Identifying and Selecting International Market and Classification of International Markets in Hindi


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय बाजार की पहचान एवं चुनाव और अन्तराष्ट्रीय बाजार का वर्गीकरण के बारे में जानेंगे।


अन्तराष्ट्रीय बाजार की पहचान (Identifying and Selecting International Market)

अन्तराष्ट्रीय बाजार की पहचान एवं उसका चयन अन्तराष्ट्रीय विपणन का पहला कदम है। विश्व बाजार लगभग 200 छोटे बड़े राष्ट्रों से मिलकर बना है और प्रत्येक राष्ट्र की अलग अलग विशेषताएं है। कोई भी फर्म विश्व के सभी बाजारों में अपना कार्य नही कर सकती। ऐसे अनेक घटक है जो एक फर्म के लिए विदेशी बाजारों में प्रवेश को जटिल बनाती है। अतः एक निर्यातक के लिए यह अत्यंत जरूरी है कि वह विश्व बाजारों में प्रवेश करने से पहले उन बाजारों के चुनाव कर लें जिन बाजारों में उत्पाद को आसानी से बेचा जा सके।




Identifying and Selecting International Market and Classification of International Markets in Hindi
Identifying and Selecting International Market and Classification of International Markets in Hindi





अन्तराष्ट्रीय बाजारों के वर्गीकरण (Classification of International Markets)

अन्तराष्ट्रीय बाजार की अवधारणा बहुत विस्तृत है। वास्तव में अन्तराष्ट्रीय बाजार कोई एक बाजार न होकर, कई प्रकार के बाजारों के समूह है। अंतराष्ट्रीय बाजारों के वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया जा सकता है जो इस प्रकार है :

1. औद्योगिक विकास के आधार पर - विश्व का प्रत्येक देश औद्योगिक विकास के विभिन्न चरणों मे होता है। इस आधार पर अन्तराष्ट्रीय बाजारों को मुख्यत चार भागों के विभक्त किया जा सकता है :

(i) विकसित अर्थव्यवस्थाएं - पूंजी की प्रचुर मात्रा तथा दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के प्रति उदारवादी नीति के कारण ये अर्थव्यवस्थाएं एक बड़े बाजार के रूप में कार्य करती है। ये अर्थव्यवस्थाएं न केवल विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को नई उत्पादन तकनीक उपलब्ध करवाती है बल्कि साथ ही उनके कच्चे माल व उत्पादों के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाती है।


(ii) विकासशील अर्थव्यवस्थाएं - विकासशील अर्थव्यवस्थाएं तेजी से विकास कर रही है। यद्यपि वर्तमान में इनके बाजार बहुत अधिक उन्नत नही है तथापि तकनीकी सुधार जैसे तरीको को अपनाकर ये इस दिशा में अग्रसर है।


(iii) कच्चा माल निर्यातक अर्थव्यवस्थाएं - इस प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन क्रियाओं के लिए आवश्यक अधोसंरचना सुविधाओ जैसे उत्पादन तकनीक, पूंजी, उद्यशीलता आदि का अभाव होता है परन्तु इन राष्ट्रों में खनिज तथा अन्य कच्चा माल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है।


(iv) निर्वाह अर्थव्यवस्थाएं - इन अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन का स्तर केवल इनकी खुद की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए ही पर्याप्त होता है। इन राष्ट्रों को अपने विकास के लिए अन्य राष्ट्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता पर निर्भर रहना पड़ता है।



2. सकल राष्ट्रीय उत्पाद के आधार पर - सकल राष्ट्रीय उत्पाद भी अन्तराष्ट्रीय बाजारों के वर्गीकरण के आधार के रूप में कार्य करता है। जिन देशों में सकल राष्ट्रीय उत्पाद अधिक होता है, वहां सामान्यतः लोगों की आय व जीवन स्तर ऊंचा होता है। इसके परिणामस्वरूप इन देशों में उपभोग प्रवृति अधिक होती है।



3. जनसंख्या के आधार पर - जनसंख्या अन्तराष्ट्रीय बाजारों के वर्गीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रस्तुत करती है। इसका कारण यह है कि बेची गयी वस्तुओं का प्रयोग मुख्यतः देश की जनता द्वारा ही किया जाता है। जनसंख्या के आधार पर अन्तराष्ट्रीय बाजारों के वर्गीकरण उस देश की जनांकिकी विशेषताओं पर निर्भर करता है जिसका वर्णन इस प्रकार है :

(i) आयु - आयु के आधार पर भी विदेशी बाजारों के वर्गीकरण किया जाता है क्योंकि उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं, इच्छाओं तथा रुचियों में आयु के साथ साथ निरन्तर परिवर्तन होता रहता है।


(ii) लिंग - लिंग के आधार पर भी विदेशी बाजारों के वर्गीकरण किया जाता है। प्रायः उपभोक्ता उत्पादों जैसे वस्त्र, जूते, शेविंग क्रीम, कॉस्मेटिक उत्पाद आदि के बाजारों को लिंग के आधार पर ही वर्गीकृत किया जाता है।


(iii) आय - आय भी विदेशी बाजारों के वर्गीकरण का प्रमुख आधार है। अतः विपणनकर्ता को सबसे पहले विभिन्न आय वर्ग के लोगो मे खर्च करने की प्रवृति का अध्ययन करना पड़ता है क्योकि आय के अनुसार ही व्यक्तियों की क्रय वरीयताओं, पसन्द-नापसन्द आदि में भिन्न्ता पाई जाती है।


4. अन्य विशेषताओं के आधार पर - इन सब आधारों के अतिरिक्त, अन्तराष्ट्रीय बाजारों का वर्गीकरण करने के लिए कुछ अन्य तथ्यों को भी आधार बनाया जा सकता है। जिनमे से कुछ प्रमुख अग्रलिखित है :

(i) किसी देश की राजनीतिक स्थिति

(ii) देश के आंतरिक बाजारों में प्रचलित दशाएं

(iii) किसी देश मे प्रचलित सांस्कृतिक दशाएं आदि। 

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