Restrictions on the Powers of Board of Directors in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम संचालक मंडल के अधिकारों पर प्रतिबंध के बारे में जानेंगे।


संचालक मंडल के अधिकारों पर प्रतिबन्ध (Restrictions on the powers of board of Directors)

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 180 में एक कंपनी के संचालक मंडल की शक्तियों पर लगे प्रतिबन्धों का वर्णन है। कुछ मामले ऐसे है जिन पर कंपनी का संचालक मंडल व्यापक सभा मे विशेष प्रस्ताव द्वारा केवल कंपनी की सहमति से शक्तियों का प्रयोग करेगा। ये मामले निम्नलिखित है :

1. कंपनी के पूर्ण उपक्रम का या उस दशा में जिसमे कंपनी के स्वामित्वहीन एक से अधिक उपक्रम का है या सारत: पूरे उपक्रम का विक्रय करना, पट्टा देना या अन्यथा उसका व्ययन करना। उपक्रम शब्द से आशय कंपनी के समस्त कारोबार से है। इसमें केवल मात्र शक्तियां या सम्पत्ति नही है। कंपनी की एक इकाई जो 5 वर्षों से बंद है धारा 180 (1)  (a) के अर्थों में उपक्रम नही कही जा सकती तथा वे प्रावधान इकाई के प्रस्तावित विक्रय पर लागू नही होते है।




Restrictions on the Powers of Board of Directors in hindi
Restrictions on the Powers of Board of Directors in hindi




2. किसी विलियन या एकीकरण के परिणाम स्वरूप उसके द्वारा प्राप्त क्षतिपूर्ति की राशि को न्यास प्रतिभूतियों के अतिरिक्त किसी अन्य प्रकार से विनियोजित करना।


3. उस दशा में उधार लेना जहां कंपनी द्वारा पहले से उधार ली गयी धनराशि के साथ वह धनराशि जिसको उधार लिया जाना है उसकी प्रदत पूंजी तथा स्वतन्त्र कोषों से अधिक हो जाएगी। परन्तु इसमें कंपनी द्वारा अपने कारोबार की साधारण प्रगति में कंपनी के बैंकों से लिए गए अस्थायी ऋण सम्मिलित नही है।


4. किसी संचालक द्वारा देय किसी ऋण को माफ करना या उसके भुगतान के लिए समय देना। व्यापक सभा मे कंपनी द्वारा वाक्य (3) में निर्दिष्ट शक्तियों का प्रयोग करने के सम्बंध में पारित प्रत्येक विशेष प्रस्ताव में वह कुल राशि निर्दिष्ट की जाएगी, जिस तक धन संचालक मंडल द्वारा उधार लिया जा सकेगा।


अगर संचालक मंडल ने उपरोक्त वर्णित प्रतिबन्धों का उल्लंघन करते हुए कंपनी की सम्पत्ति पट्टे पर दे दी है या बेच दी है तो पट्टे पर लेने वाले या क्रेता के स्वत्व पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नही पड़ेगा बशर्ते कि उसने सद्भावना से तथा प्रतिबन्धों की जानकारी के बिना सम्पत्ति पट्टे पर ली हो या क्रय की हो।


कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 180 में दिए गए प्रतिबन्ध सभी कंपनियों पर लागू होते है जबकि इससे पहले कंपनी अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत ये प्रतिबन्ध केवल सार्वजनिक कंपनी पर लागू होते थे।



वस्तुत : धर्मार्थ कोष में योगदान (Contribution to Bonafide Charitable Fund)

कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार संचालक मंडल धर्मार्थ तथा अन्य कोषों में जिनका सम्बंध प्रत्यक्षत : कंपनी के कारोबार या कंपनी के कर्मचारियों के कल्याण से नही है, योगदान कर सकेगा। परंतु ऐसे योगदान के लिए संचालक मंडल को कंपनी की व्यापक सभा मे पूर्व अनुमति लेनी होगी अगर किसी वित्तीय वर्ष में किसी रकम का योग ठीक तीन पूर्ववर्ती वित्तीय वर्षों के लिए उसकी औसत शुद्ध लाभ के पांच प्रतिशत से अधिक है। 

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