General Provisions Applicable to Voluntary Winding up in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम ऐच्छिक समापन पर लागू होने वाले सामान्य प्रावधानों के बारे में जानेंगें।


ऐच्छिक समापन पर लागू होने वाले सामान्य प्रावधान ( General Provisions applicable to voluntary winding up)

कंपनी अधिनियम, 2013 में कुछ सामान्य प्रावधान ऐसे है जो दोनों ही प्रकार के ऐच्छिक समापन अर्थात सदस्यों द्वारा ऐच्छिक समापन तथा लेनदारों द्वारा ऐच्छिक समापन पर लागू होते है। इनमे से कुछ प्रावधान अग्रलिखित है :

1. कंपनी के कार्यकलापों का विवरण - कंपनी अधिनियम के यह प्रावधान है कि संचालकों, प्रबन्ध या कंपनी के अन्य मुख्य प्रबन्धकीय कर्मिकों द्वारा उचित रूप से सत्यापित कंपनी के कार्यकलापों का विवरण कंपनी रजिस्ट्रार के पास भेजा जाएगा।




General Provisions Applicable to Voluntary Winding up in hindi
General Provisions Applicable to Voluntary Winding up in hindi





2. समापक को हटाना - कोई भी लेनदार या कोई भी अंशदायी समापक की शक्तियों के सम्बंध में न्यायाधिकरण में आवेदन कर सकता है। न्यायाधिकरण उचित आधार साबित होने पर समापक को हटाकर किसी अन्य व्यक्ति को समापक नियुक्त कर सकता हिअ। डॉ हरिसिंह बनाम रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज के मामले में कंपनी के ऐच्छिक समापन में दिल्ली उच्च न्यायालय में समापक को इसलिए हटा दिया था कि उसने धारा 553 के अनुसार कंपनी का पैसा बैंक में जमा नही किया था और वह उचित सहयोग भी नही दे रहा था।




3. समापक की शक्तियां- ऐच्छिक समापन में कंपनी समापक की वही शक्तियां होती है जो न्यायाधिकरण द्वारा अनिवार्य समापन में शासकीय समापक की होती है। अंतर केवल यह है कि शासकीय समापक को कुछ शक्तियों के लिए न्यायाधिकरण की स्वीकृति लेनी पड़ती है जबकि ऐच्छिक समापन में कंपनी समापक को या तो सदस्यों की स्वीकृति या लेनदारों की निरीक्षण समिति की स्वीकृति और अगर लेनदारों की निरीक्षण समिति न हो तो लेनदारों की स्वीकृति लेनी पड़ती है।


4. लेनदारों तथा सदस्यों के नाम व्यवस्था - कोई ऐसी कंपनी जिसका समापन होने को है या होने के प्रकम में है उसके द्वारा अपने लेनदारों के साथ कि गयी कोई व्यवस्था सभी पक्षकारों पर बाध्यकारी होगा बशर्ते कि इसे कंपनी के विशेष प्रस्ताव द्वारा स्वीकृति दी गयी हो तथा तीन चौथाई मूल्य कर लेनदारों ने इसे स्वीकार कर लिया हो।


5. ऐच्छिक समापन का व्यय - समापन की कार्यवाही में किए गए सभी उचित लागत प्रभार तथा व्यय जिसमे समापक का पारिश्रमिक भी शामिल होगा, सुरक्षित लेनदारों के अधिकारों के अधीन रहते हुए सभी अन्य दावों से प्राथमिकता में कंपनी की आस्तियों में से भुगतान होंगे। समापन की कार्यवाही में प्रयोग होने वाले परिसर का किराया इस धारा के प्रयोजन के लिए उचित समापन व्यय माना गया है।


6. न्यायाधिकरण विघटन को व्यर्थ घोषित कर सकता है - जहां किसी कंपनी का विघटन किया गया है जहां न्यायाधिकरण विघटन की तारीख के दो वर्ष के भीतर किसी भी समय कंपनी के समापक या किसी अन्य व्यक्ति के आवेदन पर, जिसका विघटन रद्द कराने में हित है, विघटन को व्यर्थ घोषित करने का आदेश कर सकेगा।


7. शासकीय समापक की नियुक्ति - जहां कंपनी का समापन धारा 271 के अंतर्गत न्यायाधिकरण द्वारा किया जाता है वहां वहां केंद्रीय सरकार उतने शासकीय समापकों, संयुक्त समापक तथा सहायक समापक की नियुक्ति कर सकेगी जो वह शासकीय समापक के कार्यों के निष्पादन के लिए जरूरी समझे। इस प्रकार नियुक्त समापक केंद्रीय सरकार के पूर्णकालिक अधिकारी होंगे तथा उनके वेतन तथा भत्ते केंद्रीय सरकार द्वारा दिए जाएंगे। 

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