रोकड़ प्रबंध का अर्थ और उद्देश्य क्या है


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम रोकड़ प्रबन्ध और इसके उद्देश्यों के बारे में समझेंगे।

सबसे पहले रोकड़ का मतलब समझना होगा



रोकड़ का अर्थ (Meaning of Cash)

रोकड़ प्रबन्ध के उद्देश्य से रोकड़ शब्द में न केवल सिक्कों, नोटों, चैकों, बैंक ड्राफ्टों, बैंकों में मांग पर देय निक्षेपों को ही सम्मिलित किया जाता है बल्कि रोकड़ के निकट की सम्पत्तियों को भी सम्मिलित किया जाता है। रोकड़ के निकट की सम्पत्तियों से अभिप्राय है - विपणन योग्य प्रतिभूतियां, बैंकों में अवधि निक्षेप आदि से है। रोकड़ के निकट की सम्पत्तियों को रोकड़ में इसलिए शामिल किया जाता है क्योंकि इन सम्पत्तियों को शीघ्रतापूर्वक रोकड़ में परिवर्तित किया जा सकता है।




रोकड़ प्रबन्ध का अर्थ (Meaning of Cash Management)

रोकड़ प्रबन्ध शब्द से आशय रोकड़ तथा रोकड़ के निकट की सम्पत्तियों के प्रबन्ध से है। अतः रोकड़ प्रबन्ध के अंतर्गत निम्नलिखित को शामिल किया जाता है :

1. व्यवसाय में जरूरी रोकड़ की अनुकूलतम मात्रा का निर्धारण करना।




Meaning of Cash Management and Main Objectives of Cash Management
Meaning of Cash Management and Main Objectives of Cash Management 




2. रोकड़ शेष को अनुकूलतम स्तर पर बनाए रखना तथा आधिक्य रोकड़ को लाभप्रद विनियोगों में निवेश करना।


3. देनदारों तथा प्राप्य बिलों से शीघ्रतापूर्वक रोकड़ एकत्रित करने तथा लेनदारों व देय विपत्रों को उचित समय मे रोकड़ का भुगतान करना।




रोकड़ प्रबन्ध के मुख्य उद्देश्य (Main Objectives of Cash Management)

रोकड़ प्रबन्ध के अंतर्गत रोकड़ सम्बन्धी कुछ महत्वपूर्ण कार्य किए जाते है। इसके उद्देश्य इस प्रकार है :

1. अनुकूलतम रोकड़ शेष बनाए रखना

2. अनुकूलतम रोकड़ शेष की आवश्यकता को न्यूनतम स्तर पर रखना


1. अनुकूलतम रोकड़ शेष बनाए रखना - रोकड़ प्रबन्ध का एक मुख्य उद्देश्य व्यवसाय के लिए आवश्यक अनुकूलतम रोकड़ शेष की मात्रा का निर्धारण रोकड़ शेष का निर्धारण करके इस अनुकूलतम रोकड़ शेष को बनाए रखना है। व्यवसाय में अनुकूलतम रोकड़ शेष का निर्धारण करने के लिए व्यवसाय की तरलता तथा लाभप्रदता के मध्य सन्तुलन स्थापित करना जरूरी होता है।


व्यवसाय में रोकड़ शेष जितना अधिक होगा, तरलता की मात्रा उतनी ही अधिक होती है। व्यवसाय में पर्याप्त तरलता होने के परिणामस्वरूप सभी दायित्वों का शीघ्रतापूर्वक भुगतान व शीघ्र भुगतान से मिलने वाले लाभ सुनिश्चित हो जाते है। परंतु अत्यधिक तरलता से अर्थात व्यवसाय में अत्यधिक रोकड़ शेष होने से रोकड़ बेकार पड़ी रहती है और अलाभप्रद सम्पत्तियों में फंसी रहती है। अतः व्यवसाय में रोकड़ शेष न हो तो बहुत अधिक होना चहिए और न ही बहुत कम।



2. अनुकूलतम रोकड़ शेष की आवश्यकता को न्यूनतम स्तर पर रखना - रोकड़ प्रबन्ध का दूसरा उद्देश्य अनुकूलतम रोकड़ शेष की आवश्यकता को न्यूनतम स्तर पर रखना है। इसके लिए रोकड़ के प्रवाह को नियंत्रित किया जाना चाहिए अर्थात रोकड़ को देनदारों व प्राप्य बिलों से शीघ्रतापूर्वक एकत्रित करके सही समय पर दायित्वों का भुगतान किया जाना चाहिए। रोकड़ का संग्रहण शीघ्रतापूर्वक करने से वस्तुओं के विक्रय एवं विक्रय से भुगतान प्राप्ति के बीच समयावधि को कम किया जा सकता है तथा रोकड़ भुगतान उचित समय पर करके नकद छूट, पूर्तिकर्ताओं के साथ मधुर सम्बन्ध आदि लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। 

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