अंतर्राष्ट्रीय विपणन वातावरण और इसके आंतरिक वातावरण के बारे में जानकारी


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय विपणन वातावरण का अर्थ और आंतरिक वातावरण के बारे में जानेंगें।


अन्तराष्ट्रीय विपणन वातावरण (International Marketing Environment)

विपणन वातावरण से आशय वातावरण के उन घटकों से है जो एक व्यवसाय की विपणन क्रिया को प्रभावित करते है। इस प्रकार अन्तराष्ट्रीय विपणन वातावरण उन घटकों का योग है जो एक व्यवसाय को अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित करते है, अन्य शब्दों में जब वातावरण के घटक अन्तराष्ट्रीय विपणन को प्रभावित करते है तो इसे अन्तराष्ट्रीय विपणन वातावरण कहते है। 


अन्तराष्ट्रीय विपणन वातावरण का सामना करना एक व्यावसायिक संगठन के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसके घटकों में दिन प्रतिदिन परिवर्तन होते रहते है।




अंतर्राष्ट्रीय विपणन वातावरण और इसके आंतरिक वातावरण के बारे में जानकारी
अंतर्राष्ट्रीय विपणन वातावरण और इसके आंतरिक वातावरण के बारे में जानकारी




आंतरिक वातावरण (Internal Environment)

एक फर्म के आंतरिक वातावरण में उन घटकों को शामिल कुया जाता है जो व्यवसाय के नियंत्रण में होते है। आंतरिक वातावरण के अंतर्गत निम्नलिखित को सम्मिलित किया जाता है :

1. कंपनी की छवि - कंपनी की छवि उसके उत्पादों, उसके कर्मचारियों के व्यवहार एवं ग्राहकों की शिकायतों के प्रभावी निवारण से बनती है। अगर किसी कंपनी का नाम एवं छवि एक बार ग्राहकों के दिमाग मे जम जाए तो ग्राहक उसी कंपनी के उत्पाद एक सेवाएं क्रय करते है। अन्तराष्ट्रीय विपणन के ऐसी अनेक कंपनियां है जिनके उत्पादों की छवि ग्राहकों के दिलो दिमाग पर छाई हुई है।


2. मानवीय संसाधन - मानवीय संसाधन किसी भी अन्तराष्ट्रीय फर्म की सफलता या असफलता के लिए उत्तरदायी होते है। अगर फर्म के कर्मचारी कुशल, प्रशिक्षित तथा अभिप्रेरित है तो ये कर्मचारी व्यवसाय को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते है। और अगर व्यवसाय के कर्मचारी सन्तुष्ट नही है तो वे हड़ताल पर जा सकते है तथा उनका मनोबल गिर सकता है।


3. वित्तीय संसाधन - एक कंपनी के वित्तीय संसाधन भी अन्तराष्ट्रीय विपणन को प्रभावित करते हैं अगर कंपनी में वित्तीय संसाधन कुशल एवं नियोजित है तो वह अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त कर सकती है। और अगर कंपनी के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नही है तो वह अन्तराष्ट्रीय व्यापार में प्रगति नही कर सकती।


4. क्षमता का उपयोग - कंपनी के संयंत्र की उत्पादन क्षमता भी आंतराष्ट्रीय विपणन को प्रभावित करती है। वे कंपनियां जिनका प्रबन्ध कुशल होता है वे इस बात का प्रयास करती है कि उनके उत्पादन संयंत्र पूरी क्षमता से कार्य करें जिसके फलस्वरूप लागतों में कमी आए तथा लाभों में वृद्धि हो सके। अतः अन्तराष्ट्रीय व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यवसाय को पूर्ण उत्पादन क्षमता का प्रयोग करना चाहिए।


5. अनुसन्धान एवं विकास - एक व्यवसाय तभी उन्न्ति कर सकता है अगर वह समय समय पर अपने उत्पादों में अन्तराष्ट्रीय वातावरण के अनुसार परिवर्तन करता रहे और यह कार्य वह पर्याप्त अनुसन्धान तथा विकास द्वारा ही कर सकता हैं अनुसन्धान करके एक कंपनी यह जान सकती है कि ग्राहक किस प्रकार के उत्पाद पसन्ध करते है और किस प्रकार के नही। 

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