Business Risk and Types of Risk in Business Units in hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम व्यावसायिक जोखिम और व्यावसायिक इकाइयों में जोखिमों के प्रकारों के बारे में जानेंगे।


व्यावसायिक जोखिम (Business Risk)

व्यावसायिक जोखिम का अर्थ अनिश्चितताओं के कारण व्यवसाय में अपर्याप्त लाभ या हानि की संभावना से है। व्यावसायिक जोखिम विभिन्न प्रकार के होते है तथा ये अनेक घटकों द्वारा प्रभावित होते है। व्यावसायिक वातावरण के घटकों में प्रतिकूल परिवर्तनों के कारण व्यवसाय में जोखिम उतपन्न होता है। इससे व्यवसाय के उद्देश्यों की प्राप्ति में बाधा उतपन्न होती है। व्यावसायिक जोखिम के विभिन्न प्रारूप हो सकते है जैसे तकनीकी विकास के कारण वर्तमान प्लांट अप्रचलित हो सकते है। इसी तरह सरकार द्वारा आर्थिक नीति में किए गए अकस्मात परिवर्तन के कारण व्यावसायिक इकाई को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जैसे किसी उत्पाद विशेष पर प्रतिबंध, उत्पाद पर कर की दरों में वृद्धि, उत्पाद का अनुदान या छूट में कमी, उदार आयात आदि उत्पाद की बिक्री पर कुप्रभाव डालते है।


 

व्यावसायिक जोखिम और व्यावसायिक इकाइयों में जोखिमों के प्रकार
व्यावसायिक जोखिम और व्यावसायिक इकाइयों में जोखिमों के प्रकार





परिभाषा (Definition)

व्यावसायिक जोखिम शब्द का प्रयोग, अंकेक्षकों व प्रबन्धकों द्वारा, अनिश्चित वातावरण के संस्था के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने में पड़ने वाले सम्भावित दुष्प्रभाव से है।



व्यावसायिक इकाइयों में जोखिमों के प्रकार (Types of Risks in Business Units)

व्यावयायिक जोखिम विभिन्न प्रकृति व विभिन्न कारणों से उतपन्न हो सकते है। इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित है :

1. आंतरिक जोखिम -व्यावसायिक उपक्रम में अकस्मात व अप्रत्याशित घटनाओं के परिणामस्वरूप आंतरिक जोखिम उतपन्न होते है। आंतरिक जोखिम के मुख्य प्रकार इस तरह है : हड़ताल या तालाबंदी का होना, वित्तीय संकट, व्यावसायिक इकाई की सम्पत्ति नष्ट होना; जैसे आग लगने से, चोरी, दुर्घटना आदि होने से व्यावसायिक सम्पत्ति की हानि, व्यवसाय की मशीनरी या उपकरण अचानक खराब हो जाना, कर्मचारियों या अफसरों द्वारा की गई जालसाजी, मुख्य कर्मचारी द्वारा दिया गया इस्तीफा।

अन्तराष्ट्रीय व्यावसायिक वातावरण 

2. कार्यात्मक/व्यष्टि या सूक्ष्म स्तरीय जोखिम - व्यवसाय के सूक्ष्म/कार्यकारी वातावरण में अकस्मात परिवर्तन के कारण कार्यकारी जोखिम उतपन्न होते है। इसके मुख्य प्रकार है :


(i) आगतों की पूर्ति बाधा - एक ही पूर्तिकर्ता पर निर्भरता के कारण या ट्रांसपोर्टरों द्वारा अचानक हड़ताल के कारण विभिन्न आगतों जैसे कच्चा माल, ईंधन, उपकरणों, कलपुर्जो आदि की पूर्ति में बाधा आ सकती है। इसी तरह किसी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकम्प आदि के घटित होने से भी आगतों की पूर्ति में बाधा उतपन्न हो सकती है।


(ii) परिस्पर्धा में वृद्धि - किसी बड़ी प्रतियोगी इकाई का प्रवेश भी व्यावसायिक जोखिम का कारण बन सकता है। सरकार द्वारा अपनाई गई उदार वैश्वीकरण नीति के परिणामस्वरूप इसी बहुराष्ट्रीय कंपनी का प्रवेश घरेलू इकाइयों के लिए जोखिम उतपन्न कर सकता है। इससे बाजार का बड़ा हिस्सा इन बहुराष्ट्रीय इकाईयो की ओर आकर्षित हो जाता है।


(iii) जन सामान्य की नाराजगी - अगर किसी कारणवश स्थानीय जनता हमारे उत्पाद से असंतुष्ट हो जाती है तो वे लोग हमारे उत्पाद की बुराई करने लग जाते है। जनता का यह रोष विभिन्न कारणों जैसे हमारे उत्पाद द्वारा वातावरण प्रदूषण, लेबोरेट्री रिपोर्ट में हमारे उत्पाद के उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभाव पर रोशनी पड़ने आदि के परिणामस्वरूप हो सकता है।



3. सामान्य वातावरण सम्बन्धी जोखिम/समष्टि स्तरीय जोखिम - व्यवसाय के समष्टि वातावरण के विभिन्न संघटकों में अकस्मात परिवर्तन के परिणामस्वरूप यह जोखिम उतपन्न होता है। इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित है :

(i) आर्थिक जोखिम - यह जोखिम आर्थिक दशाओं, सरकारी नीतियों, आर्थिक अधिनियमों आदि में परिवर्तन आने से उतपन्न होता है। कर दरों में वृद्धि, अनुदानों या रियायतों में कमी, नए अधिनियमों व प्रावधानों के पारित होने आदि से व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।


(ii) राजनीतिक जोखिम - यह जोखिम मुख्यतया राजनीतिक अस्थिरता के कारण उतपन्न होता है। राजनीतिक अस्थिरता के कारण सरकारी नीतियों, सरकार के दृष्टिकोण, अन्य राष्ट्रों के साथ सम्बन्धों, केंद्र राज्य सम्बन्धों आदि में असंभावित परिवर्तन आते रहते है। इससे व्यावसायिक इकाइयों के लिए अनिश्चितता बनी रहती है।


(iii) तकनीकी जोखिम - यह जोखिम प्रौद्योगिकीकरण में तीव्र परिवर्तनों के परिणामस्वरूप उतपन्न होता है। तीव्र तकनीकी विकास से वर्तमान मशीनें अप्रचलित हो जाती है। जैसे अगर नई तकनीक से उच्च क्वालिटी के उत्पाद और वह भी कम कीमत पर बनाए जा सकते है तो इससे परम्परागत तकनीक के प्रयोग करने वाली व्यावसायिक इकाइयां अपना बाजार अंश खो सकती है।


(iv) प्राकृतिक जोखिम - यह जोखिम अनिश्चित प्राकृतिक आपदाओं के कारण उतपन्न होता है। इन प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, भूकम्प, सुनामी, तूफान, बिजली गिरने आदि व्यावसायिक इकाइयों के कोई नियंत्रण नही होता। इनसे व्यावसायिक इकाइयां कुछ समय के लिए बंद भी हो सकती है।


(v) सामाजिक व सांस्कृतिक जोखिम - सामाजिक व सांस्कृतिक घटकों में परिवर्तनों के कारण भी व्यवसाय का जोखिम बढ़ता है। इसमें जन सामान्य के दृष्टिकोण, आदतों, प्राथमिकताओं, रीति रिवाजों, जीवन शैली, विश्वास, सोच आदि में परिवर्तन शामिल है। बढ़ते वैश्वीकरण व शहरीकरण के कारण विभिन्न देशों व शहरों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान बढ़ रहा है, इससे सामाजिक व सांस्कृतिक परिवर्तन आते है।

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