Methods of Analysis of Working Capital in hindi


हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में हम कार्यशील पूंजी के विश्लेषण की विधियों के बारे में जानेंगें।


कार्यशील पूंजी के विश्लेषण की विधियां (Methods of Analysis of Working Capital)

कार्यशील पूंजी का विश्लेषण आंतरिक व बाहरी पक्षकारों द्वारा संस्था की तरलता की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए किया जाता हैं बाहरी पक्षकारों में बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, लेनदारों, ऋणपत्रधारियों, अंशधारियों आदि को शामिल किया जाता है। ये पक्षकार संस्था द्वारा अपने अल्पकालीन दायित्वों का उचित समय पर भुगतान करने के लिए चालू सम्पत्तियों की स्थिति को जानने के लिए कार्यशील पूंजी विश्लेषण करते है। कार्यशील पूंजी के विश्लेषण करने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है -

1. कार्यशील पूंजी में परिवर्तन की अनुसूची

2. अनुपात विश्लेषण
(i) तरलता अनुपात
(ii) क्रियाशीलता अनुपात

3. कोष प्रवाह विवरण

4. रोकड़ प्रवाह विवरण




Methods of Analysis of Working Capital in hindi
Methods of Analysis of Working Capital in hindi





1. कार्यशील पूंजी में परिवर्तन की अनुसूची - कार्यशील पूंजी में परिवर्तन की अनुसूची के माध्यम से संस्था की चालू सम्पत्तियों व चालू दायित्वों में होने वाली वृद्धि एवं कमी की गणना की जाती है।


2. अनुपात विश्लेषण - कार्यशील पूंजी का विश्लेषण करने के लिए निम्नलिखित अनुपातों का प्रयोग किया जाता है -

(i) तरलता अनुपात - तरलता अनुपात में निम्नलिखित अनुपात शामिल किए जाते है -


(i) चालू अनुपात = चालू सम्पत्तियां / चालू दायित्व


(ii) शीघ्र अनुपात = तरल सम्पत्तियां / चालू दायित्व


(iii) सापेक्ष तरलता अनुपात = रोकड़ + बैंक + विक्रय योग्य प्रतिभूतियां / चालू दायित्व



(ii) क्रियाशीलता अनुपात - क्रियाशीलता अनुपात में निम्नलिखित अनुपात शामिल किए जाते है -

(i) कार्यशील पूंजी आवर्त अनुपात = विक्रय किए गए माल की लागत / कार्यशील पूंजी


(ii) स्टॉक आवर्त अनुपात = विक्रय किए गए माल की लागत / कार्यशील पूंजी


(iii) देनदार आवर्त अनुपात = उधार विक्रय / औसत लेनदार + औसत प्राप्य बिल


(iv) औसत संग्रह अवधि = औसत देनदार + औसत प्राप्य बिल / प्रतिदिन उधार विक्रय


(v) लेनदार आवर्त अनुपात = उधार क्रय / औसत देनदार + औसत देय बिल


(vi) औसत भुगतान अवधि =औसत देनदार + औसत देय बिल / प्रतिदिन उधार क्रय



3. कोष प्रवाह विवरण - कोष प्रवाह विवरण की सहायता से कोषों को प्राप्त करने के स्रोतों एवं कोषों के उपयोग को दर्शाया जाता है। यह विवरण कार्यशील पूंजी के हुई वृद्धि एवं कमी के कारणों की व्याख्या करता है।

4. रोकड़ प्रवाह विवरण - रोकड़ प्रवाह विवरण की सहायता से रोकड़ के अन्तर्वाह व बहिर्वाह को दर्शाया जाता है। इस विवरण में दो अलग स्थिति विवरणों में रोकड़ शेष में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या की जाती है।

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