Modern Approach of Financial Management and its Characteristics in Hindi


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में वित्तीय प्रबन्ध की आधुनिक विचारधारा और इसकी विशेषताओं के बारे में समझेंगे।


वित्तीय प्रबन्ध की आधुनिक विचारधारा (Modern Approach of Financial Management)

वित्तीय प्रबन्ध की आधुनिक विचारधारा का जन्म बीसवीं शताब्दी के छठे दशक में हुआ। उस समय व्यावसायिक परिस्थितियों जैसे प्रतिस्पर्धा, तकनीकी खोज, व्यावसायिक संस्थाओं का आकार आदि में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए जिसके कारण वित्तीय प्रबन्ध की परंपरागत विचारधारा का पालन करना असंभव हो गया था।




Modern Approach of Financial Management and its Characteristics in Hindi
Modern Approach of Financial Management and its Characteristics in Hindi




वित्तीय प्रबन्ध की आधुनिक विचारधारा का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। इसमें वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत आवश्यक वित्त को इकट्ठा करने के साथ साथ इसके कुशल प्रयोग को भी शामिल किया गया है। इस विचारधारा के अनुसार वित्तीय प्रबन्ध में निम्नलिखित तीन मुख्य कार्यों को शामिल किया जाता है -

(i) वित्त की आवश्यकताओं के अनुमान लगाकर वित्त एकत्रित करना।

(ii) वित्त को सम्पत्तियों व दीर्घकालीन परियोजनाओं में निवेश करना।

(iii) सम्पत्तियों से प्राप्त आय को अंशधारियों में वितरित करना।




विशेषताएं (Characteristics)

वित्तीय प्रबन्ध की आधुनिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है -

1. वित्तीय उत्तरदायित्व का केन्द्रीयकरण - वित्तीय प्रबन्ध के अन्तर्गत वित्तीय उत्तरदायित्व का केन्द्रीयकरण किया जाता है क्योंकि यह केंद्रीयकृत स्वभाव का होता है। यह ध्यान देने योग्य विषय है कि वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत उत्तरदायित्व का विकेन्द्रीयकरण न तो सम्भव होता है और न ही वांछनीय।


2. सार्वभौमिक - वित्तीय प्रबन्ध सार्वभौमिक प्रकृति का होता है अर्थात यह सभी प्रकार के संगठनों जैसे निगामित, गैर निगामित, निर्माणी, सेवा संगठन, गैर लाभकारी संगठन आदि सभी पर एक समान रूप से लागू होता है।


3. विस्तृत क्षेत्र - वित्तीय प्रबन्ध का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। इसमें वित्त इकट्ठा करने के साथ साथ वित्त का कुशल प्रयोग करना भी शामिल है।


4. निरन्तरता - वित्तीय प्रबन्ध एक नियमित प्रकृति का कार्य हैं। इसके अंतर्गत मात्र वित्त इकट्ठा करने से ही काम नही चलता है बल्कि इसके बाद एकत्रित किए हुए वित्त का नियोजन व नियंत्रण आदि कार्य भी करने पड़ते है।


5. उच्च स्तरीय प्रबन्ध का आधारभूत कार्य - वित्तीय प्रबन्ध उच्च स्तरीय प्रबन्ध का एक आधारभूत कार्य है। प्रबन्ध में प्रायः सभी व्यावसायिक क्रियाओं जैसे उत्पाद, विपणन आदि सभी के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में वित्त की प्राप्ति व उपयोग किया जाता है। अतः वित्तीय प्रबन्ध का आधुनिक व्यावसायिक प्रबन्ध में बहुत अधिक महत्व है।


6. वित्तीय प्रबन्ध लेखांकन कार्य से अलग है - वित्तीय प्रबन्ध का कार्य लेखांकन कार्य से अलग होता है। लेखांकन प्रबन्धको को आवश्यक सूचनाएं या आंकड़े प्रदान करता है। जबकि वित्तीय प्रबन्ध या वित्तीय कार्यों में वित्तीय निर्णय लेने के लिए लेखांकन से प्राप्त आंकड़ों या सूचनाओं का विश्लेषण एवं प्रयोग किया जाता है।


7. कम वर्णन व अधिक विश्लेषण - आधुनिक वित्तीय प्रबन्ध में वर्णन कम व विश्लेषण अधिक किया जाता हैं। वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत उपलब्ध विभिन्न सम्भावित विकल्पों में से सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव करने के लिए नवीनतम सांख्यिकीय व लेखांकन तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।


8. निर्धारित वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने से सम्बंधित - वित्तीय प्रबन्ध का सम्बंध निर्धारित किए हुए वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने से होता है, फिर इन प्रमापों से विनियोग निर्णयों के फलस्वरूप प्राप्त होने वाले लाभों की तुलना की जाती है। इस प्रकार वित्तीय प्रबन्ध का सम्बंध संस्था से पूर्व निर्धारित वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने से है।


9. अन्य सभी क्रियाओं के साथ सम्बन्धित - वित्तीय कार्यों का अन्य सभी क्रियाओं जैसे उत्पादन, विपणन आदि के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। उदाहरण के लिए फर्म के उत्पादन विभाग में किसी नई मशीन का क्रय करना हो या किसी पुरानी मशीन को पुनः स्थापित करना हो, तो इसके लिए वित्तीय कार्य करने पड़ते है अर्थात पर्याप्त वित्त की व्यवस्था करनी पड़ेगी। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती, विज्ञापन, विक्रय आदि सभी कार्यों के लिए भी वित्त की आवश्यकता होती है। 

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