Factors Affecting Selection of Entry Mode of International Business in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में हम अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के प्रवेश प्रारूप के चयन को प्रभावित करने वाले घटकों के बारे में जानेंगे।

अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के प्रवेश प्रारूप के चयन को प्रभावित करने वाले घटक (Factors Affecting Selection of Entry Mode of International Business)

1. निगमित उद्देश्य - मूल कंपनी के उद्देश्य प्रवेश प्रारूप को प्रभावित करते हैं। अगर वैश्विक कंपनी उत्पादन क्रियाओं पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहती है तो इसे व्यापार रूट अपनाना चाहिए। अगर वैश्विक कंपनी विदेशों में उपलब्ध सस्ते व बेहतर श्रम, अच्छी क्वालिटी के कच्चे माल, सस्ते कच्चे माल आदि का लाभ उठाना चाहती है तो विदेशों में उत्पादन इकाइयां स्थापित करना, अर्थात निवेश रूट अपनाना बेहतर होगा।


 

अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के प्रवेश प्रारूप के चयन को प्रभावित करने वाले घटक
अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के प्रवेश प्रारूप के चयन को प्रभावित करने वाले घटक




2. मूल कंपनी के पास संसाधनों की उपलब्धता - अगर वैश्विक कंपनी के पास विविध संसाधन जैसे वित्तीय संसाधन, भौतिक व मानवीय संसाधन, प्रबन्ध कौशल, संस्थागत व ब्रांड छवि अच्छी है, तकनीकी व अनुसन्धान विकास योग्यताएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, तो वैश्विक कंपनी निवेश रूट अपना सकती है। परंतु अगर इन संसाधनों का अभाव है तो व्यापार रूट बेहतर होगा।

अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के प्रकार

3. मेजबान देश मे वातावरणीय घटक - मेजबान देश अर्थात जिस देश मे व्यवसाय का प्रसार किया जाना है, वहां के व्यावसायिक वातावरणीय घटक भी प्रवेश ढंग को प्रभावित करते है। ये वातावरणीय घटक राजनीतिक वातावरण, सांस्कृतिक वातावरण, वैधानिक व नियमन वातावरण, आर्थिक वातावरण आदि हो सकते है। बाजार का आकार, आय स्तर, शिक्षा स्तर, लोगों की क्रय क्षमता, जीवन स्तर आदि प्रवेश प्ररूप के चयन को बहुत प्रभावित करते है। अगर मेजबान देश का व्यावसायिक वातावरण अच्छा है, तो निवेश रूट बेहतर होगा। मेजबान देश मे बाजार का आकार विशाल होने पर निवेश रूट बहुत उपयुक्त होगा। परन्तु अगर मेजबान देश मे बाजार का आकार छोटा है, तो व्यापार रूट उपयुक्त होगा।


4. उत्पादन घटकों की लागत - अगर मेजबान देश मे उत्पादन के घटकों की लागत कम है, जैसे कि विकासशील देशों में श्रम लागत कम है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां सस्ती श्रम लागत का लाभ उठाने के लिए वहां निवेश रूट अपनाकर उत्पादन इकाइयां स्थापित करती है। इसी प्रकार अगर मेजबान देश मे उच्च क्वालिटी का कच्चा माल कम लागत पर उपलब्ध है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां ऐसे देश मे निवेश रूट अपना कर उत्पादन इकाइयां स्थापित करती है। फिर यहां से उत्पाद मेजबान देश मे बेचे जाते है तथा अन्य देशों में भी यहीं से उत्पाद निर्यात किए जाते है।


5. मेजबान देश मे अधोसंरचना की उपलब्धता - अगर मेजबान देश मे अधोसंरचना सम्बन्धी सुविधाएं, जैसे सड़के, रेलवे, समुद्री बन्दरगाह, बैंक, विपणन मध्यस्थ आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो निवेश रूट को प्राथमिकता दी जाती है, जैसे बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने निवेश रूट अपना कर अपना उत्पादन आधार चीन में स्थापित किया है। क्योंकि वहां उच्च क्वालिटी की अधोसंरचना सुविधाएं उपलब्ध है। अगर मेजबान देश मे अधोसंरचना सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नही है, तो निवेश रूट के स्थान पर अप्रत्यक्ष निर्यात रूट अपनाना होगा। इसमे विदेशी कंपनी मेजबान देश के अंतिम उपभोक्ताओं को उत्पाद न बेच कर वहां के विपणन मध्यस्थों को उत्पाद निर्यात करती है।


6. जोखिम का स्तर - यद्यपि अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के सभी प्रारूपों में जोखिम है, परन्तु फिर भी व्यापार रूट में जोखिम की मात्रा कम है, जबकि निवेश रूट में जोखिम की मात्रा अत्यधिक है। व्यापार रूट में भी प्रत्यक्ष निर्यातों में जोखिम की मात्रा अप्रत्यक्ष निर्यातों की तुलना में अधिक है। अगर मूल कंपनी की जोखिम वहन क्षमता अधिक है तब ही इसे निवेश रूट को अपनाना चाहिए।

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