Extent of Liability of Different Types of Contributories in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम विभिन्न प्रकार के अंशदायियों के दायित्व की सीमा के बारे में समझेंगे।


विभिन्न प्रकार के अंशदायियों के दायित्व की सीमा (extent of liability of different types of contributories)

विभिन्न श्रेणियों के व्यक्ति निम्नलिखित सीमा तक अंशदायी के रूप में दायी बनाए जा सकते है :

कंपनी के समापन पर कंपनी का प्रत्येक वर्तमान तथा भूतपूर्व सदस्य कंपनी की सम्पत्तियों में उस राशि का भुगतान करने के लिए दायीं होता है जिससे कंपनी के ऋणों, दायित्वों तथा समापन के खर्चों का भुगतान किया जा सके और अंशदायियों के परस्पर अधिकारों का समायोजन किया जा सके।




Extent of Liability of Different Types of Contributories in hindi
Extent of Liability of Different Types of Contributories in hindi




1. वर्तमान सदस्यों का दायित्व - वर्तमान सदस्य वे है जिनके नाम कंपनी का समापन प्रारम्भ होने के समय सदस्यों के रजिस्टर में सम्मिलित है। इनका दायित्व प्राथमिक होता है। अंशों द्वारा सीमित कंपनी की दशा में वर्तमान सदस्य अपने अंशों पर अदत्त मूल्य को देने के लिए दायीं है।


2. भूतपूर्व सदस्यों का दायित्व - भूतपूर्व सदस्य वे है जिनके नाम पहले सदस्यों के रजिस्टर में थे परन्तु समापन के प्रारम्भ होने के समय उनके नाम सदस्यों के रजिस्टर में सन्निहित नही है जैसे अगर उन्होंने अपने अंश हस्तांतरित कर दिए है। भूतपूर्व सदस्यों का दायित्व अनुपूरक होता है। वह कंपनी को अंशदान करने के लिए तभी दायीं होते है अगर वर्तमान सदस्यों द्वारा देय राशि प्राप्त नही की जा सकी है। एवं सभी ऋणों का भुगतान नही हो सका है। इनके दायित्व की सीमा विद्यमान सदस्यों के समान ही है।


3. संचालक तथा प्रबन्ध जिनका दायित्व असीमित है - किसी संचालक या प्रबन्धक चाहे वह भूतपूर्व या वर्तमान है, का दायित्व, अगर कोई है, साधारण सदस्य की भांति है। परन्तु अगर अधिनियम की व्यवस्थाओं के अधीन इनमे से किसी का दायित्व असीमित है, तो उसका दायित्व साधारण सदस्य के दायित्व के अतिरिक्त भी होगा, और वह इस प्रकार दायीं होगा कि जैसे कि समापन के प्रारम्भ होने पर वह एक असीमित कंपनी का सदस्य था। परन्तु वह निम्नलिखित दशाओं में ऐसे अधिक अंशदान के लिए दायीं न होगा :

(i) अगर समापन की कार्यवाही के प्रारम्भ होने से 1 वर्ष या इससे अधिक पूर्व वह अपने पद पर नही रह है

(ii) वह किसी ऐसे ऋण पर दायित्व के सम्बंध में दायीं न होगा जिनके अनुबन्ध उसके सदस्य न रहने के बाद किए गए है

(iii) वह उस समय तक दायीं न होगा जब तक कि न्यायालय कंपनी के ऋणों एवं दायित्व को सन्तुष्ट करने के लिए ऐसा अंशदान जरूरी नही समझा जाता।


4. अंशदायी का समायोजन का अधिकार - समापन पर एक सीमित कंपनी का अंशदाता जो कंपनी का लेनदार भी है, उस पर समापक द्वारा की गई मांग से अपने ऋण का समायोजन नही कर सकता भले ही ऐसा करने का स्पष्ट अनुबन्ध हो। क्योकि अगर उसे ऐसी अनुमति दी जाती है तो उसे तो अपना पूरा ऋण वापिस मिल जाएगा जबकि अन्य लेनदार अपने ऋण का कुछ भाग ही वसूल कर पाएंगे। परन्तु इस नियम के कुछ अपवाद है जहां अधिनियम ने समायोजन का सीमित अधिकार दिया है। 

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