Procedure of Listing of Securities in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम प्रतिभूतियों के सूचीकरण की प्रक्रिया के बारे में जानेंगें।


प्रतिभूतियों के सूचीकरण की प्रक्रिया (procedure of listing of securities)

प्रतिभूतियों के सूचीकरण की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों का विवरण निम्नलिखित है -

1. प्रारम्भिक विचार विमर्श - प्रतिभूतियों को स्कंध विपन्नी पर सूचीबद्ध करवाने के लिए इक्छुक कंपनी के अधिकारी को सबसे पहले स्कंध विपन्नी के अधिकारियों  के साथ गहन विचार विमर्श करना होता है। इस विचार विमर्श का मुख्य उद्देश्य उन कानूनी आवश्यकताओं के पता लगाना होता है, जिन्हें सूचीकरण के लिए पूरा करना अनिवार्य है।




Procedure of Listing of Securities in hindi
Procedure of Listing of Securities in hindi




2. कंपनी के पार्षद अंतर्नियम को स्वीकृति - प्रतिभूतियों के सूचीकरण की प्रक्रिया का दूसरा चरण कंपनी के पार्षद अंतर्नियम को स्वीकृति को स्वीकृति प्राप्त करवाना होता है। इसके लिए पार्षद अन्तर्नियमों को अधिनियम के निम्नलिखित प्रावधानों को पूरा करना जरूरी होता है -

(i) अंश हस्तांतरण के लिए सामान्य फॉर्म का प्रयोग करना

(ii) अंशों का स्वतन्त्र लेन देन करना

(iii) अंतिम यचनाओं पर ब्याज का भुगतान करना

(iv) अंशों को किसी भी प्रकार के ग्रहणाधिकार से मुक्त रखना।


3. प्रविवरण प्रारूप की स्वीकृति - सूचीकरण प्रक्रिया के तीसरे चरण में प्रविवरण प्रारूप को स्वीकृत करवाया जाता है। इस प्रारूप को अंतिम रूप प्रदान करने से पहले कंपनी कर अधिकारी को स्कंध विपन्नी के अधिकारियों के साथ पर्याप्त विचार विमर्श करना चाहिए। इस विचार विमर्श के बाद अंतिम रूप से तैयार किए गए प्रविवरण को स्वीकृति प्राप्त करने के लिए अग्रलिखित तथ्यों को प्रविवरण में जरूर स्पष्ट किया गया होना चाहिए -

(i) अंशों के अंशदान के खुलने व बन्द होने की तिथि

(ii) जहां कंपनी प्रतिभूतियों का नाम दर्ज करवाने की इच्छुक हो, उस क्षेत्रीय स्कंध विपन्नी व अन्य स्कंध विपन्नियों के नाम



4. विभिन्न दस्तावेजों सहित आवेदन पत्र - एक सार्वजनिक  कंपनी, जो एक मान्यता प्राप्त स्कंध विपन्नी पर अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करवाना चाहती है, उसे निम्नलिखित दस्तावेजो सहित स्कंध विपन्नी में आवेदन पत्र जमा करवाना पड़ता है -

(i) कंपनी द्वारा समय समय पर निर्गमित किए गए कंपनी के सभी प्रविवरण या प्रविवरण के स्थान पर निर्गमन किए गए स्थानापन्न विवरण की एक प्रतिलिपि।

(ii) कंपनी का पार्षद सीमानियम व अंतर्नियम व ऋणपत्र निर्गमन की दशा में प्रमाणित संलेख।

(iii) गत पांच वर्षों की अवधि के स्थिति विवरण व अंकेक्षित लेखों की प्रतिलिपियां या एक नई कंपनी की दशा में, अलप अवधि में तैयार किए गए लेखे।

(iv) कंपनी द्वारा हरण किए गए सभी अंशों का ब्यौरा।



5. सूचीबद्धता शुल्क - मान्यता प्राप्त स्कंध विपन्नी पर अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करवाने की इच्छुक कंपनी को स्कंध विपन्नी द्वारा निर्धारित सूचीबद्धता शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। इस शुल्क की दर बड़े स्कंध विपन्नियों व छोटे क्षेत्रीय स्कंध विपन्नियों के लिए पृथक पृथक निर्धारित की जाती है। सामान्यतः क्षेत्रीय स्कंध विपन्नियों  द्वारा बड़े स्कंध विपन्नियों की तुलना में कम दर से सूचीबद्धता शुल्क वसूल किया जाता है।



6. लाभदायकता के प्रक्षेपण के सम्बंध में सूचीकरण समझौता - भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने सूचीकरण समझौते में एक नई धारा 43 को जोड़ा है। इस धारा को जोड़ने का मुख्य उद्देश्य निवेशकर्ताओं के हितों को सुरक्षा प्रदान करना है। इस संशोधन के परिणामस्वरूप कंपनी को वार्षिक विवरण प्रस्तुत करना होगा। इस विवरण में दिए गए प्रक्षेपण एवं वास्तविक प्राप्ति के बीच अंतर को दर्शाया जाएगा। इसके साथ साथ विवरण में अंतर के कारणों को भी स्पष्ट रूप से प्रकट किया जाएगा।



7. रोकड़ प्रवाह विवरण सूचीकरण समझौते के एक भाग कर रूप में - वर्तमान में सूचीकरण की इच्छुक प्रत्येक कंपनी को अंतराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करने के लिए अपने वार्षिक विवरण में रोकड़ प्रवाह विवरण को सूचीकरण समझौते के एक भाग के रूप में शामिल करना होगा। इसके अतिरिक्त भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुरूप ही यह रोकड़ प्रवाह विवरण तैयार किया जाना चाहिए। 

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