Barriers to International Business in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में रुकावटों के बारे में बताया गया है


अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में रुकावटें (Barriers to International Business)

अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में प्रवेश के दो मुख्य ढंग है : व्यापार रूट और निवेश रूट।

व्यापार रूट में उत्पादों व सेवाओं को अन्य देशों में निर्यात व आयात किया जाता है।


निवेश रूट में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश द्वारा विदेशों में सहायक कंपनियां स्थापित की जाती है या विलयन व अधिग्रहण द्वारा विदेशों में व्यवसाय का प्रसार किया जाता है।



अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में रुकावटों के बारे में जानकारी
अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में रुकावटों के बारे में जानकारी




अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में रुकावटों का अध्ययन दो भागों में किया गया है।


एक देश या तो स्वतंत्र व्यापार नीति या संरक्षण नीति को अपनाता है। स्वतंत्र व्यापार नीति से अभिप्राय उस नीति से है जिसमें कोई सरकारी हस्तक्षेप नही होता। निर्यातकों तथा आयातकों को अनुमति होती है की वे बिना किसी प्रकार के निर्यात शुल्क या आयात शुल्क के व्यापार करने में स्वतंत्र होते है। इसके विपरीत संरक्षणवादी नीति से अभिप्राय स्थानीय उत्पादकों को संरक्षण देने की नीति से है। यह संरक्षण शुल्क लगाकर या गैर कर रोकें लगाकर प्रदान किया जाता है। गैर टैरिफ रुकावटों में कोटा निर्धारित करना, आयात लाइसेंस की अनिवार्यता या सीमा शुल्क कार्य प्रणाली को जान बूझ कर जटिल बनाना जिससे आयातकों को निरुत्साहित किया जा सके, शामिल है।

अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम के कारण

विभिन्न देशों में विदेशी व्यापार के रास्ते मे बहुत सी रुकावटें है। कुछ रुकावटें मानव द्वारा बनाई गई है जैसे टैरिफ लगाना, कोटा निर्धारित करना, लाइसेंस लेने की अनिवार्यता व अन्य गैर टैरिफ प्रतिबन्ध।


कुछ रुकावटें प्राकृतिक भी होती है जैसे भौगोलिक दूरी के कारण उत्पादों को एक देश से दूसरे देश तक ले जाने में बहुत समय लगता है तथा परिवहन व्यय भी बहुत अधिक होते है जैसे भाड़ा, बीमा, माल को चढ़ाने उतारने सम्बन्धी व्यय, पोर्ट व्यय आदि।


अन्तराष्ट्रीय व्यापार तभी होगा अगर घरेलू कीमतों व विदेशों में उपलब्ध नही उत्पादों की कीमतों में अंतर, परिवहन लागत व टैरिफ खर्चों से अधिक है। जैसे मान लो देश A में एक उत्पाद को बनाने की लागत 10,000 डॉलर है तथा उसी उत्पाद को देश B में बनने की लागत 12,000 डॉलर है। अगर हम परिवहन व्ययों व टैरिफ को भूल जाए तो देश B इस उत्पाद को देश A से आयात करेगा ताकि लागत अंतर का लाभ उठाया जा सके। परन्तु अगर देश A से देश B तक समान लाने का खर्च 2,000 डॉलर से अधिक होगा तो देश B को यह उत्पाद देश A से आयात करना लाभदायक नही होगा। अतः देश B इस उत्पाद को देश A से तभी आयात करेगा अगर इसमें परिवहन 2,000 डॉलर से कम आती है। इस तरह परिवहन लागत अन्तराष्ट्रीय व्यापार के रास्ते मे बाधा है। अगर परिवहन लागत आयातक द्वारा दी जानी है, तो परिवहन लागत आयात पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। अगर परिवहन लागत निर्यातक द्वारा दी जानी है, तो यह निर्यातक पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। दोनो ही दशाओं में यह विदेशी व्यापार के रस्ते में रुकावट है। 

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