लाभांश नीति की वाल्टर मॉडल विचारधारा


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम लाभांश नीति की वाल्टर मॉडल विचारधारा के बारे में जानेंगे।


वाल्टर मॉडल (Walter Model)

वाल्टर मॉडल की विचारधारा इस तथ्य का समर्थन करती है कि कंपनी का लाभांश निर्णय कंपनी के मूल्य से सम्बंधित है। वाल्टर मॉडल के अंतर्गत निम्नलिखित दो तत्वों के बीच सम्बन्ध दर्शाया जाता है -

(i) कंपनी की विनियोगो पर प्रत्याय या आंतरिक प्रत्याय दर।

(ii) पूंजी की लागत या वंछित प्रत्याय की दर।


वाल्टर विचारधारा एवं लाभांश नीति - वाल्टर विचारधारा के अनुसार कंपनी की अनुकूलतम लाभांश नीति का निर्धारण r व ke के मध्य सम्बन्धों के आधार पर किया जाता है। r व Ke के बीच निम्नलिखित तीन तरह से सम्बन्ध होने पर लाभांश नीतियां इस प्रकार से है :

1. जब कंपनी की विनियोगो पर प्रत्याय (r) कंपनी की पूंजी की लागत (Ke) से अधिक हो - अर्थात जब r<Ke हो तो ऐसी स्थिति में कंपनी को अपने शुद्ध लाभों के लाभांश के रूप में भुगतान करने की बजाय इन्हें व्यवसाय में ही संचित किया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि लाभांश के रूप में वितरित करने पर अंशधारी इस आय पर जितना लाभ कमा पाएंगे उसकी तुलना में कंपनी को इन लाभों के विनियोगो से अधिक आय प्राप्त हो पा रही है। अतः r<Ke होने की दशा में, कंपनी के लिए अनुकूलतम लाभांश नीति उस समय होती है जब कंपनी का लाभांश भुगतान अनुपात शून्य हो जाता है।




Walter Model and Criticism or Disadvantages or Limitations of Walter's Model in Hindi
Walter Model and Criticism or Disadvantages or Limitations of Walter's Model in Hindi 





2. जब कंपनी की विनियोगो पर प्रत्याय (r) कंपनी की पूंजी की लागत (Ke) से कम हो - ऐसी स्थिति में कंपनी को अपने शुद्ध लाभों को लाभांश के रूप में भुगतान कर देना चाहिए। इसका कारण यह है कि लाभांश के रूप में वितिरत करने पर अंशधारी इस आय पर, कंपनी को इन लाभों के विनियोगो से प्राप्त होने वाली आय की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है। अतः r<Ke होने की दशा में, कंपनी के लिए अनुकूलतम लाभांश नीति उस समय होती है जब कंपनी का लाभांश भुगतान अनुपात 100 हो जाता है।




3. जब कंपनी की विनियोगो पर प्रत्याय (r) व कंपनी की पूंजी की लागत (Ke) एक समान हो - ऐसी स्थिति में चाहे कंपनी अपने शुद्ध लाभों को व्यवसाय में संचित करे अथवा लाभांश के रूप में वितरित करें, इसका अंशों के बाजार मूल्य पर कोई प्रभाव नही पड़ता है। इसका कारण यह होता है कि लाभांश भुगतान अनुपात के प्रत्येक स्तर पर कंपनी के अंशों का बाजार मूल्य स्थिर ही रहता है।




वाल्टर मॉडल की आलोचना या दोष या सीमाएं (Criticism or Disadvantages or Limitations of Walter's Model)

वाल्टर मॉडल ऐसी मान्यताओं पर आधारित है जो प्रायः गलत है। इसी आधार पर वाल्टर मॉडल की निम्नलिखित आलोचनाएं की गई है -

1. स्थिर प्रत्याय दर की गलत मान्यता - वाल्टर मॉडल की स्थिर प्रत्याय दर एक अव्यवहारिक मान्यता है। इसका कारण यह है कि अगर कंपनी अपने विनियोगो को बढ़ाती है तो इससे प्रत्याय दर प्रभावित होती है।


2. स्थिर पूंजी लागत की गलत मान्यता - इस मॉडल की अन्य मान्यता स्थिर पूंजी लागत भी गलत है। क्योकि जैसे जैसे कंपनी के जोखिम के स्तर में परिवर्तन होता है वैसे वैसे पूंजी की लागत भी प्रभावित होती है। इस प्रकार यह मॉडल स्थिर पूंजी लागत की अव्यवहारिक मान्यता पर भी आधारित है।


3. केवल आंतरिक साधनों से वित्त व्यवस्था - वाल्टर मॉडल की आलोचना इसलिए भी की जाती है क्योंकि इसमें कंपनी की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति केवल आंतरिक साधनों से ही की जाती है और बाहरी साधनों की उपेक्षा की जाती है। अतः वाल्टर मॉडल केवल उन्हीं कंपनियों द्वारा अपनाया जा सकता है जहां वित्त व्यवस्था का एकमात्र साधन समता पूंजी है। 

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