Factors which Influence Listening


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम श्रवण को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में समझेंगे।


श्रवण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors which Influence Listening)

प्रभावपूर्ण श्रवण को निम्नलिखित घटक प्रभावित करते हैं :

1. वार्तालाप न करें - दुर्भाग्यवश हममे से अधिकांश सुनने की अपेक्षा बोलने पर अधिक जोर देते हैं। जब हम बात न कर रहे हो तब भी यही सोचते है कि आगे हम क्या कहेंगे। अतः श्रवण की पहली शर्त यही है कि आप वार्तालाप न करें।



Factors which Influence Listening in Hindi
Factors which Influence Listening in Hindi




2. वक़्ता को शांत वातावरण प्रदान करें - अगर आप वक़्ता को शांत वातावरण देते है तो वह अपने कथन को अच्छी तरह आपके सामने प्रस्तुत कर पाएगा। तभी आपको काम के लिए बेहतर सूचनाएँ मिल पायँगी।


3. वक़्ता को दर्शाएं की आप सुन्ना चाहते हैं - अगर आप वक़्ता को यह दर्शाएं की आप उसकी बात समझने के लिए सुन रहे है ना कि उसका विरोध करने के लिए तो आप एक ऐसा वातावरण बनाने में सहायक होते है जिससे आपको अधिकाधिक सूचना मिल पाएगी। आपको ऐसा दर्शाना चाहिए कि आप सुनने में रुचि ले रहे है। ऐसे कार्य जैसे पढ़ना, घड़ी देखना या बाहर देखना, वक़्ता को विचलित करते हैं।


4. अवरोधों को हटाना - ऐसे कार्य जो वक़्ता का ध्यान भंग करते है जैसे : पेंसिल की आवाज करना, कागजो को इधर उधर करना आदि, ये हमे नही करना चाहिए।


5. वक़्ता के साथ सहानुभूति प्रदर्शन करना - अगर आप खुद को वक़्ता के स्थान पर रखकर सोचें तो आप समझेंगे की ऐसा उचित वातावरण तैयार करना चाहिए जिसमें आपको अधिकाधिक मात्रा में सूचना प्राप्त हो सकें।


6. धैर्यवान बनें - वक़्ता को समुचित समय देना चाहिए। याद रखें कि आप बात को तभी अच्छी तरह समझ पाएंगे। हस्तक्षेप ना करें क्योंकि हस्तक्षेप करने से सूचना के आदान प्रदान में बाधा उतपन्न होती है।


7. क्रोध न करें - अपनी जानकारी से हमे पता चलता है कि क्रोध संवाद में अवरोध डालता है। क्रोधी लोग अपने इर्द गिर्द दीवार बना लेते है। वो अपने विचारों पर अडिग रहते है और दूसरों के विचारों को नही सुनते।


8. तर्क वितर्क और आलोचना आराम से करें - तर्क वितर्क और आलोचना वक़्ता को रक्षात्मक रवैया अपनाने पर मजबूर कर देते है। इसकी वजह से वक़्ता क्रोधित हो जाता है। अतः चाहे आप तर्क में जीत जाएं तो भी आपकी ही हानि होती है। आलोचना एवं तर्क वितर्क से किसी को कभ नही होता।


9. प्रश्न करें - अनेक प्रश्न करने से आप अपना खुला दृष्टिकोण दर्शाते हैं, साथ ही ये भी दर्शाया जाता है कि आप वास्तव में सुन रहे है इससे वक़्ता को अपना सन्देश देने में सहायता प्राप्त होती है एवं वक़्ता सही ढंग से अपना सन्देश भी दे पाता है।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि हमे अपनी श्रवण क्षमता बढ़ाने के लिए खुद को तैयार करना होगा। अकुशल श्रवणकर्ता की बुराइयां हममे शामिल हो चुकी है। हम अथक प्रयासों से ही इन दोषों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।




अप्रभावी श्रवण की लागत (Costs of Ineffective Listening)

असफल श्रवण के कारण हमें समय, धन और सम्बन्धो की हानि उठानी पड़ती है।

समय की हानि - श्रवण की गलती के कारण कभी हमे सबसे मूल्यवान संसाधन अर्थात समय की हानि उठानी पड़ती है। कितनी बार हम गलत रेस्टोरेंट, कक्षा या होटल में चले जाते है। कभी कभी अपने पिछले सम्बन्धों के कारण बिना दूसरों की सुने हम तय कर लेते है कि हमे अपने मित्रों से कहाँ मिलना है, और उन्हें क्या कहना है। ध्यान से न सुनने के कारण हम बहुत सी गलतियां करते है। तब भी जब हम सोचते है कि हमने बहुत ध्यान से सुना है, उसी समय के दौरान बताया हुआ फोन नम्बर, निर्देश या नए शहर के बारे में सुन कर भी हम भूल जाते है। जिसका असर समय और पैसे की बर्बादी के रूप में हमारे सामने आता है।


धन की हानि - हमारा सबसे बड़ा प्रेरक मुद्रा या धन है। हम इसे कमाते है, बचाते है और खर्च करते है। अधिकतर हम सबको निवेश करना सिखाया जाता है। परंतु ध्यान से न सुनने के कारण हम इसी धन को बर्बाद करते है। सुनने पर ध्यान न देना या थोड़ा देना कभी कभी बहुत खतरनाक हो जाता है जैसे पत्र को दोबारा टाइप करना, माल को दोबारा जहाजो पर लादना, आदेशों को दोबारा मानना, दोबारा स्टॉक को चैक करना आदि।


खोया गया सम्बन्ध - अपर्याप्त श्रवण व्यक्तिगत तथा पेशेवर सम्बन्धो के बीच प्रतिरोध तथा गलतफहमी पैदा कर देता है। हम उनसे बात करना चाहते है जो हमारी बात को अहमियत देते है। जब कोई हमारी नही सुनता यानी हमारी प्रार्थना या जरूरत की और ध्यान नही देता तो वह बात हम व्यक्तिगत तौर पर ले सकते है। इस बात पर विशवास करना बहुत मुश्किल है कि कोई हमारा ध्यान रखता है तब जब वह हमारे निर्देशों को अनसुना करें, महत्वपूर्ण तारीखें भूल जाए हमारा जन्मदिन भूल जाए, बात करते समय हमारी बात में रुकावट डालें। अपर्याप्त श्रवण के कारण हम उस व्यक्ति या रिश्ते में अपना विश्वास खो देते हैं। 

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