रोकड़ बजट तैयार करने की विधियां


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम रोकड़ बजट तैयार करने की विधियों के बारे में समझेंगे।



रोकड़ बजट तैयार करने की विधियाँ (Methods of Prepairing Cash Budget)


रोकड़ बजट तैयार करने की मुख्य तीन विधियाँ है, जो इस प्रकार है :

1. प्राप्ति एवं भुगतान विधि

2. रोकड़ प्रवाह विधि या समायोजित लाभ और हानि विधि

3. स्थिति विवरण विधि



1. प्राप्ति एवं भुगतान विधि - प्राप्ति एवं भुगतान विधि के अन्तर्गत एक इकाई की बजट अवधि के लिए कुल रोकड़ प्राप्तियों एवं कुल रोकड़ भुगतानों का अनुमान लगाया जाता है। इसमें प्रारम्भिक रोकड़ शेष में कुल अनुमानित रोकड़ प्राप्तियों को जोड़ा तथा कुल अनुमानित रोकड़ भुगतानों को घटाया जाता है और अंत मे अंतिम रोकड़ शेष प्राप्त हो जाता है।




Methods of Prepairing Cash Budget in Hindi
Methods of Prepairing Cash Budget in Hindi





प्राप्ति एवं भुगतान विधि में निम्नलिखित चरणों को शामिल किया जाता है -

(i) बजट अवधि का निर्धारण करना - प्रत्येक व्यावसायिक इकाई की जरूरत के आधार पर सबसे पहले बजट अवधि का निर्धारण किया जाता है। सामान्यतः बजट एक वित्तीय वर्ष के लिए तैयार किया जाता है। एक मौसमी प्रकृति के उद्योग के लिए बजट मौसम विशेष की अवधि पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त बजट छ माही, मासिक, साप्ताहिक आदि अवधियों के लिए भी तैयार किया जा सकता है। अतः सर्वप्रथम बजट अवधि का निर्धारण किया जाता है।


(ii) कुल रोकड़ प्राप्तियों का अनुमान लगाना - रोकड़ बजट की प्राप्ति एवं भुगतान विधि का दूसरा चरण बजट अवधि के लिए कुल रोकड़ प्राप्तियों का अनुमान लगाना होता है। बजट अवधि में विभिन्न स्रोतों जैसे नकद विक्रीय, देनदारों की प्राप्ति, विनियोगों पर आय, अंशो एवं ऋणपत्रों के निर्गमन से प्राप्त राशि, सम्पत्ति के विक्रय से प्राप्त राशि आदि से रोकड़ प्राप्ति होती है।


(iii) कुल रोकड़ भुगतानों का अनुमान लगाना - प्राप्ति एवं भुगतान विधि का तीसरा चरण कुल रोकड़ भुगतानों का अनुमान लगाना होता है। ये अनुमान भावी निश्चित बजट अवधि के लिए लगाए जाते है। बजट अवधि में रोकड़ का भुगतान नकद क्रय, लेनदारों को भुगतान, मजदूरी व वेतन का भुगतान, कार्यालय व विक्रय सम्बन्धी भुगतान, सम्पत्ति का क्रय आदि के लिए किया जाता है। इन सभी भुगतानों का पीछे अनुभवों के आधार पर ही सही अनुमान लगाना चाहिए।



2. रोकड़ प्रवाह विधि या समायोजित लाभ और हानि विधि - रोकड़ बजट तैयार करने की इस विधि में पूर्वानुमान लाभ हानि खाते द्वारा दर्शाए गए लाभ या हानि की राशि को समायोजित करके रोकड़ का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसके लिए पूर्वानुमानित लाभ हानि खाते द्वारा दर्शाए गए लाभ या हानि की राशि मे पूर्वानुमानित लाभ हानि खाते में दर्शाए गए सारे गैर रोकड़ व्ययों जैसे ह्रास, अपलिखित स्थगित लगभग व्यय, अपलिखित अमूर्त सम्पत्तियां आदि, चालू सम्पत्तियों में कमी, चालू दायित्वों में वृद्धि, स्थायी सम्पत्तियों के विक्रय से प्राप्तियां, अंशो व ऋणपत्रों के निर्गमन से प्राप्तियां, प्रारम्भिक रोकड़ शेष को जोड़ दिया जाता है। इसके बाद पूर्वानुमानित लाभ हानि खाते द्वारा दर्शाए गए लाभ या हानि की राशि मे से चालू सम्पत्तियों में वृद्धि, चालू दायित्वों में कमी, स्थायी सम्पत्तियों के क्रय की राशि, ऋणों के भुगतान की राशि, अंशो व ऋणपत्रों के शोधन तथा लाभांश भुगतान की राशि को घटा दिया जाता है। इस प्रकार प्राप्त शेष अंतिम रोकड़ शेष होता है।



3. स्थिति विवरण विधि - रोकड़ बजट तैयार करने की स्थिति विवरण विधि के अंतर्गत सम्पत्तियों व दायित्वों के मूल्यों में हुए परिवर्तनों के आधार पर आगामी बजट अवधि के अंत मे पूर्वानुमानित स्थिति विवरण तैयार किया जाता है। इसके बाद पूर्वानुमानित स्थिति विवरण के दोनों पक्षों को संतुलित किया जाता है। अगर पूर्वानुमानित दायित्वों की कुल राशि, पूर्वानुमानित सम्पत्तियों की कुल राशि से अधिक हो, तो अंतर की राशि बजट अवधि के अंत मे रोकड़ शेष कही जाती है। इसके विपरीत दशा में, अगर पूर्वानुमानित सम्पत्तियो की कुल राशि, पूर्वानुमानित दायित्वों की कुल राशि से अधिक हो, तो अंतर की राशि बजट अवधि के अंत मे रोकड़ शेष की कमी या बैंक आधिविकर्ष कही जाती है।  

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