Difference between Financial Management and Financial Accounting in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम वित्तीय प्रबन्ध तथा वित्तीय लेखांकन में अंतर के बारे में समझेंगें।


वित्तीय प्रबन्ध तथा वित्तीय लेखांकन में अंतर (Difference between Financial Management and Financial Accounting)

वित्तीय प्रबन्ध तथा वित्तीय लेखांकन में अंतर की व्याख्या निम्नलिखित है -

1. निश्चितता

वित्तीय प्रबन्ध - वित्तीय प्रबन्ध अनिश्चित प्रकृति का होता है। इसमें अनुमानों के आधार पर भविष्य के सम्बंध के निर्णय लिए जाते है जैसे वित्तीय निर्णय, विनियोग निर्णय, कार्यशील पूंजी निर्णय आदि।

वित्तीय लेखांकन - वित्तीय लेखांकन अपेक्षाकृत अधिक निश्चित प्रकृति का होता है। इसमें घटित हो चुकी घटनाओं व लेन देनो का लेखा किया जाता है जिसके कारण इससे प्राप्त आंकड़े व सूचनाएं निश्चित होती है।




Difference between Financial Management and Financial Accounting in hindi
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2. कार्य तथा करने का क्रम

वित्तीय प्रबन्ध - वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत मुख्य कार्य विभिन्न वित्तीय निर्णय लेना होता है। वित्तीय लेखांकन द्वारा उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों व अन्य जानकारी के आधार पर वित्तीय प्रबन्ध के निर्णय लिए जाते है। वित्तीय प्रबन्ध, वित्तीय लेखांकन का कार्य पूरा हो जाने के बाद किया जाता है।


वित्तीय लेखांकन - वित्तीय लेखांकन का कार्य वित्तीय प्रबन्ध से पहले किया जाता है। इसके अंतर्गत विभिन्न मौद्रिक लेन देनो का लेखा तैयार किया जाता है। जैसे वित्तीय विवरण, आय विवरण, स्थिति विवरण, कोष प्रवाह विवरण, रोकड़ प्रवाह विवरण आदि।



3. आगम प्राप्ति का आधार

वित्तीय प्रबन्ध - वित्तीय प्रबन्ध में आगम प्राप्ति केवल उसी दशा में मानी जाती है जब रोकड़ वास्तव में प्राप्त हो जाती है अर्थात इसमे रोकड़ प्रवाह पद्धति के आधार पर आगम प्राप्ति होती है तथा इसी प्रकार के वास्तव में रोकड़ में भुगतान माना जाता हैम अतः यह रोकड़ प्रवाह को महत्व देता है।

वित्तीय लेखांकन - वित्तीय लेखांकन देय आधार पर आधारित होता है अर्थात आगम प्राप्ति के देय होने पर ही इसे आगम की प्राप्ति मान लिया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी सम्पत्ति का आधार विक्रय भी किया जाता है तो वित्तीय लेखांकन में इसे आगम प्राप्ति ही माना जाता हैं इसमे लेखांकन लाभों को महत्व दिया जाता है।


वित्तीय प्रबन्ध में लिए जाने वाले निर्णय, पूंजी बजटिंग, विनियोग निर्णय आदि रोकड़ प्रवाह के आधार पर लिए जाते है जो वित्तीय लेखांकन द्वारा तैयार किए गए लाभ व हानि खाते से प्राप्त हुए शुद्ध लाभ पर निर्भर करना है। अतः बिना वित्तीय लेखांकन के वित्तीय प्रबन्ध सम्भव नही है।


वित्तीय प्रबन्ध का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य, कार्यशील पूंजी का प्रबन्ध भी वित्तीय लेखांकन पर निर्भर करता है।


निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि वित्तीय लेखांकन से प्राप्त महत्वपूर्ण सूचनाओं के आधार पर वित्तीय प्रबन्ध किया जा सकता हैं अतः वित्तीय प्रबन्ध व वित्तीय लेखांकन एक दूसरे के पूरक है। 

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