द्वितीयक पूंजी बाजार के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम द्वितीयक पूंजी बाजार के बारे में जानेंगे।


द्वितीयक पूंजी बाजार का अर्थ (Meaning of Secondary Capital Market)

द्वितीयक पूंजी बाजार से आशय ऐसे बाजार से है जिसमें पहले से विद्यमान अर्थात पुरानी प्रतिभूतियों का लेन देन किया जाता है। द्वितीयक पूंजी बाजार को माध्यमिक पूंजी बाजार या गौण पूंजी बाजार भी कहते है। सामान्यता इस बाजार को स्टॉक एक्सचेंज या शेयर बाजार भी कहते है, क्योकि किसी भी पूंजी बाजार में द्वितीयक पूंजी बाजार का प्रतिनिधित्त्व स्टॉक एक्सचेंज द्वारा किया जाता है। स्टॉक एक्सचेंज में विभिन्न प्रतिभूतियों का मूल्य उनकी मांग और पूर्तियों की शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है।




द्वितीयक पूंजी बाजार के बारे में जानकारी
द्वितीयक पूंजी बाजार के बारे में जानकारी





द्वितीयक पूंजी बाजार में लेन देन करने के कारण (Reasons for Transaction in Secondary Capital Market)


द्वितीयक पूंजी बाजार में निम्नलिखित कारणों से लेन देन किया जाता है-

1. तरलता - इस निवेश द्वितीयक पूंजी बाजार में लेन देन तरलता की सुविधा के कारण करते हैं। इस प्रकार के निवेशकर्ताओं के पास या तो मुद्रा का अभाव होता है या फिर मुद्रा की अधिकता होती है। ऐसे निवेशकर्ता जिनके पास मुद्रा का अभाव होता है अपनी प्रतिभूतियों को द्वितीयक पूंजी बाजार में विक्रय करते है जबकि ऐसे निवेशकर्ता जिनके पास मुद्रा की अधिकता होती है, प्रतिभूतियों को इस बाजार से क्रय करते है। इस प्रकार के लेन देन से दोनों प्रकार के निवेशकर्ताओं की तरलता की स्थिति में सुधार आता है।


2. सूचना सम्बन्धी सुविधा - कुछ निवेश सूचना सम्बन्धी सुविधा के कारण द्वितीयक पूंजी बाजार में लेन देन करते है। ऐसे निवेशकर्ताओं को यह भरोसा होता है कि बाजार के दूसरे निवेशकर्ताओं की तुलना में उनके पास विशिष्ट प्रतिभूतियों के सम्बंध में अधिक सूचनाएँ हैं। इन्ही सूचनाओ के आधार पर ये निवेशकर्ता प्रतिभूतियों को कम कीमत या अधिक कीमत वाली प्रतिभूतियों मानकर क्रय या विक्रय करते है।




द्वितीयक पूंजी बाजार के मुख्य कार्य (Main Functions of Secondary Capital Market)


द्वितीयक पूंजी बाजार निम्नलिखित महत्वपुर्ण कार्य करता है -

1. नई प्रतिभूतियों का मूल्य निर्धारित करना - द्वितीयक पूंजी बाजार का मुख्य कार्य एक कंपनी द्वारा निर्धारित की जाने वाली नई प्रतिभूतियों के मूल्य का निर्धारण करना होता है।


2. अंशधारियों की सम्पदा निर्धारण में सहायता करना - द्वितीयक पूंजी बाजार का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य प्रतिभूतियों के मूल्य निर्धारण से अंशधारियों की सम्पदा का निर्धारण होता है।


3. तरलता में वृद्धि करना - द्वितीयक पूंजी बाजार निवेशकर्ता की तरलता की स्थिति में वृद्धि करता है। एक निवेशकर्ता प्राथमिक पूंजी बाजार से प्रतिभूतियों को क्रय करके द्वितीयक पूंजी बाजार में विक्रय करके अपनी तरलता को बढ़ा सकता है। इस प्रकार, किसी भी निवेशकर्ता को असीमित समय तक प्रतिभूतियों को अपने पास संभलकर रखने की आवश्यकता नही होती है।


4. प्रतिभूतियों के स्वामित्व का विस्तार करना - द्वितीयक पूंजी बाजार प्रतिभूतियों के स्वामित्व का विस्तार करता है। इस बाजार के कारण निवेशकर्ता सीधे द्वितीयक पूंजी बाजार से प्रतिभूतियों का क्रय कर सकता है। 

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