Effects Economic Environment on International Business in hindi

हेलो दोस्तों।

आज के पोस्ट में आर्थिक पर्यावरण का अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय पर प्रभाव के बारे में जानेंगे दोस्तों।


आर्थिक पर्यावरण का अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय पर प्रभाव (Effects Economic Environment on International Business)

अन्तराष्ट्रीय विपणन में आर्थिक वातावरण महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अन्तराष्ट्रीय विपणन पर आयात करने वाले देश के आर्थिक वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है। अन्तराष्ट्रीय विपणन में एक विपणनकर्ता के लिए जिस विदेशी देश के साथ वह विपणन करता है तो उसे उस देश के आर्थिक पर्यावरण को जानना आवश्यक है क्योंकि आर्थिक पर्यावरण अनेक प्रकार से व्यवसाय पर प्रभाव डालता है। आर्थिक पर्यावरण में अनेक तत्व शामिल किए जाते है जो व्यवसाय को निम्न प्रकार से प्रभावित करते है :




Effects Economic Environment on International Business in hindi
Effects Economic Environment on International Business in hindi




1. आर्थिक दशाएं - अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक दशाएं अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय को प्रभावित करती है। विभिन्न आर्थिक दशाएं जैसे आय स्तर, आय का वितरण, व्यापारिक चक्र बाजार के आकार को प्रभावित करती है। आर्थिक विकास का स्तर ही घरेलू बाजार का आकार निर्धारित करता है तथा अन्तराष्ट्रीय स्तर पर विकास का स्तर भी निर्धारित करता है। ऐसी अर्थव्यवस्था जहां प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो वहां अन्तराष्ट्रीय स्तर पर व्यवसाय उच्चतम प्रगति के स्तर पर होता है।


2. आर्थिक व्यवस्थाएं - आर्थिक व्यवस्थाओं की भी अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में अहम भूमिका होती हैं अर्थव्यवस्था तीन प्रकार की हो सकती है - पूंजीवादी, समाजवादी और मिश्रित। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था स्वतन्त्र प्रकार की होती है जबकि समाजवादी अर्थव्यवस्था पर सरकार का नियंत्रण होता है तथा मिश्रित अर्थव्यवस्था दोनों का संयुक्त मिश्रण होता है। इस प्रकार ये अर्थव्यवस्थाएं अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय को प्रभावित करती है।


3. आर्थिक वृद्धि - जिस प्रकार आर्थिक दशाएं तथा आर्थिक व्यवस्थाएं अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय को प्रभावित करती है, उसी प्रकार आर्थिक वृद्धि का स्तर भी व्यवसाय की रणनीतियों तथा व्यवसाय के प्रबंधन को प्रभावित करता है। आर्थिक वृद्धि व्यवसाय के नए अवसर खोजने में सहायक है। अन्तराष्ट्रीय व्यापार में आर्थिक वृद्धि विपणनकर्ता को विकास के स्तर पर पहुंच सकती है। इसके विपरीत अगर विपणनकर्ता को विदेशों में प्रवेश करने पर अधिक लागत वहन करनी पड़ती है तो वह अन्तराष्ट्रीय व्यापार में अधिक समय तक नही टिक सकता।


4. आर्थिक नीतियां - अन्तराष्ट्रीय विपणन करते समय प्रत्येक विपणनकर्ता को नीतियां बनानी पड़ती हैं ये नीतियां प्रायः सरकार द्वारा बनाई गई आर्थिक नीतियों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। व्यवसाय राष्ट्रीय हो या अन्तराष्ट्रीय उस पर इन नीतियों का अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है है। ये नीतियां अनेक प्रकार की होती है जैसे आयात निर्यात नीति, रोजगार नीति, कर नीति, औद्योगिक नीति आदि। इस प्रकार आर्थिक नीति एक प्रकार के व्यवसाय को आयकर व अनुदान में छूट दे सकती है जबकि अन्य व्यवसायों पर अधिक शुल्क व कर लगा सकती है। आर्थिक नीतियों में बदलाव के कारण व्यवसाय को अपनी नीतियों में भी परिवर्तन करना पड़ता है।


5. विनिमय दरें - विनिमय दरों का भी अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय को प्रभावित करने के महत्वपूर्ण योगदान है। ये दरें प्रत्यक्ष रूप से अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय को प्रभावित करती है। कभी कभी निर्यातों को बढ़ावा देने तथा भारतीय उत्पादों को अन्तराष्ट्रीय व्यवसायों के सस्ता करने के लिए रुपये का अवमूल्यन किया जाता है।


6. ब्याज दरें - ब्याज दरों का भी अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव पड़ता है। ब्याज दरें प्रत्यक्ष रूप से अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय को प्रभावित करती है। ब्याज दरों में वृद्धि तथा कभी व्यवसाय पर अच्छा तथा कभी बुरा प्रभाव डालती है। 

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