Formalities related to listing of right shares in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम अधिकार अंशों की सूचीबद्धता सम्बन्धी औपचारिकताओं के बारे में जानेंगें।


अधिकार अंशों की सूचीबद्धता सम्बन्धी औपचारिकताएं (Formalities related to listing of right shares)

कंपनी द्वारा जारी किए गए अधिकार अंशों की सूचीबद्धता के सम्बंध में निम्नलिखित औपचारिकताओं को पूरा करना जरूरी है -

1. अधिकार अंशों की सूचीबद्धता की इच्छुक कंपनी को भारतीय कपनी अधिनियम, 1956 की धारा 81 के अंतर्गत कंपनी की सामान्य सभा मे एक विशेष प्रस्ताव पास करके सम्बन्धित अंशधारियो की अनुमति लेनी होगी।




Formalities related to listing of right shares in hindi
Formalities related to listing of right shares in hindi




2. कंपनी की हस्तांतरण पुस्तिका के बन्द होने के छह सप्ताह की अवधि के भीतर एक प्रस्ताव पत्र तैयार करना होगा।


3. कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर के बन्द होने की तिथि की सूचना सम्बन्धित स्कंध विपन्नी को देनी होगी।






4. कंपनी के निदेशकमंडल की वह सभा, जिसमे अधिकार अंशों या ऋणपत्रों के प्रस्ताव पर विचार विमर्श किया जाएगा, की तिथि की सूचना सम्बन्धित स्कंध विपन्नी को देनी होगी।


5. मान्यता प्राप्त स्कंध विपन्नी के स्थान पर स्थापित सभी केंद्रों पर किए गए आवेदनों को स्वीकार किया जाएगा।


6. कंपनी के अंशधारियो को कम से कम एक माह का समय अपने हितों को रिकॉर्ड करवाने या अधिकारों का प्रयोग करने के लिए अवश्य देना होगा।


7. कंपनी द्वारा अधिकार अंशों के सम्बंध में लिए गए सभी निर्णयों की जानकारी शीघ्र ही स्कंध विपन्नी को देनी होगी।


8. कंपनी को प्रस्ताव पत्र व अधिकार अंश के आवेदन फॉर्म की एक प्रतिलिपि स्कंध विपन्नी में जमा करवानी होगी।


9. अगर अंशधारी परित्याग फॉर्म के लिए प्रार्थना करें, तो उन्हें यह फॉर्म निशुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा।


10. कंपनी को प्रस्ताव पत्र में गत स्थिति विवरण की तिथि से एक माह पहले सभी वित्तीय सूचनाएं देनी होगी।


11. कंपनी द्वारा अधिकार अंशों के लिए आवेदन विखंडन। परित्याग के लिए आवेदन व समेकित कूपन को पेश करने की निर्धारित अंतिम तिथि की सूचना स्कंध विपन्नी को देनी होगी।


12. कंपनी आबंटन पत्रों या अंश प्रमाण पत्रों को प्रेषित करने के बाद निश्चित फॉर्म भर कर सूचीकरण करवाने के लिए आवेदन करेगी।


13. स्कंध विपन्नी सूचीबद्ध का आवेदन फॉर्म व सम्बन्धित अनिवार्य दस्तावेज प्राप्त करने के बाद अंशों के सूचीकरण करने की आज्ञा देगी। जिससे सदस्यों को इनके लेन देन की औपचारिक अनुमति प्राप्त हो जाएगी।



सूचीकरण के दोष

1. सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी को सभी महत्वपूर्ण सूचनाएं स्कंध विपन्नी में देनी पड़ती है।


2. सूचीबद्ध कंपनियों की प्रतिभूतियां जनता को लेन देन के लिए प्रस्तुत करने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है। अतः यह खर्चीली विधि है।


3. सभी सूचीबद्ध कंपनियों पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड एवं स्कंध विपन्नी द्वारा लागू किए गए प्रतिबन्धों का पालन किया जाता है।


4. सूचीबद्धता के कारण कंपनी को वार्षिक सामान्य सभा का आयोजन करना व अपनी वार्षिक रिपोर्ट अंशधारियो को भेजना भी आवश्यक होता है। इनसे कंपनी पर अतिरिक्त व्यय का भार बढ़ जाता है। 

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