भारत में सौदागर बैंकिंग के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम भारत मे सौदागर बैंकिंग के बारे में जानेंगे।


भारत मे सौदागर बैंकिंग (Merchant Banking in India)

भारत मे वर्ष 1960 तक सौदागर बैंकिंग पद्धति शुरू नही हुई थी। वर्ष 1996 में भारत मे पहली बार ग्रीण्डलेज बैंक के द्वारा सौदागर बैंकिंग का काम शुरू किया गया। इसके बाद कुछ विदेशी बैंकों जैसे चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक आदि ने सौदागर बैंकिंग की सेवाएं प्रदान की।




Merchant Banking in India
Merchant Banking in India




वर्ष 1970 में कार्यरत सौदागर बैंक केवल अंशो के निर्गमन व वित्त सम्बन्धी सलाह देने का काम हो करते थे। परन्तु जब वर्ष 1970 के दौरान देश मे विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम, 1973 लागू हुआ तो पूंजी बाजार में तेजी की स्थिति उतपन्न हो गयी जिससे साधारण जनता पूंजी बाजार में निवेश करने के लिए प्रेरित हुई और फलस्वरूप देश मे सौदागर बैंकों के विस्तार को प्रोत्साहन मिला। इसके अतिरिक्त उस समय भारत मे निजी वित्तीय दलालों के द्वारा निजी सौदागर बैंक भी स्थापित किए गए। वर्तमान समय मे भारत मे स्थापित सौदागर बैंकिंग का विवरण निम्नलिखित तरीके से बताया गया है -

1. वित्तीय संस्थाएं - भारत मे विभिन्न वित्तीय संस्थाएं सौदागर बैंकिंग का कार्य कर रही है। उदहारण के लिए, भारतीय साख एवं निवेश निगम व भारतीय औद्योगिक पुनः निर्माण निगम।


2. भारतीय बैंक - भारत मे सबसे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सौदागर बैंकिंग का कार्य शुरू किया था। इसके बाद कई भारतीय बैंकों जैसे भारतीय सेंट्रल बैंक, पंजाब नैशनल बैंक व केनरा बैंक आदि ने भी सौदागर बैंकिंग की सेवाएं देनी शुरू की।


3. विदेशी बैंक - भारत मे सौदागर बैंकिंग की शुरुआत कुछ विदेशी बैंकों जैसे ग्रीण्डलेज बैंक, चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक व हांगकांग बैंक आदि ने की।


4. निजी सौदागर बैंक - भारत मे विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम 1973 का लागू होने पर चालू परिस्थितियों से लाभ कमाने के लिए पूंजी बाजार के निजी दलालों ने निजी सौदागर बैंकों की स्थापना की। इसके कुछ उदहारण है - V.B. Consltants, Champaklal Investment and Financial Consultancy, J.M Financial Consultants आदि।


भारतीय सौदागर बैंक अपने प्रारम्भिक वर्षो में केवल समता अंशों के निर्गमन के प्रबन्ध तक ही सीमित थे परन्तु धीरे धीरे इनके कार्यक्षेत्र का विस्तार हुआ है। अब सौदागर बैंक ग्राहकों को वित्तीय व अन्य निवेश सम्बन्धी परामर्श प्रदान करने की सेवाएं थी उपलब्ध करवा रहे है।


5. तकनीकी और प्रबन्ध से सम्बंधित सेवाएं - व्यापारिक बैंकिंग द्वारा तकनीकी, प्रबन्धकीय और वित्तीय क्षेत्रों में आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए सेवाएं प्रदान की जाती है। प्रोजेक्ट के कार्य सम्पादन में होने वाली देरी को और कमियों को दूर करने के लिए व्यापारिक बैंकर सभी तरह की सेवाएं प्रदान करते है। 

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