Document used in Documentary Credit in hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम प्रलेखीय साख में प्रयुक्त किए जाने वाले प्रलेखों के बारे में जानेंगे।


प्रलेखीय साख में प्रयुक्त किए जाने वाले प्रलेख (Document used in Documentary Credit)


प्रलेखीय साख में निम्नलिखित प्रलेख प्रयोग में लाए जाते है :

1. जहाजी बिल्टी - जहाजी बिल्टी जहाज द्वारा माल भेजने की रसीद है। इसमें जहाजी कंपनी यह आश्वासन देती है कि निर्यातक का माल गन्तव्य स्थान पर पहुंचा दिया जाएगा और जब माल गन्तव्य स्थान पर पहुंच जाता है तो आयातक इस बिल्टी को देकर जहाजी कंपनी से माल ले लेता है। यह बिल्टी दोषरहित या दूषित हो सकती है। जब माल की पैकिंग ठीक होती है तो जहाजी कंपनी निर्दोष बिल्टी देती है। इसके विपरीत माल की पैकिंग सन्तोषजनक न होने पर दूषित बिल्टी दी जाती है। इस जहाजी बिल्टी में निर्यातकर्ता का नाम व पता, आयातकर्ता का नाम व पता, माल का विवरण, उसका मूल्य, माल की पैकिंग व पहचान चिन्ह, जहाज का नाम बन्दरगाह का नाम जहां से माल लदा है, बन्दरगाह का नाम जहां माल पहुंचना है, किराए की राशि व तारीख आदि का विवरण होता है।



प्रलेखीय साख में प्रयुक्त किए जाने वाले प्रलेख
प्रलेखीय साख में प्रयुक्त किए जाने वाले प्रलेख




2. बीजक - यह अन्तराष्ट्रीय विपणन में निर्यातक द्वारा तैयार किया गया प्रलेख है। इसमें निर्यातक द्वारा भेजे गए माल का विस्तृत विवरण दिया जाता है जैसे बीजक संख्या, बीजक की तारीख, विक्रेता का नाम व पता, जहाज का नाम, बीमा कंपनी का नाम, बैंक का नाम, उस बन्दरगाह का नाम जहां पर माल जाना है, माल भेजे गए बन्दरगाह का नाम, पैकिंग पर लगे गए चिन्ह, भुगतान की शर्तें व विधि, माल की क्वालिटी व संख्या, माल का कुल मूल्य आदि।

प्रलेखीय साख या साख पत्र और इसके प्रकार

3. बीमा पालिसी - विदेशी व्यापार में आयात तथा निर्यात अधिकांशत समुद्री मार्ग से होता है। अतः समुद्री खतरों से माल को क्षति होने की संभावना विदेशी व्यापार में सदा ही बनी रहती है। इन खतरों से बचने के लिए माल का सामुद्रिक बीमा कराना अनिवार्य होता है। अगर बीमित माल को कोई क्षति हो जाती है तो बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति करती है। प्रायः बीमा का अनुबंध निर्यातक के गोदाम से प्रारम्भ होकर आयातक के गोदाम तक होता है।


4. बंधक पत्र - यह एक प्रकार का अधिकत पत्र है जिसमे विनिमय बिल के अस्वीकृत होने पर बैंक को यह अधिकार दिया जाता है कि वह माल को बेचकर रकम वसूल कर ले। ऐसा विशेषत निर्यातक द्वारा बिल की कटौती कराने व रकम प्राप्त करने की दशा में होता है।


5. मूल स्थान का प्रमाण पत्र - यह प्रमाण पत्र निर्यातक के देश मे स्थित अधिकृत चैम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा प्रमाणित किया जाता है। इसमें निर्यातक यह घोषणा करता है कि प्रमाण पत्र में वर्णित माल उसके ही देश मे निर्मित हुआ है। इस प्रमाण पत्र की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि कई देश कुछ देशों से आयातित माल पर आयात कर में छूट देते है।


6. क्वालिटी का प्रमाण पत्र - आयातकर्ता यह चाहता है कि उसे क्वालिटी के बारे में आश्वस्त किया जाए कि समझौते या प्रसविंदे में उल्लेखित क्वालिटी ही प्रदान की गई है। अतः निर्यातक द्वारा विश्वस्त मानक संस्थाओं या अधिकारी से किस्म का प्रमाण पत्र लेकर विनिमय बिल के साथ संलग्न कर दिया जाता है जो यह बताता है कि भेजा गया माल अनुबन्ध के अनुरूप है।


7. वजन का प्रमाण पत्र - कुछ पदार्थ ऐसे होते है जिनका वजन खुद ही घटता रहता है अर्थात इनमे खुद ही भार की कमी होती रहती है, उनके लिए वजन सम्बन्धी प्रमाण पत्र जरूरी समझा जाता है। यह प्रमाण पत्र बन्दरगाह अधिकारी द्वारा दिया जाता है। यह इस बात का प्रमाण होता है कि जहाजी लदान के वक्त माल का वजन कितना था।

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