Nature of International Marketing in Hindi


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय विपणन की प्रकृति के बारे में समझेंगे।


अन्तराष्ट्रीय विपणन की प्रकृति (Nature of International Marketing)

अन्तराष्ट्रीय विपणन की प्रकृति कुछ सीमा तक देशी विपणन से मिलती है लेकिन कुछ आधारों पर इनकी प्रकृति एक दूसरे से अलग है जो इस प्रकार है :

1. राजनीतिक प्रकृति - अन्तराष्ट्रीय विपणन में विभिन्न राष्ट्रों के बीच राजनीतिक सम्बन्धों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विकसित देशों द्वारा उन विकासशील देशों को अपने यहां निर्यात के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है जो उनके राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।




Nature of International Marketing in Hindi
Nature of International Marketing in Hindi





2. संरक्षणात्मक प्रकृति - अन्तराष्ट्रीय विपणन की प्रकृति संरक्षणवादी है। प्रत्येक राष्ट्र यह चाहता है कि निर्यात अधिक से अधिक हो तथा आयात कम से कम हों। इसके लिए वह निर्यात को प्रोत्साहित कर आयात पर प्रतिबंध लगाता है।


3. प्रभुतापूर्ण प्रकृति - अन्तराष्ट्रीय विपणन प्रभुतापूर्ण प्रकृति का होता हैं नए एवं आधुनिक उत्पादों के उत्पादन के कारण अन्तराष्ट्रीय विपणन के अधिकांश भाग पर विकसित देशों ने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है। इसका मुख्य कारण यह है कि विकसित देश अपनी तकनीकी एवं गुणवत्ता सम्बन्धी श्रेष्ठता के कारण बेहतर उत्पाद एवं सेवाएं प्रदान करने में समर्थता प्राप्त किए हुए है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अन्तराष्ट्रीय विपणन पर अधिकांश प्रभुत्व विकसित देशों का है तथा शेष भाग पर विकासशील या अल्पविकसित देशों का प्रभुत्व रह जाता है।


4. कड़ी प्रतियोगिता - अन्तराष्ट्रीय विपणन कड़ी प्रतियोगी प्रकृति का होता है। अन्तराष्ट्रीय बाजार में विपणनकर्ताओं को त्रि-स्तरीय प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है। यह प्रतियोगिता दूसरे देश के निर्यातकों से, अपने ही देश के अन्य निर्यातकों से तथा आयातक देश के उत्पादकों से हो सकती है।


5. जोखिम की अधिकता - अन्तराष्ट्रीय विपणन कई प्रकार के जोखिमों से घिरा होता है क्योंकि इसमें एक व्यापारिक लेन देन को पूरा करने में काफी समय लगता है। इस बीच अगर आयात करने वाले देश मे राजनीतिक या कानूनी परिवर्तन हो जाये या ग्राहकों की आर्थिक स्थिति बदल जाए तो ऐसे परिवर्तन अन्तराष्ट्रीय विपणन को व्यापक रूप से प्रभावित करते है।


6. साख अभिमुखी - अन्तराष्ट्रीय विपणन साख अभिमुखी होता हैम प्रायः अधिकांश आयातक देश उन देशों से माल खरीदना पसन्द करते है, जहां भुगतान अवधि लम्बी हो तथा ब्याज की दर कम से कम हो अर्थात माल साख की उदार शर्तों पर मिलता है।


7. विभिन्न कानून तथा मौद्रिक प्रणालियां - प्रत्येक देश के कानून अलग अलग होते है तथा प्रत्येक देश मे अलग अलग मौद्रिक प्रणालियां लागू होती है। कानूनों की यह विभिन्न्ता तथा विनिमय दरें अन्तराष्ट्रीय विपणन को कठिन बना देती है।


इस प्रकार यद्यपि राष्ट्रीय विपणन तथा अन्तराष्ट्रीय विपणन एक समान प्रतीत होते है लेकिन इन सभी प्रकृति के अध्य्यन के बाद यह स्पष्ट होता है कि इज दोनों में काफी भिन्न्ता होती है।

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