Factors which contributed in the growth of secondary capital market in Hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम द्वितीयक पूंजी बाजार के विकास में योगदान देने वाले कारकों के बारे में जानेंगे।


द्वितीयक पूंजी बाजार के विकास में योगदान देने वाले कारक (Factors which contributed in the growth of secondary capital market)

भारत मे द्वितीयक पूंजी बाजार के विकास में योगदान देने वाले कारक निम्नलिखित है -

1. SEBI का गठन - भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का गठन सन 1988 में किया गया। सन 1992 में इसे वैधानिक मान्यता प्रदान हुई। SEBI के गठन का मुख्य उद्देश्य प्रतिभूतियों के लेन देन करने वाले स्कंध विपन्नियों को बेहतर व पर्याप्त मात्रा में संसाधनों को एकत्रित करने व इनके अनुकूलतम आबंटन व उपयोग में सहयोग करना है।



Factors which contributed in the growth of secondary capital market in Hindi
Factors which contributed in the growth of secondary capital market in Hindi




2. साधारण जनता की निवेश अवसरों के प्रति बढ़ती हुई सचेतता - भारतीय वर्तमान समय मे निवेश अवसरों के प्रति अधिक सचेत हो रहे है। उनकी निवेश सम्बन्धी जानकारी लगातार बढ़ रही है। इस जानकारी को बढ़ाने में विभिन्न व्यवसाय सम्बन्धी समाचार पत्रों व जर्नल्स जैसे business world, business today, the financial express, the economic times आदि का विशेष योगदान रहा है।


3. औद्योगिक वित्तीय संस्थाओं व विकास बैंकों का गठन - भारत मे पूंजी बाजार के विकास में औद्योगिक वित्तीय संस्थाओं व विकास बैंकों जैसे LIC, UTI, IDBI, IFCI आदि का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इन औद्योगिक वित्तीय संस्थाओं व विकास बैंकों के गठन के कारण विभिन्न औद्योगिक इकाइयों को दीर्घकालीन ऋण प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की जाती है।


4. अभिगोपन के व्यवसाय में वृद्धि - अभिगोपन के अंतर्गत अंशों का विक्रय सुनिश्चित हो जाता है। भारत मे विभिन्न व्यापारिक बैंकों व वित्तीय संस्थाओं की स्थापना के परिणामस्वरूप अभिगोपन के व्यवसाय में निरन्तर वृद्धि हो रही है।


5. विभिन्न ऋण निर्धारण एजेंसियां - भारत मे वर्तमान समय मे विभिन्न ऋण निर्धारण एजेंसियां कार्यरत है। इनका विवरण निम्नलिखित है -

(i) The credit rating information services of india ltd.


(ii) The investment information and credit rating agency of india ltd.


(iii) Credit analysis and research limited.


(iv) Fitch rating agency ltd.


इन ऋण निर्धारण एजेंसियों का मुख्य उद्देश्य निवेशकर्ताओं को ऋण सम्बन्धी मार्गदर्शन प्रदान करना होता है। इन एजेंसियों को भारत मे द्वितीयक पूंजी बाजार के विकास में विशेष महत्व है।


6. निवेशकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए वैधानिक कार्यवाही - किसी भी देश के पूंजी बाजार के विकास में निवेशकर्ताओं का विशेष योगदान होता है। इसलिए भारत मे निवेशकर्ताओं के हितों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने विभिन्न कानून, नियम व उपनियम लागू किए है। सरकार के इन प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत मे द्वितीयक पूंजी बाजार का विकास हुआ है।


7. बढ़ता सार्वजनिक विश्वास - भारत के वर्ष 1990 के दशक में कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए गए, जिनके फलस्वरूप देश मे छोटे छोटे निवेशकर्ता स्कंध विपन्नियों की तरफ आकर्षित हुए है। अब भारत में छोटे निवेशकर्ता अपनी बचतों को परम्परागत पद्धति से निवेश करने की बजाय अंशों व ऋणपत्रों के निवेश करने लगे है। अतः स्कंध विपन्नियों के प्रति बढ़ते हुए सार्वजनिक विश्वास के कारण द्वितीयक पूंजी बाजार का विकास हो रहा है।

Post a Comment