Causes or Components of Risk in International Business in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम के कारण या तत्वों के बारे में जानेंगे।


अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम के कारण या तत्व (Causes or Components of Risk in International Business)

घरेलू व्यवसाय की तुलना में अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम अधिक होता है। अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में, एक व्यावसायिक इकाई अन्य देशों में कार्य करती है। इन अन्य देशों में मूल देश की तुलना में सांस्कृतिक आयाम जैसे भाषा, रिवाज, फैशन, कार्यशैली, सोच, आदर्शवाद, मूल व्यवस्था आदि में काफी अंतर हो सकता है। अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम के मुख्य कारण या तत्व निम्नलिखित है :




अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम के कारण या तत्व
अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम के कारण या तत्व




1. सांस्कृतिक विभिन्नताएं - विभिन्न देशों के सांस्कृतिक चरों जैसे भाषा, सोच विचार, रीति रिवाज, कार्यशैली, धर्म, मूल्य प्रणाली आदि के बहुत विभिन्नता है। अतः विभिन्न देशों में सांस्कृतिक आयामों का अध्ययन बहुत जटिल हो जाता है। इसके अलावा किसी एक देश के अंदर भी विभिन्न उप संस्कृतियां पाई जाती है। अतः राष्ट्रीय आधार पर संस्कृति का विश्लेषण बहुत मुश्किल हो जाता है।


2. राजनीतिक अस्थिरता - कुछ देशों में अत्यधिक राजनीतिक बदलाव आते रहते है। इससे आर्थिक नीतियों, सरकार के विदेशी उपक्रमों के प्रति दृष्टिकोण व सोच में निरन्तर परिवर्तन आता रहता है। अतः वैश्विक व्यावसायिक इकाइयों को मेजबान देशों में राजनीतिक अस्थिरता के जोखिम का सामना करना पड़ता है। राजनीतिक अस्थिरता के कारण व्यावसायिक इकाइयां दीर्घकालीन व्यावसायिक योजनाएं नही बना सकती।

देशीय और राजनीतिक जोखिम जाने

3. लम्बी भौगोलिक दूरी - वैश्विक कंपनियों की सहायक कम्पनियां कई देशों में होती है। कुछ बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां 150 से भी अधिक देशों में अपने उत्पाद बेचती है। मूल कंपनी व सहायक कंपनियों के बीच अत्यधिक भौगोलिक दूरी के कारण इनके बीच समन्वय की समस्या आती है। इससे वैश्विक व्यावसायिक इकाई का जोखिम बढ़ जाता है।


4. प्रशासनिक बाधाएं - अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में अत्यधिक प्रशासनिक रुकावटों का सामना करना पड़ता है। जैसे लालफीताशाही, पारदर्शिता का अभाव, अत्यधिक कागजी कार्यवाही आदि। विभिन्न मेजबान देशों में प्रशासनिक औपचारिकताएं बहुत जटिल हो सकती है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सरकारी विभागों से मंजूरी लेने के लिए कई बार बहुत बड़ी राशि मे रिश्वत भी देनी पड़ती है।


5. तकनीकी चोरी - अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में मूल कंपनी मेजबान देश मे स्थापित सहायक कंपनियों को नवाचारी टेक्नोलॉजी, पेटेंट, कॉपीराइट आदि हस्तांतरित करती है, परन्तु ऐसा सम्भव है कि इन नवाचारी तकनीकी कुशलताओं का मेजबान देश मे दुरुपयोग किया जाए। कई मेजबान देशों में पेटेंट अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम अधिक सख्त नही होते, जिसके परिणामस्वरूप इनकी चोरी हो जाती है।


6. विनिमय दर में उतार चढ़ाव - अन्तराष्ट्रीय बाजार में विनिमय दरों में कभी उतार चढ़ाव आ सकता है। अगर इसमे प्रतिकूल परिवर्तन होता है तो इससे अन्तराष्ट्रीय व्यापार के लाभों पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। अगर मेजबान देश की घरेलू करेंसी के मूल्य में गिरावट आती है, तो इससे मूल कंपनी के लाभों में कमी आ जाती है।


7. साख जोखिम -निर्यातकों व आयातकों के बीच अधिक भौगोलिक दूरी के कारण आयातकों की साख क्षमता का विश्लेषण करना बहुत मुश्किल हो जाता है। अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में घरेलू व्यवसाय की तुलना में साख जोखिम की मात्रा अधिक होती है।


8. विदेशी बाजार स्थिति में परिवर्तन - विभिन्न कारणों से विदेशी बाजार स्थिति में परिवर्तन हो सकता है जैसे मेजबान देश मे किसी अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा प्रवेश या मेजबान देश मे किसी घरेलू कंपनी द्वारा बाजार का बड़ा अंश ले लेना आदि। इससे अन्तराष्ट्रीय व्यावसायिक इकाई का जोखिम बढ़ जाता है।


9. मेजबान देश मे जनता का नकारात्मक दृष्टिकोण - जब कोई विदेशी कंपनी किसी मेजबान देश मे व्यवसाय करती है तो प्रायः मेजबान देश के लोग इसे जबरदस्ती घुसी विदेशी व्यावसायिक इकाई मानते है। अगर विदेशी व्यावसायिक इकाइयों के निष्पादन में कोई छोटी सी त्रुटि भी हो जाती है तो इसे मेजबान देश की जनता की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ता है। वहां की जनता इनके उत्पादों का बहिष्कार करने लगती है। इनके विरुद्ध सार्वजनिक प्रदर्शन भी किए जाते है। 

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