Types of Distribution Channel in Marketing in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम वितरण माध्यम के प्रकारों के बारे में जानेंगे।

वितरण माध्यम के प्रकार (Types of Distribution Channel)


एक संस्था को अपनी सुविधा के अनुसार वितरण माध्यम का प्रयोग करना चाहिए। वितरण माध्यम निम्नलिखित प्रकार के हो सकते है :

1. प्रत्यक्ष वितरण माध्यम - अन्तराष्ट्रीय विपणन में यह वह माध्यम है जिसके द्वारा निर्यातक अपनी शाखाओं या प्रतिनिधियों के माध्यम से अपने उत्पादों को प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ताओं तक पहुंचाता है। इसके लिए वह निम्न साधनो का प्रयोग करता है :



वितरण माध्यम के प्रकार
वितरण माध्यम के प्रकार





(i) विदेशी शाखाएं - ये शाखाएं निर्यातकर्ता द्वारा उन देशों में खोली जाती है जहां उसके उत्पादों की मांग अधिक होती है। इस प्रकार के संगठन में अपने माल के उचित संग्रहण के लिए निर्यातकर्ता द्वारा विदेशी बन्दरगाहों पर गोदाम स्थापित किए जाते है। इसके अतिरिक्त यह ग्राहकों को उपयुक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए सेवा केंद्रों की भी व्यवस्था करता है।

वितरण माध्यम का अर्थ

(ii) विदेशी दलाल - ये वे व्यक्ति होते है जो क्रेता तथा विक्रेता को मिलाने का कार्य करते है। ये दलाल अपने कार्यों के विशेषज्ञ होते है तथा इन्हें बाजार के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान होता है। इनका मुख्य कार्य विदेशी बाजारों में नीलामी के द्वारा मान्यता प्राप्त स्कंध विपन्नियों को माल का विक्रय करना है। इन्हें अपनी सेवाओं के बदले में विक्रय मूल्य पर निश्चित दर से कमीशन प्राप्त होता है।


(iii) विशेष अधिकार धारक - यह निर्यातकर्ता तथा विदेशी फर्मों के बीच किया गया अनुबन्ध होता है जिसके अंतर्गत विदेशी फर्मों को अपने बाजारों के निर्यातक उत्पाद को विक्रय करने का अधिकार मिल जाता है। विदेशी फर्मों को यह अधिकार एक निश्चित समय अवधि के लिए प्राप्त होता है तथा इसमें वर्णित शर्तों का पालन न करने पर इसे समाप्त भी किया जा सकता है। यद्यपि धारक को निर्यातक कंपनी की डिज़ाइन, ब्रांड नाम, क्वालिटी, पैकिंग आदि का प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त होता है लेकिन वह अपनी इच्छानुसार इसमें परिवर्तन नही कर सकता। अधिकार प्रदान करने वाली निर्यातक कंपनी को इस अधिकार को देने के बदले में विक्रय पर एक निश्चित प्रतिशत मिलता है।



2. अप्रत्यक्ष वितरण माध्यम - वितरण माध्यम के इस रूप के अन्तर्गत निर्यातक अप्रत्यक्ष रूप से अपने उपभोक्ताओं को पहुंचाता है। अप्रत्यक्ष वितरण माध्यमों में निम्न को सम्मिलित किया जाता है :

(i) निर्यात कमीशन गृह - निर्यात कमीशन गृहों की स्थापना निर्यातकर्ता के देशों में की जाती है जो आयातकर्ता के प्रतिनिधित्त्व के रूप में कार्यान्वित होते है। इनका मुख्य कार्य विदेशी क्रेताओं की आवश्यकता का माल निर्यातक देश से क्रय करना होता है जिसके प्रतिफलस्वरूप इन्हें क्रय मूल्य पर निश्चित दर से कमीशन भी प्राप्त होता है। ये निर्यातक के देश से माल मंगवाने सम्बन्धी समस्त व्ययों जैसे जहाजी भाड़ा, माल उतारने व चढ़ाने के व्यय आदि विदेशी क्रेता से वसूल करते है।


(ii) निर्यात गृह - निर्यात गृहों की स्थापना निर्यातक के देश मे ही की जाती है। इनका मुख्य कार्य विदेशी बाजारों के अनुसंधान एवं विश्लेषण करके उत्पाद की विदेशी मांग के बारे में सूचनाएं प्राप्त करना होता है। ये निर्यात गृह कम मूल्यों पर निर्माताओं से उत्पाद क्रय करके उन्हें अधिक से अधिक मूल्य पर निर्यात बाजारों में बेचने का प्रयत्न करते हैं। क्रय तथा विक्रय मूल्य के बीच उतपन्न होने वाला अंतर ही इनका लाभ होता है। ये निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर अपना ब्रांड, चिन्ह, ट्रेडमार्क आदि का प्रयोग कर सकते है।


(iii) निर्यात के लिए निजी क्रेता - इसके अन्तर्गत उन व्यक्तियों को सम्मिलित किया जाता है जिन्हें आयातक देश की संस्थाओं द्वारा निर्यातक देशों के नियुक्त किया जाता है। इनका कार्य निर्यात देश से माल क्रय करके अपने देश मे भेजना होता है। आयातक देश की संस्था द्वारा इन्हें पहले से ही उत्पाद तथा भुगतान सम्बन्धी शर्तों के बारे में पूर्ण जानकारी प्रदान कर दी जाती है। इसी के आधार पर व्यक्ति, निर्यातक के देश मे कार्यरत विभिन्न संस्थाओं से सम्पर्क करके माल को भेजने की व्यवस्था करते हैं।

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