Barriers to Investment Mode of International Business in Hindi

हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के निवेश प्रारूप में बाधाओं के बारे में बताया गया है।


अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के निवेश प्रारूप में बाधाएं (Barriers to Investment Mode of International Business)

1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की कठोर नीति - बहुत से देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति बहुत कठोर होती है, जो कुछ क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सम्पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर देती है। या उन पर स्वामित्व सम्बन्धी सीमा निर्धारित कर देती है। प्रायः यह स्वामित्व सीमा 26 प्रतिशत, 49 प्रतिशत, 74 प्रतिशत होती है। कठोर दृष्टिकोण होने पर स्वामित्व सीमा कम निर्धारित की जाती है।



अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के निवेश प्रारूप में बाधाएं
अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के निवेश प्रारूप में बाधाएं




2. अत्यधिक नियंत्रण - कुछ देशों में अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के निवेश प्रारूप पर अत्यधिक नियंत्रण लगाया जाता है। विदेशी कंपनियों को मेजबान देश मे सहायक कंपनी स्थापित करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों से अनुमति लेनी पड़ती है, जिसमें अत्यधिक औपचारिकताएं होती है। कईं बार विदेशी कंपनियों को सरकारी स्वीकृति प्राप्त करने के लिए सरकारी अफसरों को बड़ी राशि रिश्वत के रूप के भी देनी पड़ती है।


3. प्रत्यावर्तन पर प्रतिबन्ध - कुछ मेजबान देशों में विदेशी कंपनियों पर ब्याज, लाभांश, लाभ, रॉयल्टी, तकनीकी सेवाओं की फीस, पूंजी आदि को मूल देश मे वापिस भेजने पर मनाही होती है या अत्यधिक शर्तें लगाई जाती है। इससे विदेशी निवेशक ऐसे मेजबान देशों में निवेश माध्यम द्वारा व्यवसाय में प्रवेश नही लेते, क्योंकि कोई भी निवेश उस देश मे निवेश नही करेगा, जहां उसे निवेश पर अर्जित आय का मूल पूंजी वापस लेने पर मनाही या अत्यधिक प्रतिबन्ध हो।

अन्तराष्ट्रीय व्यापार समझौते

4. अधिक जोखिम - राष्ट्रीय व्यवसाय की तुलना से अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय में जोखिम की मात्रा अधिक होती है। निवेश माध्यम से मेजबान देश मे प्रवेश लेने पर, विदेशी कंपनी को अत्यधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है। जैसे राजनीतिक अस्थिरता के कारण सरकारी नीतियों में अनिश्चितता, सांस्कृतिक जोखिम आदि। जोखिम की अधिक मात्रा अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय के रास्ते मे बाधा उतपन्न करती है।


5. व्यवसाय के नियंत्रण में कठिनाई - अन्तराष्ट्रीय व्यवसाय बहुत बड़े भौगोलिक क्षेत्र पर फैला होता है। इस कारण प्रत्यक्ष बैठके आयोजित करना मुश्किल होता है। इससे व्यवसाय के नियंत्रण में कठिनाई आती है। भाषीय भिन्नता के कारण भी कर्मचारियों के साथ संचार में कठिनाई आती है, जिससे उन्हें प्रभावी रूप से नियंत्रित नही किया जा सकता है। इसके अलावा मूल देश व मेजबान देश की कार्य पद्धतियों में विभिन्नता भी नियंत्रण के रास्ते मे बाधा उतपन्न करती है।


6. लेखांकन के अंकेक्षण पद्धतियों में विभिन्नता - विभिन्न देशों में लेखांकन व अंकेक्षण की पद्धतियों में अत्यधिक विभिन्नता है। इसमें एकरूपता के अभाव में मूल कंपनी व सहायक कंपनियों के समायोजित खाते बनाने में बहुत कठिनाई आती है।


7. जन सामान्य का नकारात्मक दृष्टिकोण - कुछ देशों में, जन सामान्य का विदेशी उत्पादों व विदेशी कंपनियों के प्रति अत्यधिक नकारात्मक दृष्टिकोण होता है। उनका यह मानना है कि विदेशी उत्पाद व विदेशी कंपनियां उनकी संस्कृति को नष्ट कर देंगी। उनके घरेलू उद्योगों को हानि पहुंचायेगी, पूंजी प्रेरक तकनीक का प्रयोग करके रोजगार अवसरों को कम करेंगी। मेजबान देश के छोटे उद्यमी, विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा का सामना करने में असफल होकर बेरोजगार हो जाते है क्योंकि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण उनके छोटे उपक्रम बंद हो जाते है। 

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