Product Adaptation in Marketing in Hindi


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम उत्पाद अनुकूलन का अर्थ, रणनीति और सही रणनीति का चुनाव के बारे में जानेंगे।


उत्पाद अनुकूलन (Product Adaptation)

प्रत्येक बाजार की परिस्थितियां एवं आवश्यकताएं अलग - अलग होती है इसलिए यह आवश्यक नही है कि जो उत्पाद एक बाजार में सफल हो वह दूसरे बाजार में भी सफलता प्राप्त करेगा। अतः कोई भी निर्यातक जो अपने उत्पाद को अन्तराष्ट्रीय बाजार में बेचना चाहते है उन्हें अन्तराष्ट्रीय बाजार में सफलता प्राप्त करने के लिए वहां के बाजार की परिस्थितियों के अनुसार उत्पाद अनुकूलन करना पड़ता है। यह उत्पाद को सफल बनाने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है। उत्पाद अनुकूलन आकार, कार्यशीलता, सामग्री, डिज़ाइन, स्टाइल, रंग एवं पसन्द सम्बन्धी हो सकता है। ऐसे कई उत्पाद है जिनके सम्बन्ध में उत्पाद अनुकूलन करना अनिवार्य है जैसे रेडीमेड गार्मेंट्स, वाहन तथा मशीनरी इत्यादि।




 
उत्पाद अनुकूलन का अर्थ और रणनीति
उत्पाद अनुकूलन का अर्थ और रणनीति





उत्पाद अनुकूल रणनीति (Product Adaptation Strategy)

आधुनिक युग प्रतिस्पर्धात्मक युग है। प्रतिस्पर्धा के इस क्षेत्र में अन्तराष्ट्रीय विपणन के लिए ग्राहकों को सन्तुष्ट करने के लिए ग्राहकों की रुचियों, इच्छाओं व जरूरतों को ध्यान में रखकर वस्तु में आवश्यक संशोधन कर वस्तुओं को उनकी इच्छाओं के अनुरूप बनाया जाता है। इस प्रकार जब उत्पाद को विदेशी क्रेता के अनुसार संशोधित करने के लिए रणनीति बनाई जाती है तो उसे उत्पाद अनुकूलन रणनीति कहा जाता है। यह रणनीतियां निम्न है :

1. एक उत्पाद सर्वव्यापी एक संदेश - इसके अंतर्गत एक उत्पाद को एक ही विज्ञापन एवं संवर्द्धन लेख की सहायता से सम्पूर्ण विश्व मे बेचा जाता है। अनेक प्रसिद्ध कम्पनियां इसी रणनीति का प्रयोग कर रही है जैसे पेप्सी, सैमसंग, वीडियोकॉन आदि।

उत्पाद नियोजन और इसका महत्व जाने

2. एक उत्पाद परन्तु संशोधित संचार - इस रणनीति के उत्पाद एक ही होता है परंतु उत्पाद का घरेलू बाजार व अन्तराष्ट्रीय बाजार में संचार व प्रसारण का तरीका एक जैसा न होकर अलग होता है।


3. उत्पाद अनुकूलन संचार प्रसारण - उत्पाद अनुकूलन की इस रंजीति के अंतर्गत उत्पाद में मामूली फेरबदल किया जाता है ताकि उसे स्थानीय उपभोक्ताओं की जरूरतों के अनुरूप बनाया जा सके। इसमे विज्ञापन सन्देश मूलतः पुराने जैसे ही रहते है परंतु इस रणनीति में वस्तु में परिवर्तन की लागत का व्यय आता है।


4. उत्पाद नवाचार - इसका अर्थ किसी उत्पाद में किए जाने वाले ऐसे परिवर्तन से है जो उत्पाद को पूरी तरह बदलकर नवीन रूप में प्रस्तुत करते है। अन्तराष्ट्रीय बाजार में जब उत्पाद की लागत अधिक हो जाती है तो उसे कम करने के लिए यह रणनीति अपनाई जाती है इसमे शोध कार्य अधिक किया जाता है इसलिए यह उत्पाद अनुकूलन की महंगी रणनीति है।


5. दोहरा अनुकूलन - इस रणनीति में दोहरी अनुकूलन व्यवस्था अपनाई जाती है। इसमें मुख्यतः उत्पाद एवं संचार दोनों के परिवर्तन कर उन्हें उपभोक्ताओं की इच्छाओं के अनुरूप बनाने का प्रयास किया जाता है।




सही रणनीति का चुनाव (Choosing the Correct Strategy)

उत्पाद अनुकूलन की सही रणनीति कर चयन हेतु निम्नलिखित तत्वों को ध्यान में रखना जरूरी होता है :

1. फर्म का उद्देश्य - फर्म के उद्देश्य का उत्पाद अनुकूलन की सही रणनीति के चयन में एक महत्वपूर्ण योगदान है। अगर फर्म का उद्देश्य उत्पाद अनुकूलन रणनीति को अपनाकर लाभों में वृद्धि करना है तो इसके लिए उत्पाद संवर्द्धन रणनीति को अपनाया जाता है।


2. फर्म की आर्थिक स्थिति - उत्पाद अनुकूलन की सही रणनीति का चुनाव करते समय एक व्यावसायिक संस्था को सबसे पहले अपने वित्तीय तथा गैर वित्तीय साधनों को ध्यान में रखना होता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि संस्था उत्पाद अनुकूलन की लागत को सहन करने की क्षमता रखती है या नही। अगर संस्था उत्पाद अनुकूलन की क्षमता रखती है तो अनुकूलन रणनीति को अपनाया जाता है अन्यथा नही।


3. उत्पाद बाजार विश्लेषण - सही उत्पाद अनुकूलन रणनीति का चुनाव करते समय बाजार विश्लेषण करके यह देख लेना चाहिए कि उत्पाद का उपयोग कौन, कब तथा किस उद्देश्य के लिए कर रहा है।


4. पैकेजिंग एवं लेबलिंग - यह अन्तराष्ट्रीय बाजारों के उत्पाद अनुकूलन रणनीति का चयन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके लिए वह उत्पाद, जिसका विपणन किया जा रहा है उसकी पैकेजिंग तथा लेबलिंग विदेशी बाजार के अनुसार होनी चाहिए।

Post a Comment