर्माण के आगामों पर आधारित होता है। इन्ही आगामों में से वातावरण विश्लेषण एक है। अतः वातावरण रणनीति को प्रभावित करने वाला एकमात्र तत्व नही है। इसलिए वातावरण विश्लेषण इस बात की कोई गारंटी नही देता की बनाई गई रणनीति हमेशा ही प्रभावशाली होगी।




3. अशुद्ध आंकड़े - वातावरण विश्लेषण के परिणाम तभी विश्वसनीय होंगे जब पूर्वानुमान में प्रयोग किए गए आंकड़े शुद्ध होंगे। परन्तु ऐसा भी हो सकता है कि ये आंकड़े अशुद्ध हो। अशुद्ध आंकड़ों की दशा में वातावरण विश्लेषण प्रभावशाली नही रहेगा।


4. वातावरण विश्लेषण से प्राप्त सूचनाओं पर अधिक निर्भरता - वातावरण विश्लेषण निर्णय लेने वाले प्रबन्धक को बहुत अधिक सतर्क बना देता है। प्रबन्धक कोई भी निर्णय लेने से पहले, वातावरण का विश्लेषण करता है। ऐसा करने से यह सम्भव है कि वातावरण विश्लेषण द्वारा किसी नए उत्पाद को जोखिमपूर्ण पाया जाए और इस आधार पर उस नए उत्पाद का उत्पादन न करने का फैसला लिया जाए। लेकिन ऐसा हो सकता है कि वह नया उत्पाद जो अभी जोखिमपूर्ण है, लेकिन आगे चलकर बहुत ही लाभप्रद हो। अतः यह हो सकता है कि वातावरण विश्लेषण के बारे में अधिक सतर्क होने के कारण हम एक अच्छे अवसर का लाभ नही ले पाए।




वातावरण विश्लेषण का दायित्व (Responsibility for Environment Analysis)


वातावरण विश्लेषण का कार्य उच्चस्तरीय प्रबन्ध का है। वातावरण विश्लेषण का दायित्व निम्न श्रेणी के अधिकारियों पर नही डाला जा सकता। कुछ व्यावसायिक संगठनों में प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली का अलग विभाग होता है, जरूरत पड़ने पर, प्रबन्ध को आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध करवाता है। वातावरण विश्लेषण के कार्य मे इस विभाग की मदद की जा सकती है, क्योकि यह विभाग नीति निर्धारण और रणनीति के निर्माण के लिए सूचनाएं प्रदान करता है।


वातावरण विश्लेषण का कार्य एक उच्चस्तरीय समिति को भी दिया जा सकता है। इस समिति में विभिन्न विभागों जैसे विभाग, क्रय विभाग, विपणन विभाग, अनुसन्धान एवं विकास विभाग इत्यादि के उच्चतर अधिकारी सदस्य होते है। बड़े व्यवसायिक संगठनों में वातावरण विश्लेषण के लिए एक अलग विभाग बनाया जाता है। यह विभाग अन्य विभागों की तरह व्यावसायिक संगठन का स्थायी अंग होता है।


यह विभाग योग्य व प्रभावशाली अधिकार की देख रेख में कार्य करता है। वातावरण विश्लेषण के लिए अलग विभाग बनाने से खर्चे तो जरूर ही बढ़ते है, लेकिन इससे यह फायदा है कि यह विभाग सारा साल निरन्तर वातावरण विश्लेषण के कार्य मे लगा रहता है और जहां भी कोई अवसर या चुनौती का पता लगता है, उसी समय उस अवसर का लाभ उठाने के लिए, या चुनौती का सामना करने के लिए योजनाएं बनाने में मदद करता है। परन्तु ऐसा अलग विभाग बनाना, छोटे व्यावसायिक संगठनों में सम्भव नही है। 

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