Exchange Rate Determination Since 1973 in Hindi


हेलो दोस्तों।

इस पोस्ट में वर्ष 1973 से विनिमय दर निर्धारण के बारे में बताया गया है।


वर्ष 1973 से विनिमय दर निर्धारण (Exchange Rate Determination Since 1973)

विनिमय दर वह दर है जिस पर किसी एक देश की मुद्रा की एक इकाई को किसी अन्य देश की मुद्रा की इकाइयों के बदले परिवर्तित किया जा सकता है। विनिमय दर स्थिर या लोचशील हो सकती है। स्थिर विनिमय दर व्यवस्था के अंतर्गत सरकार विनिमय दर निर्धारित करती है। इस प्रणाली में मांग व पूर्ति की बाजारी शक्तियां विनिमय दर को निर्धारित नही करती है। प्रत्येक सदस्य देश अपनी करेंसी के समता मूल्य को सोने या डॉलर के रूप में व्यक्त करता है।


 

वर्ष 1973 से विनिमय दर निर्धारण
वर्ष 1973 से विनिमय दर निर्धारण




लोचशील विनिमय दर व्यवस्था में विनिमय दर का निर्धारण मांग व पूर्ति की बाजारी शक्तियों द्वारा निर्धारित किया जाता है। इस व्यवस्था में विनिमय दर सरकार द्वारा किसी एक स्तर पर निर्धारित नही की जाती। पहले अधिकतर देशों ने स्थायी विनिमय दर व्यवस्था को अपनाया था। परन्तु वर्ष 1973 में स्थिर विनिमय दर व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया। इसके साथ ही विनिमय दर निर्धारण के लिए अन्तराष्ट्रीय मौद्रिक कोष ने निम्न कदम उठाए :

1. परिवर्तनशील विनिमय दर - अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने स्थिर विनिमय दर के स्थान पर परिवर्तनशील विनिमय दर व्यवस्था चलाई। इसके अंतर्गत मुद्राओं की विनिमय दर बाजारी शक्तियों अर्थात मांग व पूर्ति द्वारा निर्धारित होती है।

विशेष आहरण अधिकार

2. करेंसी की पेग्गिंग - इस व्यवस्था में एक देश किसी दूसरे देश के साथ अपनी करेंसी को सम्बन्धित कर देता है। इन दो देशों की करेंसी के बीच स्थिर विनिमय दर निर्धारित की जाती है। परन्तु अन्य सभी देशों के साथ परिवर्तनशील विनिमय दर व्यवस्था चलाई जाती है।


3. रेंगती पैग - यह व्यवस्था परिवर्तनशील विनिमय दर व्यवस्था व पेगिंग व्यवस्था का संमिश्र है। इसमें एक देश अपनी करेंसी को किसी दूसरे देश के साथ सम्बन्धित कर देता है। इन दोनों करेंसियो के बीच विनिमय दर अल्पकाल में स्थिर होती है, परन्तु कुछ समय अंतराल के बाद इस स्थिर विनिमय दर में परिवर्तन कर दिया जाता है। परन्तु अन्य सभी देशों की करेंसी के साथ परिवर्तनशील विनिमय दर व्यवस्था चलाई जाती है। इस व्यवस्था में स्थिर विनिमय दर व्यवस्था व परिवर्तनशील विनिमय दर व्यवस्था दोनो के ही गुण पाए जाते हैं।


4. लक्षित क्षेत्र व्यवस्था - इस व्यवस्था में किसी एक विशेष क्षेत्र में स्थित देशों के साथ स्थिर विनिमय दर व्यवस्था चलाई जाती है। जबकि उस क्षेत्र के बाहर स्थित देशों के साथ परिवर्तनशील विनिमय दर व्यवस्था चलाई जाती है। यह व्यवस्था उस विशेष क्षेत्र में स्थित देशों के बीच विदेशी व्यापार को बढ़ावा देती है।

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