International Business and its Characteristics in Hindi


कैसे हो दोस्तों।

इस पोस्ट में अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय और इसकी विशेषताओं के बारे में बताया गया है।


अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय (International Business)

परिचय (Introduction)

पिछले कुछ वर्षों में अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में बहुत तेजी से विकास हुआ है। अन्तराष्ट्रीय व्यापार व निवेश में बाधाओं में कमी आ रही है, इससे अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय को बढावा मिल रहा है। यातायात व दूरसंचार साधनों के विकास से विभिन्न देशों के बीच दूरियां कम हो रही है। अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में उत्पाद व सेवाओं में विदेशी व्यापार, विदेशी निवेश का अंतप्रवाह व बाहरी प्रवाह, बौद्धिक संपदा सम्बन्धी व्यवहार, टेक्नोलॉजी सम्बन्धी व्यवहार, अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आउटसोर्सिंग आदि शामिल है। अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय ने हमारे दैनिक जीवन को बहुत प्रभावित किया है।



अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय और इसकी विशेषताएं
अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय और इसकी विशेषताएं




जीवन के प्रत्येक पहलू में अन्तराष्ट्रीय व्यापार/व्यवसाय का प्रभाव झलकता है। अगर हम किसी डिपार्टमेंटल स्टोर जाते है, तो वहां हमें जापान, ताइवान व चीन में बना बिजली का सामान तथा चीन, हांगकांग, भारत मे बना कपड़ा देखने को मिलता है। अगर हम सड़क पर जाते है तो वहां हमे जापान, जर्मनी, कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका में बने ऑटोमोबाइल देखने को मिलते है जो ईरान, इराक, सऊदी अरब व कुवैत से निकले तेल का प्रयोग करते हैं।


घर मे हम भारत, इंडोनेशिया, श्रीलंका में बनी चाय, तथा ब्राजील में बनी कॉफ़ी पीते है। हम फ़िनलैंड, कोरिया, स्वीडन, जापान, चीन में चने मोबाइल हैंडसेट इस्तेमाल करते है। इस तरह आज जन सामान्य भी अपनी साधारण जिंदगी में दूरस्थ देशों के उत्पादों का प्रयोग करते है, परन्तु हम यह भूल जाते है कि विभिन्न देशों में बने ये उत्पाद हम तक अन्तराष्ट्रीय व्यापार के जटिल नेटवर्क से पहुचे है।



परिभाषा (Definition) :

अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में दो या दो से अधिक देशों के बीच ऐसी सभी व्यावसायिक क्रियाए शामिल है, जिनमें उत्पादों, सेवाओं, संसाधनों से सम्बन्धी व्यवहार होते है। संसाधनों के व्यवहारों में अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उत्पादों व सेवाओं के उत्पादन के लिए पूंजी व मानवीय संसाधनों से सम्बन्धी व्यवहार भी शामिल है।



अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय की विशेषताएं (Characteristics of International Business)

1. उत्पादों व सेवाओं का स्वतंत्र व्यापार - अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में उत्पादों व सेवाओं के आयात व निर्यात के लिए उदार नीति अपनाई जाती है। विभिन्न देशों के बीच उत्पादों व सेवाओं की क्रय विक्रय पर लगी टैरिफ व गैर टैरिफ बाधाओं को हटाया जाता है। सम्पूर्ण विश्व को एक वैश्विक इकाई माना जाता है।


2. पूंजी का स्वतंत्र प्रवाह - अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय का तातपर्य है घरेलू अर्थव्यवस्था को विदेशी पूंजी व विदेशी निवेश के प्रवाह के लिए खोलना तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश पर लगी रुकावटों को समाप्त करना। अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में पूंजी के अन्तराष्ट्रीय व बाहरी प्रवाह पर लगे प्रतिबन्धों के हटाया जाता है तथा विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए विभिन्न रियायतें दी जाती है।


3. श्रम का स्वतंत्र प्रवाह - अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में श्रम के विभिन्न देशों के बीच अंतर व बाहरी प्रवाह को स्वतंत्र किया जाता है। मानव संसाधनों के प्रवाह तथा अप्रवास सम्बन्धी प्रावधानों को उदार बनाया जाता है। तकनीकी विशेषज्ञों व सुयोग्य मानवीय संसाधनों की सेवाओं को प्राप्त करना सरल बनाया जाता है। इससे व्यावसायिक इकाइयां अन्य देशों में उपलब्ध सस्ते व कुशल मानवीय संसाधनों, जैसे तकनीकी विशेषज्ञों, पेशेवर प्रबन्धकों की सेवाएं प्राप्त कर सकती है। इससे विभिन्न देशों की परस्पर निर्भरता बढ़ती है।

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