Accounting Records Under Hire Purchase System in Hindi


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम किराया क्रय पद्धति के अंतर्गत लेखे के बारे में जानेंगे।


किराया क्रय पद्धति के अंतर्गत लेखे (Accounting Records Under Hire Purchase System)

किराया क्रय पद्धति के अंतर्गत लेखा करने के लिए क्रय किए जाने वाले माल को दो भागों में बांटा जा सकता है -

1. अधिक मूल्य वाला माल

2. कम मूल्य वाला माल




Accounting Records Under Hire Purchase System in Hindi
Accounting Records Under Hire Purchase System in Hindi




1. अधिक मूल्य वाला माल - अधिक मूल्यवान वस्तुओं के क्रय से सम्बंधित लेखे भी दो विधियों से किए जा सकते है :

(A) प्रथम विधि : कुल सम्पत्ति मूल्य विधि - इस विधि के अन्तर्गत किराया क्रय के सौदे को एक साधारण क्रय के सौदे की भांति माना जाता है और अनुबन्ध करते समय ही सम्पत्ति को कुल रोकड़ मूल्य की राशि से डेबिट किया जाता है और विक्रेता के खाते को क्रेडिट किया जाता है।


(B) द्वितीय विधि : सम्पत्ति अर्जित विधि - इस विधि में सम्पत्ति को प्रारम्भ में ही पूर्ण रोकड़ मूल्य से डेबिट नही किया जाता है बल्कि सम्पत्ति को प्रत्येक वर्ष उतने मूल्य से डेबिट करते है जितना मूल्य क्रेता द्वारा प्रतिवर्ष चुकाया जाता है क्योंकि क्रेता जितना जितना रोकड़ मूल्य चुकाता जाता है उतनी सम्पत्ति का वह स्वामी बनता चला जाता है।


जैसे अगर किसी मशीन का नकद मूल्य 1,00,000 ₹ है और भुगतान 25,000 ₹ की चार समान वार्षिक किश्तों में करना है, तो प्रथम विधि में मशीन खाते को प्रारम्भ में ही 1,00,000 ₹ से डेबिट कर दिया जाएगा, जबकि द्वितीय विधि में मशीन को प्रतिवर्ष 25,000 ₹ से डेबिट किया जाएगा।


नोट : व्यवहार में प्रायः प्रथम विधि ही अधिक प्रचलन में है अतः विद्यार्थियों को प्रश्न हल करते समय प्रथम विधि का प्रयोग करना चाहिए।



2. कम कीमत के माल - किराया क्रय व्यापारिक खाता बनाना - जब किराया क्रय पर बेचे गए व्यवहारों की संख्या बहुत अधिक होती है और माल कम मूल्यों के होते है जैसे पंखे, साईकल, रेडियोग्राम आदि तो यह सम्भव नही होता कि प्रत्येक ग्राहक के लिए अलग खाता बनाया जाए। ऐसी दशा में व्यवहारों को लिखा करने के लिए एवं लाभ ज्ञात करने के लिए किराया क्रय व्यापारिक खाता बनाया जाता है।


इस पद्धति के अनुसार किराया क्रय सौदों का पूर्ण विवरण सर्वप्रथम किराया क्रय विक्रय दैनिक पुस्तक में लिखा जाता है। इस पुस्तक में प्रत्येक सौदे की तिथि, ग्राहक का नाम, बिकने वाले माल का लागत मूल्य, विक्रय मूल्य, किश्तों की कुल संख्या व रकम, किश्त कब कब प्राप्त हुई आदि के लिए अलग अलग खाने होते है। यह पुस्तक एक स्मरणीय पुस्तक है और दोहरा लेखा पद्धति की दृष्टि से इस पुस्तक का कोई महत्व नही होता।



वर्ष के अंत मे इस पुस्तक में निम्न सूचनाएं प्राप्त हो जाती है -

1. वर्ष के दौरान ग्राहकों को विक्रय किए गए माल का लागत मूल्य

2. वर्ष के दौरान ग्राहकों को विक्रय किए गए माल का विक्रय मूल्य

3. वर्ष के दौरान ग्राहकों से प्राप्त कुल रोकड़

4. वर्ष के अंत मे देय किश्तें

5. वर्ष के अंत मे उन किश्तों की राशि जो इस वित्तीय वर्ष में देय नही हुई है - ये किश्तें अगले वित्तीय वर्ष में देय होगी अर्थात इन किश्तों के भुगतान की तिथि अगले वित्तीय वर्ष में पड़ेगी। इन किश्तों को अंतिम स्टॉक या ग्राहकों के पास स्टॉक भी कहा जाता है।


इन सूचनाएं प्राप्त करने के बाद लाभ हानि ज्ञात करने के लिए विक्रेता की पुस्तकों में एक किराया क्रय व्यापारिक खाता बनाया जाता है जिसके बारे में समझते है अब

1. Stock with customers in the beginning - यह उन किश्तों की राशि है जो पिछले वर्ष देय नही हुई थी। स्टॉक की यह राशि लागत मूल्य पर होनी चाहिए परन्तु स्टॉक की यह राशि अगर किराया क्रय मूल्य पर है तो किराया क्रय मूल्य और लागत मूल्य में जो अंतर होगा उसे किराया क्रय व्यापारिक खाते के क्रेडिट पक्ष में स्टॉक रिजर्व के नाम से लिखा जाएगा।


2. Instalments due in the beginning - यह उन किश्तों की राशि है जो पिछले वर्ष देय हो चुकी थी परन्तु प्राप्त नही हुई थी। इन्हें किराया क्रय मूल्य पर ही लिखा जाता है क्योकि ये किश्ते पिछले वर्ष देय हो चुकी है।


3. Goods sold on hire purchase during the year - इसे लागत मूल्य पर लिखना चाहिए परन्तु अगर यह डेबिट पक्ष में किराया क्रय मूल्य पर दिखाया गया है तो किराया क्रय मूल्य और लागत मूल्य में जो अंतर होगा उसे किराया क्रय व्यापारिक खाते के क्रेडिट पक्ष में by goods sold on hire purchase कर नाम से दिखाना चाहिए।


4. Stock with customers in the end - इसे क्रेडिट पक्ष में लिखा जाता है। अगर यह किराया क्रय मूल्य पर है तो किराया क्रय मूल्य और लागत मूल्य में जो अंतर होगा उसे किराया क्रय व्यापारिक खाते के डेबिट पक्ष में स्टॉक रिजर्व के नाम से लिखा जाएगा। 

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