Sale of Partnership firm to a company in hindi

हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम साझेदारी फर्म का कंपनी को विक्रय के बारे में जानेंगे।


साझेदारी फर्म का कंपनी को विक्रय (sale of partnership firm to a company in hindi)

कई बार साझेदारी फर्म अपने व्यवसाय को एक वर्तमान कंपनी को बेच देती है या फर्म को एक कंपनी में परिवर्तित कर लिया जाता है। साझेदारी फर्म को कंपनी में परिवर्तित इसलिए किया जाता है क्योंकि साझेदारी में उनका दायित्व असीमित होता है जबकि कंपनियों में सीमित दायित्व होता है। इसके अतिरिक्त कंपनी अधिनियम 1956, के अंतर्गत कंपनियों को और भी अनेक सुविधाए प्राप्त है जिनका लाभ उठाने के लिए साझेदार अपनी फर्म को कंपनी में परिवर्तित करने के लिए आपस मे एक समझौता कर लेते हैं। ऐसी दशा में फर्म का विक्रय मूल्य आपसी समझौते द्वारा निर्धारित कर लिया जाता है। जिस फर्म की बिक्री होती है उसका विघटन हो जाता है और सभी साझेदारो को आपसी समझौते के अनुसार नई कंपनी में अंश प्राप्त हो जाते है और वे नई कंपनी के अंशधारी बन जाते है।




Sale of Partnership firm to a company in hindi
Sale of Partnership firm to a company in hindi





साझेदारी फर्म की पुस्तकों में लिखे 
(Accounting Records in the Books of Partnership Firm)

विक्रय होने वाली साझेदारी फर्म की पुस्तकों में निम्नांकित खाते बनाए जाते है :

1. वसूली खाता - इस खाते में निम्न लिखे किए जाते है :

(i) इस खाते के डेबिट पक्ष में वे सब सम्पत्तियां हस्तांतरित की जाती है जिन्हें कंपनी ने क्रय किया है। सम्पत्तियों का हस्तांतरण हमेशा चिट्ठे में दिए हुए मूल्यों पर ही किया जाता है। यदि कंपनी ने सभी सम्पत्तियां ली है तो विक्रेता फर्म के रोकड़ शेष को भी इस खाते के डेबिट में हस्तांतरित किया जाएगा।


(ii) यदि कंपनी ने कोई सम्पत्ति नही की है और यदि उस सम्पत्ति को फर्म ने खुद विक्रय कर दिया है तो उसके विक्रय से हुई हानि से वसूली खाते को डेबिट और लाभ से वसूली खाते को क्रेडिट कर दिया जाएगा।


(iii) यदि कोई सम्पत्ति कंपनी से नही ली है और उसे बाजार में विक्रय भी नही किया गया है तो उसे साझेदारों के पूंजी खातों के डेबिट पक्ष में उनकी अंतिम पूंजी अनुपात में हस्तांतरित कर दिया जाएगा।


(iv) जिस राशि के बदले कंपनी फर्म के व्यवसाय को क्रय करती है उसे क्रय मूल्य कहते है। इस राशि से कंपनी कर खाते को डेबिट तथा वसूली खाते को डेबिट तथा वसूली खाते को क्रेडिट किया जाता है।


(v) वसूली के व्यय यदि विक्रेता फर्म ने किए हो तो उन्हें वसूली खाते के डेबिट में और रोकड़ खाते के क्रेडिट में लिखते है।


(vi) वसूली खाते के लाभ या हानि को साझेदारो के पूंजी खातों में उनके लाभ विभाजन अनुपात में हस्तांतरित कर दिया जाएगा।


(vii) वह लेनदार और बाह्य दायित्व जिन्हें कंपनी ने लिया है वसूली खाते के क्रेडिट में हस्तांतरित किए जाते है और इनके लिए अन्य कोई समायोजन करने की जरूरत नही होती है। परन्तु वह लेनदार या दायित्व जिन्हें फर्म खुद भुगतान करती है उनके लिए वास्तविक भुगतान राशि को दायित्व के खाते में डेबिट कर दिया जाता है और पुस्तक मूल्य और वास्तविक भुगतान राशि के अंतर को वसूली खाते में हस्तांतरित कर दिया जाता है।


2. क्रय करने वाली कंपनी का खाता - इस खाते के डेबिट में क्रय मूल्य लिखा जाता है और कंपनी से प्राप्त रोकड़, अंश तथा ऋणपत्रों को इस खाते के क्रेडिट में लिखते है।


3. पूंजी खाते - इन खातों में पुंजिया, सामान्य संचय, अवितरित लाभ, वसूली खाते का लाभ हानि आदि लिखकर अंतिम पूंजियां ज्ञात कर ली जाती है। क्रेता कंपनी से प्राप्त किए गए अंशो और ऋणपत्रों को सभी साझेदार इन अंतिम पुंजियो के अनुपात में आपस मे बांट लेते है। साझेदारो की पूंजियो के अंतिम शेष को रोकड़ द्वारा भुगतान कर दिया जाता है। 

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