Types and Functions of Body Language in hindi


हेलो दोस्तों।

आज हम कायिक भाषा के प्रकार और कार्यों के बारे में जानेंगे।



कायिक भाषा के प्रकार (Types of Body Language)

कायिक भाषा को निम्नलिखित वर्गों में रखा जा सकता है :

1. आसन - प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक संरचना प्रकति द्वारा बनाई हुई होती है। यह केवल सतत व्यायाम, योग, कसरत आदि से अधिक आकर्षक व सक्रिय बनाई जा सकती है। प्रकृति द्वारा बनाई हुई शरीर संरचना में कोई मौलिक परिवर्तन सम्भव नही है। शारीरिक संरचना के अनुरूप व्यक्ति विभिन्न आसनों द्वारा अपने आंतरिक भावों को संचारित करता है। चूंकि आवाज की अपेक्षा आसन पर व्यक्ति का नियंत्रण कम होता है, इससे व्यक्ति की भावात्मक स्थिति का संकेत मिल सकता है जिसे आमतौर पर आसानी से छिपाया जा सकता है।


2. भाव भंगिमा - शरीर के विभिन्न अंगों जैसे बांहों, टाँगों, हाथों, धड़ और सिर को हिलाने डुलाने को भंगिमा कहा जाता है। शरीर के इन अंगों में से प्रत्येक को हिला डुला कर हम अपने भाषायी सन्देश पर जोर दे सकते है या उसे पुष्ट कर सकते है। हम यह भी देख सकते है कि दूसरे व्यक्ति अपने भाषायी कथनों कर बीच बीच मे केसी केसी भंगिमाओं का प्रयोग करते है। भंगिमा की संचार में एक अहम भूमिका है। मौखिक संचार में भाषण तथा भंगिमा का उचित समन्वय संचार को कई गुना प्रभावी बना देता है।




Types and Functions of Body Language in hindi
Types and Functions of Body Language in hindi




3. मुख्यभिव्यक्ति - चेहरे की अभिव्यक्तियाँ कायिक भाषा का सर्वप्रमुख अंग है। कायिक भाषा के माध्यम से अभिव्यक्ति हो रहे कार्य के अधिकांश को जानने के लिए हम व्यक्ति के चेहरे को देखते है। जैसे प्रसन्नता, आश्चर्य, भय, क्रोध और दुख इन सबके लिए चेहरे की अलग अलग किंतु निश्चित अभिव्यक्तियाँ।



4. नेत्र सम्पर्क - आंखों को आत्मा की खिड़की माना जाता है। अतः यह सूचना कोई आश्चर्य की बात नही है कि लोग अपना काफी समय परस्पर आंखों की और घूरकर देखने मे लगाते है। परस्पर आंखों की और घूरकर देखने का ही पुराना नाम नेत्र सम्पर्क है।




5. कायिक सम्पर्क - कायिक सम्पर्क के अंतर्गत पीटना, धक्का देना, पकड़ना, हाथ मिलाना, स्पर्श करना आदि क्रिया कलाप आते है। उनका उपयोग भिन्न पारस्परिक सम्बन्धों और स्थितियों में अलग होते है।

समझा जाता है कि संचार का सबसे प्राचीन रूप स्पर्श था। भाषा सीखने से बहुत पहले मानव स्पर्श द्वारा ही सूचना देता एवं प्राप्त करता था। स्पर्श के अनेक प्रकार है। जैसे संक्षिप्त स्पर्श, दीर्घकालिक स्पर्श, दृढ़ स्पर्श, कोमल स्पर्श और कई अंगों को स्पर्श किया जा सकता है। स्पर्श के अर्थ, स्पर्श के प्रकार एवं कार्य के अनुसार बदल जाते है। इसी प्रकार स्पर्श का अर्थ सन्दर्भ बदलने पर भी बदल जाता है।



6  बाह्य रूप - व्यक्ति के प्रकट रूप से भी अशाब्दिक छाप पड़ती है जिससे दर्शक का दृष्टिकोण प्रभावित होता है। बाह्य रूप दो प्रकार के हो सकते है व्यक्तिगत रूप और परिवेश के रूप। व्यक्तिगत रूप के अन्तर्गत व्यक्ति के कपड़ें, बालों का साज सवार, स्वच्छता, गहने, श्रृंगार, आसन तथा कद आदि शामिल है। और परिवेश के अंतर्गत कमरे का आकार, स्थान, मशीन, भवन निर्माण कला, दीवारों की सजावट, फर्श, प्रकाश व्यवस्था खिड़कियां, वहां से क्या क्या दिखाई देता है आदि आते है।



7. चुप्पी - चुप्पी संचार का स्वाभाविक एवं मूलभूत पहलू है, यद्यपि इसी और पर्याप्त ध्यान नही दिया जाता। चुप्पी को संचार की अनुपस्थिति नही माना जाना चाहिए। व्यक्तियों के बीच मे संचार चुप्पी के द्वारा भी होता है और चुप्पियां संचार का अभिन्न अंग है। वास्तव में लोगो के बीच प्रभावशाली संचार चुप्पियों के ऊपर बहुत अधिक निर्भर करता है क्योंकि वार्तालाप में बारी बारी से बोलते है और सुनने के लिए चुप हो जाते है। चुप्पी संचार का बड़ा आश्चर्यजनक अंग है।



कायिक भाषा के कार्य (Functions of Body Language)

1. कायिक भाषा से लोगो की भावनाओ एवं इरादों के विषय मे सूचना मिल जाती है।


2. वार्तालाप का नियमन करने में भी उसका उपयोग हो सकता है।


3. कायिक भाषा से पारस्परिक घनिष्टता भी प्रकट होती है।


4. कायिक भाषा का उपयोग दूसरे पर काबू पाने या उसे नियंत्रित करने के लिए भी होता है।


5. कायिक भाषा का उपयोग ध्वेय प्राप्ति को आसान करने के लिए भी होता है। इशारा करना इसका उदहारण है। 

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