अन्तराष्ट्रीय विपणन में संभार तन्त्र निर्णय के बारे में जानकारी

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय विपणन में संभार तन्त्र के सम्बंध में किए जाने वाले निर्णय के बारे में जानेंगे।


संभार तन्त्र (Logistics)

उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि करना विपणन का मुख्य कार्य है परंतु इससे भी महत्वपूर्ण कार्य है कि उत्पादित माल को सही समय, सही मात्रा तथा सही स्थान पर उपलब्ध करवाना। अगर उपभोक्ताओं को उत्पाद सही समय पर प्राप्त नही होता है तो वह उत्पाद बाजार में अधिक समय तक टिक नही पाएगा। इस कार्य को पूरा करने आए लिए संस्था में वितरण क्रियाओं की संरचना की जाती है जिसे संभार तन्त्र कहते है। इसके अंतर्गत सामग्रियों के उठाने, रखने, परिवहन, भंडारण, सामग्री नियंत्रण, माल के आदेश की मात्रा का नियंत्रण आदि को शामिल किया जाता है।




Decisions Regarding Logistics in International Marketing in Hindi
Decisions Regarding Logistics in International Marketing in Hindi





अन्तराष्ट्रीय विपणन में संभार तन्त्र के सम्बंध में महत्वपूर्ण निर्णय (Important Decisions Regarding Logistics in International Marketing)

अन्तराष्ट्रीय विपणन में संभार तन्त्र की स्थापना करने से पहले निम्न बातों के सम्बंध में निर्णय लेने होते है :

1. भंडारण - उत्पादों के संभार तन्त्र के लिए भंडारण करना बहुत अनिवार्य है ताकि आवश्यकता के समय आदेशों की पूर्ति की जा सके। यह उत्पादों में समय उपयोगिता का सृजन होता है। टिकाऊ उत्पादों की दशा में इनके उत्पादन से लेकर उपभोग के बीच काफी समय अंतराल होता है तथा इस बीच उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए जो व्यवस्था या प्रबन्ध किया जाता है उसे भंडारण कहा जाता है।

अन्तराष्ट्रीय वितरण माध्यम

2. परिवहन - परिवहन संभार तन्त्र की वह क्रिया है जिसके द्वारा निर्मित माल को उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुंचाया जाता है। परिवहन की सहायता से माल को आवश्यकता के स्थान पर पहुंचा कर स्थान उपयोगिता का सृजन किया जाता है। इसकी सहायता से बाजार क्षेत्र को भी बढ़ाया जा सकता है। अन्तराष्ट्रीय स्तर पर परिवहन सम्बन्धी निर्णय लेते समय भंडारगृहों तथा स्टॉक की स्थितियों को भी ध्यान में रखना चाहिए।


3. सटॉक सम्बन्धी निर्णय - स्टॉक सम्बन्धी निर्णय - उत्पादों के संभार तन्त्र में स्टॉक एक महत्वपूर्ण अंग है। स्टॉक की उचित मात्रा के अभाव में आदेशों की पूर्ति ठीक से नही की जा सकती। ग्राहकों के आदेशों की पूर्ति अगर तत्काल हो जाती है तो इससे ग्राहक प्रभावित होते है और वे अपने पास अधिक स्टॉक नही रखते जिसके फलस्वरूप संस्था भी इन्वेंट्री स्टॉक को बड़ा कर देती है और अतिरिक्त विक्रय से प्राप्त होने वाले लाभ इन्वेंट्री की लागतों की तुलना में काफी कम हो जाते है।


4. वस्तुओं को उतारना तथा चढ़ाना - संभार तंत्र निर्णयों में वस्तुओं को उतारने तथा चढ़ाने से संबंधित निर्णय भी लिए जाते है। वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए उन्हें परिवहन साधनों में चढ़ाया जाता है तथा उनके गन्तव्य स्थान पर उतारा जाता है। इस सम्बंध में प्रबन्ध को यह निर्णय भी लेना पड़ता है कि ऐसे परिवहन साधन का प्रयोग किया जाए जिससे लागत कम से कम आए।


5. आदेश पूर्ति प्रक्रिया - प्रत्येक वितरण प्रबन्धक को यह निर्णय लेना पड़ता है कि वस्तुओं या उत्पादों के सम्बंध में प्राप्त आदेशों की पूर्ति किस प्रकार की जाएगी। अगर संस्था प्राप्त आदेशों को निश्चित समय तथा निर्धारित शर्तों के अनुरूप पूरा कर देती है तो इससे संस्था की ख्याति को बढ़ावा मिलता है तथा उपभोक्ताओं को अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त होती है। किसी भी आदेश को प्राप्त करने तथा उसकी पूर्ति करने के बीच कम से कम समय अंतराल होना चाहिए।



वितरक प्रबन्धकों को आदेश प्रक्रिया के सम्बंध में अनेक निर्णय लेने होते है, उनमे से कुछ प्रमुख निर्णय निम्नलिखित है :

(i) उत्पाद आदेश का न्यूनतम एवं अधिकतम आकार क्या होगा।


(ii) उत्पाद आदेश की प्राप्ति किस प्रकार की जाएगी।


(iii) आदेश प्राप्ति में विक्रयकर्ताओं की भूमिका क्या होगी।


(iv) आदेश प्राप्ति के बाद आदेश पूर्ति की प्रक्रिया में कौन कौन से चरण होंगे तथा उन्हें किस प्रकार पूरा किया जाएगा। 

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