प्रबंध संचालक के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में प्रबंध संचालक के बारे में समझेंगे।


प्रबंध संचालक (Managing Director)

प्रबंध संचालक से हमारा अभिप्राय ऐसे संचालक से है जिसे प्रबन्ध सम्बन्धी कुछ ऐसे अधिकार प्राप्त हो जो साधारणतया किसी संचालक को प्राप्त नही होते। ये अधिकार उसे सीमानियम, अंतर्नियम, कंपनी या संचालक मंडल के प्रस्ताव या एक पृथक अनुबन्ध द्वारा प्राप्त हो सकते है। प्रबन्ध संचालक की स्थिति के रहने वाले सभी व्यक्तियों को प्रबन्ध संचालक ही माना जाता है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए।




Managing Director ke bare me jankari in Hindi
Managing Director ke bare me jankari in Hindi





यह बात ध्यान देने योग्य है कि प्रबन्ध संचालक की परिभाषा में प्रयोग किया गया वाक्यांश प्रबन्धक के पर्याप्त अधिकार अर्थात प्रबंधन की सारवान शक्तियां प्रबन्ध संचालक को दैनिक प्रकृति के प्रशासनिक कार्यों को करने जैसे कि किसी दस्तावेज पर कंपनी की सामान्य मुद्रा लगाने या किसी बैंक में कंपनी के खाते पर कोई चेक लिखने या पृष्ठांकित करने या किसी विनिमय साधन विलेख तैयार करने या पृष्ठांकित करने या किसी अंश प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने या किसी अंश के हस्तांतरण के रजिस्ट्रेशन का निर्देश देने की शक्ति प्रदान नही करती है।


कंपनी अधिनियम ने प्रबन्ध संचालक पर यह प्रतिबन्ध लगा दिया है कि वह अपने अधिकारों का प्रयोग संचालक मंडल के नियंत्रण व सलाह के अधीन ही करेगा। यह स्पष्ट है कि प्रबन्ध संचालक भी कंपनी का एक संचालक होता है परन्तु उसके पास अन्य संचालकों की अपेक्षा अधिक प्राधिकार होते है और वह इनका प्रयोग कंपनी के कारोबार को चलाने में करता है।




प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति (Appointment of Managing Director)

साधारणतया प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति की शक्ति कंपनी कर अन्तर्नियमों में इस सम्बंध में प्रावधान करके कंपनी के संचालक मंडल को प्रदान की जाती है। बोर्ड संचालकों में से किसी एक को प्रबन्ध संचालक नियुक्त कर देता है तथा अंशधारियो की व्यापक सभा इस नियुक्ति में हस्तक्षेप नही कर सकती है।


अगर किसी पूर्णकालिक मुख्य प्रबन्धकीय कार्मिक का पद का रिक्त हो जाता हो तो पारिणामिक रिक्त बोर्ड द्वारा ऐसी रिक्त की तारीख से छह मास की अवधि के भीतर बोर्ड की बैठक में भरी जाएगी।


अगर कोई प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति के सम्बंध में धारा 203 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगी तो ऐसी कंपनी ऐसे जुर्माने से दण्डित होगी जो एक लाख रुपये से कम का नही होगा। किन्तु जो पांच लाख रुपये तक हो सकेगा तथा प्रत्येक संचालक तथा मुख्य प्रबन्धकीय कार्मिक, जो त्रुटि करता है ऐसे जुर्माने से, जो पचास हजार रुपये तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा और जहां ऐसी त्रुटि जारी रहती है वहां प्रत्येक दिन के लिए, जिसके दौरान त्रुटि जारी रहती है, अतिरिक्त जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक हो सकेगा, दण्डनीय होगा।


अगर प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति अधिनियम की धारा 203 के प्रवधानों के उल्लंघन में पाई जाती है, तो ऐसी नियुक्ति समाप्त हो जाएगी तथा नियुक्त हुए व्यक्ति को उस अवधि में प्राप्त सभी वेतन, कमीशन तथा परिलाभों को, जो उसने प्रबन्ध संचालक के रूप में कार्य करने की अवधि के दौरान लिए थे, कंपनी को वापस करने होंगे। इसके अतिरिक्त वह एक लाख रुपये के जुर्माने से दण्डनीय होगा। 

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