Listening Skills के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम श्रवण कला (Listening Skills) के बारे में जानेंगे।


श्रवण कला (Listening Skills)

हमारे दो कान है परंतु केवल एक मुँह यह इसलिए क्योंकि भगवान जानता था कि बोलने की अपेक्षा सुन्ना बहुत कठिन है। अच्छा श्रोता बनने के लिए अभ्यास और कौशल की जरूरत है। क्योंकि एक वक्ता सूचनाएँ, श्रोताओं के ऊपर फेंकता नही है जैसे नकली तीर लक्ष्य पटल पर फेके जाते है। बल्कि यह एक अमूर्त पदार्थ है जिसे वक़्ता द्वारा जरूर भेजना चाहिए और एक सक्रिय श्रवणकर्ता द्वारा प्राप्त करना चाहिए।



What is Listening Skills and Importance Nature and Types of Listening in Hindi
What is Listening Skills and Importance Nature and Types of Listening in Hindi




एक सामान्य व्यक्ति के लिए, श्रवण सुनने की भांति ही है। परंतु असल मे श्रवण केबल सुन्ना ही नही, बल्कि इससे कुछ अधिक है।


श्रवण का अर्थ बिक्री का होना या न होना, ग्राहक को पाना या खोना, समूह को प्रेरित करना, एक कर्मचारी के सम्बंध को सुधारना या नष्ट करना आदि के अंतर को बताना है। श्रवण मन की एक निष्क्रिय अवस्था नही है बल्कि एक स्वामी या प्रबन्धक के नाते यह सभी व्यावसायिक क्रियाओं के लिए पूर्वगामी वस्तु है। आप उन लोगो से भी अधिक लाभ प्राप्त कर लेंगे अगर आप यह जान ले कि "कैसे सुना जाए"।




श्रवण का महत्व (Importance of Listening)

संचार सम्बन्धी विषय के अध्ययन के लिए श्रवण अत्यंत आवश्यक है। इसके तीन प्रमुख कारण है :

1. भाषा के प्रयोग में श्रवण, शाब्दिक कुशलता का पहला गुण है इसके बाद बोलने, पढ़ने और लिखने का क्रम आता है।


2. हमारे शाब्दिक संचार समय का 45 प्रतिशत भाग श्रवण के हिस्से में आता है।


3. व्यापार क्षेत्र में भी श्रवण महत्वपूर्ण है।




श्रवण की प्रकृति (Nature of Listening)

श्रवण को मुख्य रूप से हम ध्वनि बोध की क्रिया के नए रूप में समझते है। परंतु वास्तव में श्रवण ध्वनि खोजने या मापने से अधिक है

1. बोध करना - हम सब कुछ अच्छी तरह से नही सुन सकते। हमारे चारों और बोले गए शब्दों का बोध हम कैसे करे यह दो तत्वों द्वारा निर्धारित होता है पहला ध्वनियों को जानने की हमारी योग्यता और दूसरा सुनने की और हमारी सतर्कता या सावधानी।




2. निथरना - इस प्रक्रिया में, दिमाग की विषय सूची एक फिल्टर के रूप में कार्य करती है जिसके माध्यम से आने वाले सन्देशों का अर्थ निकाला जाता है। यह फिल्टरिंग प्रक्रिया गुणवत्ता और यथार्थता के आधार पर बदल सकती है, इसलिए कभी कभी आप सन्देशों को वो अर्थ देते है, जो उन अर्थों से अलग होते है जो अन्य लोग देते है। सक्रिय श्रवण फिल्टरिंग प्रक्रिया द्वारा इन परिवर्तनों के अंतर के प्रति जागरूकता कुछ अर्थों पर आपकी सोच की गहनता को दर्शाती है।


3. याद रखना - जो कुछ हम सुनते है उसे बहुत कम समय के लिए याद रखते है। औपचारिक बातचीत में कई टिप्पणियां केवल हम थोड़ी अवधि के लिए याद रखते है। औपचारिक मौखिक संचारों में अधिकतर सन्देशों को हम जल्दी से भूल जाते है केवल सन्देश का एक चौथाई हिस्सा हम दो दिन तक याद रख सकते है।




श्रवण के प्रकार (Types of Listening)

श्रवण चार प्रकार का होता है :

1. विषय सूची श्रवण - विषय सूची श्रवण का मुख्य उद्देश्य प्रेषक द्वारा दी गई जानकारी को समझना और सूचनाओ का संग्रहण करना है। श्रोता भी प्रश्न कर सकता हैं परंतु मुख्यत प्रेषक ही सारी सूचनाएँ उपलब्ध करवाता है। श्रोता का मुख्य कार्य प्रेषक के सन्देश के मुख्य बिंदुओं की पहचान करना है। इसलिए श्रोता को कुछ मुख्य बातों और ध्यान केंद्रित करना चाहिए जैसे पूर्वावलोकन, परिवर्तन और सार।


2. आलोचनात्मक श्रवण - आलोचनात्मक श्रवण का मुख्य उद्देश्य प्रेषक के कथन का अनेक स्तरों पर मूल्यांकन करना है। प्रेषक का कथन तर्क संगत है या नही, उसके तत्वों की वैधता एवं उसके निष्कर्षों की प्रमाणिकता है या नही, आपके लिए या आपकी संस्था के लिए उस सन्देश का कोई महत्व है या नही। प्रेषक का मुख्य अभिप्राय क्या है? उसके कथन में महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक बातें सम्मिलित है या नही। किंतु जानकारी एकत्रित करना एवं साथ साथ उसका मूल्यांकन करने बहुत मुश्किल है।


3. सहानुभूति श्रवण - सहानुभूति श्रवण का मुख्य उद्देश्य प्रेषक की भावनाओ और जरूरतों को समझना है जिससे उसकी समस्याओं को सुलझाया जा सके। इसके मुख्य उद्देश्य प्रेषक की मनो स्थिति को समझना है। यद्यपि आपका उद्देश्य समस्या का समाधान करना नही है। सहानुभूति श्रवण से आप प्रेषक की उन भावनाओ को प्रकट करने का अवसर देते है जिनकी वजह से प्रेषक उन समस्याओं को सुलझा नही पाता है।


4. सक्रिय श्रवण - सक्रिय श्रवण सबसे महत्वपूर्ण है। श्रोता को प्रेषक की बातों को दोहराना पड़ता है जिससे प्रेषक को यह विश्वास हो जाए कि उसकी बातों को कोई समझ रहा है। उसकी बातों को प्रस्तुत करके ऐसा वातावरण बनाया जाता है, जिसमे श्रोता, प्रेषक की बातों को बिना कोई सुझाव दिए और बिना किसी आलोचना के स्वीकार कर लेता है।

सक्रिय ढंग से सुनने वाला, प्रेषक को अपनी बातें व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है। श्रोता इस तरह का वातावरण बनाता है कि प्रेषक अपने विचार को पूर्णत व्यक्त कर पाए। श्रोता अपनी तटस्थ टिप्पणियों से प्रेषक को प्रोत्साहित करता है। 

Post a Comment